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धमाका बना तबाही: सबसे शक्तिशाली बिस्फोट, परमाणु बम जैसा था हमला
'डायनामाइट' डेनिलो कोप्पे ने कहा कि जब अमोनियम नाइट्रेट जलता है तो इससे बहुत बड़े पैमाने पर पीला धुआं उठता है। हालांकि बेरूत से आए वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है कि विस्फोट के बाद नारंगी रंग का धुआं उठ रहा है।
नई दिल्ली: लेबनान की राजधानी बेरूत के बंदरगाह पर हुए भीषण विस्फोट के कारणों को लेकर अटकलों का दौर जारी है। बेरुत विस्फोट इतिहास के सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु विस्फोटों में से एक था। इस विस्फोट में 100 घरों को लगातार एक साल बिजली उपलब्ध कराने जितनी ऊर्जा थी। ब्रिटेन में शेफील्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के अनुसार, यह हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम का लगभग 20वां हिस्सा था।
यह विस्फोट अमोनियम नाइट्रेट की वजह से नहीं
यह एक अभूतपूर्व घटना थी क्योंकि इससे पहले कभी इतना बड़ा गैर-परमाणु विस्फोट दस्तावेजों में दर्ज नहीं है। इस डाटा का इस्तेमाल भविष्य में किसी त्रासदी से निपटने में इस्तेमाल हो सकता है। इस बीच विस्फोटकों के एक विशेषज्ञ ने दावा किया है कि यह विस्फोट अमोनियम नाइट्रेट की वजह से नहीं बल्कि मिसाइलों या रॉकेट में विस्फोट की वजह से हुआ था।
इटली के विस्फोटकों के जाने माने विशेषज्ञ डेनिलो कोप्पे ने दावा किया है कि यह विस्फोट जलती हुई मिसाइलों से हुआ था। कोप्पे के इस दावे बेरूत ब्लास्ट को लेकर अटकलें और ज्यादा तेज हो गई हैं।
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विस्फोट में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे
'डायनामाइट' के नाम से चर्चित डेनिलो कोप्पे ने कहा कि 4 अगस्त को हुए इस विस्फोट की वजह अमोनियम नाइट्रेट नहीं था। उन्होंने कहा कि विस्फोट के बाद निकले धुएं का रंग नारंगी था जो अमोनियम नाइट्रेट की वजह से नहीं होता है। इस भीषण विस्फोट में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 6 हजार लोग घायल हो गए थे। ब्लास्ट की वजह से 3 लाख घर तबाह हो गए हैं।
हालत यह है कि लेबनान की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा है। जांच में यह बात सामने आ रही है कि कई साल से वह विस्फोटक केमिकल, अमोनियम नाइट्रेट, बंदरगाह पर पड़ा था और कई चेतावनी जारी किए जाने के बावजूद इसकी अनदेखी की गई।
डायनामाइट ने बताया विस्फोट की असली वजह
'डायनामाइट' डेनिलो कोप्पे ने कहा कि जब अमोनियम नाइट्रेट जलता है तो इससे बहुत बड़े पैमाने पर पीला धुआं उठता है। हालांकि बेरूत से आए वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है कि विस्फोट के बाद नारंगी रंग का धुआं उठ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी ने निश्चित रूप से विस्फोट के लिए उत्प्रेरक का काम किया नहीं तो सभी विस्फोट एक साथ नहीं होते।
धुएं का रंग देखकर लगता है कि इसमें लिथियम का इस्तेमाल किया गया है। लिथियम का इस्तेमाल सेना की मिसाइलों में किया जाता है। मुझे लग रहा है कि वहां पर सेना के लिए हथियार रखे हुए थे।
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पहले भीषण विस्फोट हुआ और उसके बाद आग लगी- डायनामाइट
डायनामाइट ने कहा कि मुझे लगता है कि पहले भीषण विस्फोट हुआ और उसके बाद आग लगी जो सेना के विस्फोटकों के स्टोर तक पहुंच गई। इसके बाद आग और भड़क गई और सेना की मिसाइलों या रॉकेट तक पहुंच गई। माना जा रहा है कि यह विस्फोट क्षमता में हिरोशिमा में हुए परमाणु बम विस्फोट के पांचवें हिस्से के बराबर था।
इस विस्फोट के बाद भूकंप भी आ गया था। कोप्पे का यह दावा ऐसे समय पर आया है जब लेबनान के अधिकारी नबीह बेरी के निजी बॉडीगार्ड प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करते हुए देखे गए हैं। इससे देश में क्रांति का खतरा मंडराने लगा है।
भीषण विस्फोट का राजनीतिकरण न करें
बेरी संसद में शिया गुटों के सबसे बड़े नेता हैं और उन्हें ईरान समर्थित हिज्बुल्ला का समर्थन हासिल है। इससे पहले ईरान ने सभी देशों का आह्वान किया था कि वे इस भीषण विस्फोट का राजनीतिकरण न करें। ईरान ने अमेरिका से अपील की थी कि वह लेबनान पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा ले। ईरान ने यह भी कहा कि ब्लास्ट के कारणों की सतर्कतापूर्वक जांच की जानी चाहिए।
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विस्फोट इतना शक्तिशाली कि साइप्रस तक तक सुनाई दी आवाज
उधर, लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दिआब ने प्रदर्शनों के बाद सरकार के इस्तीफे का ऐलान किया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने यहां तक कहा है कि ऐसा लगा मानो कोई परमाणु हमला हुआ हो। वैज्ञानिकों ने भी कहा कि 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक से यह ब्लास्ट हुआ है। यह इतना शक्तिशाली था कि साइप्रस तक सुने गए ब्लास्ट का धुआं सवेरे तक बंदरगाह से निकलता रहा। बेरूत के गवर्नर ने भी हादसे की तुलना हिरोशिमा-नागासाकी बम धमाके से की है।
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