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पाकिस्तानी हत्यारा याहया: 30 लाख लोगों का किया नरसंहार, अब उठी ये मांग
पाकिस्तान के तानाशाह याहया खान और उसकी सेना ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान 30 लाख बांग्लादेशियों का नरसंहार कर दिया था। अब इस क्रूरता के खिलाफ बांग्लादेश में जोरदार प्रदर्शन किया गया और पाकिस्तान से माफी की मांग की गई।
नई दिल्ली: पाकिस्तान के कांड और उसके आतंकवाद फैलाने वाले रवैया से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। पाकिस्तान सरकार और पर्दे के पीछे से शासन करने वाली उसकी सेना ना केवल अपने देश के नागरिकों बल्कि दूसरे देश के ऊपर भी अत्याचार करने से कभी पीछे नहीं हटती। क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए पाकिस्तान के तीसरे राष्ट्रपति या यूं कहे क्रूर तानाशाह याहया खान और उसकी सेना ने 49 साल पहले 30 लाख लोगों का नरसंहार कर दिया था। जिसके लिए उसने कभी माफी मांगना तक जरूरी नहीं समझा।
अब उठी माफी की मांग
बता दें कि आज ही के दिन साल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी ने बंगबंधु शेख मुजिब-उर-रहमान के नेतृत्व में और इंडियन आर्मी की मदद से याहया खान के मंसूबों को ध्वस्त कर विजय हासिल की थी। याहया खान और उसकी हत्याारी सेना ने 30 लाख लोग का नरसंहार किया था। भले ही इस घटना के 49 साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पाकिस्तान की सरकार या उसकी सेना ने इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी है। इसके लिए अब बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और पाकिस्तान की माफी की मांग की।
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(फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)
राजनयिक संबंध खत्म करने की कही बात
इस नरसंहार के लिए पाकिस्तान के माफी मांगने की मांगें तेज हो गई हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर पाकिस्तान जल्द ही इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगता है तो बांग्लादेश को उसके साथ राजनयिक संबंध को खत्म कर लेना चाहिए। सोमवार को माफी की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना की क्रूरता के लिए इमरान खान नियाजी सरकार तत्काल माफी मांगे।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लोगों को चेताया
प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान को चेताते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान द्वारा माफी नहीं मांगी जाती है तो हम अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाएंगे। वहीं बांग्लादेश की आजादी की पूर्व संध्या पर देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लोगों को चेताते हुए कहा कि देश में धार्मिक कट्टरता फिर से पनप सकती है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि राजनीतिक हथियार के तौर पर धर्म का इस्तेमाल ना करें। हम किसी को भी धर्म के नाम पर देश में अराजकता फैलाने या बंटवारा नहीं करने देंगे।
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(फाइल फोटो)
मुसलमानों को भड़काया जा रहा
उन्होंने कहा कि 1971 के मुक्ति संग्राम में हारने वालों का एक समूह राजनीति करने उतरा है और वह सामान्य मुसलमानों को भड़का रहा है, ताकि देश में अशांति फैल सके और इससे बांग्लादेश फिर वहीं पहुंच जाए, जहां से हम 50 साल पहले निकले थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस देश के नागरिक धार्मिक है, धर्मांध नहीं। देश की जनता प्रगति, विकास और धार्मिक मूल्यों को बनाए रखने की दिशा की ओर बढ़ेंगे।
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