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युद्ध में पीएम की पत्नी: हजारों मौतों का लेंगी बदला, दुश्मन को मारने को तैयार फौज
नागोर्नो-काराबाख को बचाने के लिए आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान की पत्नी अन्ना हकोबयान भी उतर आई हैं। जंग में आर्मीनिया की प्रथम महिला अन्ना ने 27 अक्टूबर से सैन्य प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली। दुनिया में आर्मीनिया और अजरबैजान के युद्ध से लगभग सभी देशों की हालत खराब थी। ऐसे में दोनों देशों की भीषण लड़ाई में अब नागोर्नो-काराबाख को बचाने के लिए आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान की पत्नी अन्ना हकोबयान भी उतर आई हैं। जंग में आर्मीनिया की प्रथम महिला अन्ना ने 27 अक्टूबर से सैन्य प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया है और वह उन 13 लोगों के महिला दस्ते की सदस्य हैं जो काराबाख की रक्षा में शामिल होंगी।
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लड़ाई में अब तक 5000 लोग मारे गए
सैन्य प्रशिक्षण के दौरान राइफल चलाती अन्ना हकोबयान की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो गई हैं। बता दें, नागोर्नो-काराबाख की लड़ाई में अब तक 5000 लोग मारे गए हैं और इस समय दोनों देशों के बीच मानवीय संघर्षविराम चल रहा है। तो चलिए बताते हैं कौन है अन्ना।
जंग में शामिल देश आर्मीनिया के प्रधानमंत्री की पत्नी अन्ना जिनकी उम्र 42 साल है, उन्होंने लिखा- 'मुझे लेकर 13 महिला सैनिकों का दस्ता सैन्य प्रशिक्षण लेने जा रहा है। अगले कुछ दिनों बाद हम सीमा की रक्षा में मदद देने के लिए रवाना होंगे। न तो हमारा देश और न ही हमारी गरिमा दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण करेंगे।'
फोटो-सोशल मीडिया
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अन्ना पेशे से पत्रकार हैं और एक अखबार की संपादक
इसके साथ ही अन्ना पेशे से पत्रकार हैं और एक अखबार की संपादक हैं। वहीं अगस्त महीने से लेकर अब तक यह अन्ना का दूसरा युद्ध का प्रशिक्षण है। इससे पहले अन्ना और काराबाख की 7 महिलाओं को सात दिनों का शारीरिक और हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया था।
अभी हाल ही में अन्ना हकोबयान की कलाश्निकोव ऑटोमेटिक राइफल के साथ तस्वीरें वायरल हो गई थीं। ऐसे में ये भी बताया गया है कि अन्ना वर्ष 2018 में शांतिदूत रह चुकी हैं और उन्होंने अजरबैजान की महिलाओं से शांति के लिए अपील की थी।
इसके अलावा आर्मीनिया के प्रधानमंत्री ने लड़ाई के मोर्चे पर हालात को बेहद गंभीर बताया है और साथ ही देश की जनता से अपील की है कि वे हथियार उठाएं। वहीं इससे पहले इसी महीने आर्मीनिया के पीएम के 20 साल के बेटे अशोट ने भी लड़ाई में वॉलंटियर बनने के लिए नामांकन कराया है। महीनों चली इस युद्ध में अभी तक आर्मीनिया के 2000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
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