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सिद्धू के अलावा इमरान के कई बड़े नेता हैं खास, अब इस लिए भेजा न्योता
इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे, उस समय नवजोत सिंह सिद्धू पाक की यात्रा पर गए थे। वहां पर उन्होंने सेना प्रमुख जनरल बाजवा को गले लगाया था और इसके बाद भारत की सियासत में तूफान आ गया था। हालांकि सिद्धू ने सफाई देते हुए कहा था कि बाजवा खुद उनसे आकर गले मिले थे।
नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने नवजोत सिंह सिद्धू को निमंत्रण भेजा है, मौका है करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन का। यह निमंत्रण इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू को भेजा गया है। बता दें कि पार्टी के सांसद फैजल जावेद खान ने इमरान खान के कहने पर सिद्धू से टेलीफोन पर बातचीत की और उन्हें पाकिस्तान आने का निमंत्रण भी दिया।
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ख़बरों के अनुसार अभी सिद्धू की ओर से ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि वह वहां जाएंगे या नहीं। लेकिन उन्होंने इमरान खान का न्योता स्वीकार कर लिया है। बता दें कि 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर शुरू करने के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
इस कार्यक्रम में भारत की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हो रहे हैं। उन्होंने पहले ही साफ कर दिया है कि वह एक सामान्य श्रद्धालु के रूप में जाएंगे, न कि पाकिस्तान के द्वारा आमंत्रित मेहमान के तौर पर।
सिद्धू की हुई थी घोर आलोचना
गौरतलब है कि जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे, उस समय नवजोत सिंह सिद्धू पाक की यात्रा पर गए थे। वहां पर उन्होंने सेना प्रमुख जनरल बाजवा को गले लगाया था और इसके बाद भारत की सियासत में तूफान आ गया था। हालांकि सिद्धू ने सफाई देते हुए कहा था कि बाजवा खुद उनसे आकर गले मिले थे। उसके बाद सिद्धू की पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी आलोचना की थी।
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इधर लंबे समय से खामोश हैं सिद्धू
राजनीति में अपने बड़े-बड़े और विवादित बयानों और सिद्धू का पुराना नाता रहा है। जिसके कारण वे हमेशा से सुर्खियों में बने रहते हैं। लेकिन पुलवामा अटैक पर दिए गए विवादित बयान के बाद से नवजोत सिंह सिद्धू लंबे समय से खामोश हैं। उनकी चुप्पी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपना आखिरी ट्वीट 21 जुलाई को किया था।
दरअसल पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ वर्चस्व की लड़ाई में उन्हें पीछे हटना पड़ा है। पहले राहुल गांधी एंड कंपनी ने उन्हें जमकर आगे बढ़ाया, लेकिन अंतत: पंजाब चुनावों में अमरिंदर की ही चली। इसके बाद वह किनारे हो गए।