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पाकिस्तान में मुहर्रम की शुरुआत से ही शिया समुदाय के खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है। जियारत-ए-आशुरा को पढ़ने के कारण शिया समुदाय के लोगों पर ईशनिंदा के आरोप लग रहे हैं।
लखनऊ: पाकिस्तान में अल्पसंख्यक पहले से ही सुरक्षित नहीं है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। अब पड़ोसी देश में शिया समुदाय के खिलाफ भी अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। उनके खिलाफ हाल के दिनों में ईशनिंदा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
पाकिस्तान के कराची शहर में तहरीक-ए-लबाइक पाकिस्तान (टीएलपी) और अहल-ए-सुन्नत वल जमात (एएसडब्ल्यूजे) ने अल्पसंख्यक शिया समुदाय के खिलाफ प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन में हजारों लोग शामिल हुए हैं। रैली के दौरान लोगों ने शिया समुदाय के खिलाफ जमकर नारेबाजी। उन्होंने शिया काफिर हैं जैसे नारे लगाए और मुहर्रम के जुलूस पर बैन लगाने की मांग की।
पाकिस्तान में शिया समुदाय की आबादी 20 प्रतिशत
बता दें कि पाकिस्तान में शिया समुदाय की आबादी 20 प्रतिशत है। कई सालों से शिया समुदाय को सुन्नी चरमपंथी समूहों अहले-सुन्नत वल जमात, लश्कर-ए-जंघवी, सिपह-ए-सहावा पाकिस्तान निशाना बना रहे हैं। यह सभी संगठन ईशनिंदा को लेकर शिया समुदाय के लोगों को टारगेट करते हैं।
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नफरत और हिंसा के मामले तेजी से बढ़े
हाल के दिनों में शिया समुदाय के खिलाफ नफरत और हिंसा के मामले तेजी से बढ़े हैं। सोशल मीडिया पर रैली के वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। इस रैली में लोग को 'शिया काफिर हैं' जैसे नारे लगा रहे हैं। एक ट्विटर यूजर ने दावा किया है कि इमामिया लाइन्स एरिया में इमामबाड़ा पर कट्टरपंथी सुन्नी पार्टी के सदस्यों ने हमला कर दिया है।
पाकिस्तान में मुहर्रम की शुरुआत से ही शिया समुदाय के खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है। जियारत-ए-आशुरा को पढ़ने के कारण शिया समुदाय के लोगों पर ईशनिंदा के आरोप लग रहे हैं। जियारत-ए-आशुरा में इमाम हुसैन के हत्यारों की निंदा की जाती है। शिया समुदाय के कुछ वक्ताओं को पैगंबर मोहम्मद के साथियों को लेकर दिए गए बयान के कारण भी ईशनिंदा के आरोप में हिरासत में ले लिया गया है।
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एक महीने के अंदर ईशनिंदा के 42 केस दर्ज
पाकिस्तान में एक महीने के अंदर ईशनिंदा के 42 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से अधिकतर केस शिया समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। इन पर पैगंबर मोहम्मद के साथियों का अपमान करने के आरोप है। इस आरोप में इनके खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता के सेक्शन 295-A और सेक्शन 298 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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अहमदिया और ईसाई समुदाय के भी कुछ लोगों पर ईशनिंदा के आरोप लगाए गए हैं। पाकिस्तान में ईशनिंदा को लेकर मॉब लिचिंग, हत्याएं और प्रदर्शन हमेशा होते रहते हैं। अब पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने धार्मिक और सांप्रदायिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा के बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर की है। मानवाधिकार आयोग का कहना है कि पुलिस को भी ईशनिंदा के मामले जल्दबाजी में दर्ज नहीं करने चाहिए।
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