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अमेरिका की हालत खराब: WHO से टूट चुका है नाता, अब हो रही आलोचना
वहीं अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सीईओ मार्क डेल मॉन्टे ने कहा, 'WHO से रिश्ता खत्म करने से देश में पोलियो का खतरा बढ़ सकता है।
दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में WHO पर लागातार कोरोना वायरस और चीन की मदद को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में अब अमेरिका ने काफी धमकी देने के बाद आखिर विश्व स्वास्थ्य संगठन से नाता तोड़ने का फैसला कर ही लिया है। लेकिन अमेरिका के इस फैसले की अब हर जगह आलोचना हो रही है। अमेरिका के इस फैसले की आलोचना करते हुए इंफेक्शियस डिसीज़ समेत बच्चों और सामान्य बीमारियों के चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने राष्ट्रपति ट्रंप के निर्णय का विरोध करना शुरू कर दिया है। चिकित्सकों के समूह का कहना है कि ऐसा करने से कोरोना वायरस से जंग और ज्यादा मुश्किल होगी।
अमेरिका के फैसले की हो रही आलोचना
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने कहा कि ऐसा निर्णय लेना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा साबित होगा। उन्होंने कहा, 'महामारी के इस दौर में WHO से नाता तोड़ने का ट्रंप प्रशासन का ये निर्णय कई मासूम बच्चों की जिंदगी को खतरे में डाल सकता है। वहीं अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सीईओ मार्क डेल मॉन्टे ने कहा, 'WHO से रिश्ता खत्म करने से देश में पोलियो का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा मलेरिया से होने वाली मौत में इजाफा हो सकता है। साथ ही जीवन बचाने वाली वैक्सीन का निर्माण करने में और ज्यादा समय लगेगा। डेल मॉन्टे ने अमेरिका के इस फैसले का विरोध जताते हुए कहा, '' WHO से समर्थन वापस लेना न केवल कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक तैयारियों को नुकसान पहुंचाएगा।
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बल्कि स्वास्थ्य संबंधी लापरवाही के बढ़ने से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। संस्थान ने ट्रंप प्रशासन से आग्रह किया है कि वे WHO के साथ काम करना जारी रखे और वैश्विस स्तर पर बच्चों के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे। अमेरिका के इस फैसले से WHO को सबसे ज्यादा झटका इस लिए लगा है क्योंकि WHO को सबसे ज्यादा फंड अमेरिका से ही मिलता है। अमेरिका से हेल्थ हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन को हर साल करीबन 800 करोड़ से ज्यादा की आर्थिक मदद मिलती आ रही है।
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ने इस फैसले को बताया तर्कहीन
जग जाहिर है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के फैलने के बाद से ही WHO की भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। जिसके चलते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप WHO को उसको देने वाले फंड और सहायता को रोकने की धमकी दी थी। लेकिन अंततः शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य शाखा डब्ल्यूएचओ से अमेरिका ने पारंपरिक नेतृत्व की भूमिका को समाप्त कर दिया। अब इस फैसले को तर्कहीन बताते हुए अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की प्रेसीडेंट डॉक्टर पैट्रिस हैरिस ने कहा, 'ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय का कोई तर्क नहीं है। ऐसी तर्कहीन कार्रवाई के नतीजे भयानक हो सकते हैं।
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खासतौर से ऐसे मौके पर जब WHO के नेतृत्व में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर बड़े पैमाने पर ट्रायल चल रहे हैं। पैट्रिस हैरिस ने कहा, '' कोरोना वायरस ने सीमाओं की परवाह किए बगैर पूरे अमेरिका को प्रभावित किया है। इसे हराने के लिए पूरी दुनिया का एक साथ आना जरूरी है।' अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वे कोरोना वायरस से जंग के बीच अपनी लीडरशिप पोजिशन का त्याग न करे। वहीं यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के पूर्व अधिकारी डॉक्टर थॉमस फ्राईडेन ने कहा, 'WHO को बनाने में हमारा बड़ा योगदान है। हम उसका हिस्सा हैं और WHO को यूं पीठ दिखाकर जाने से पूरी दुनिया कमजोर और असुरक्षित महसूस करने लगेगी।