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सबसे बड़ा खतरा: टूट गया बर्फ का पहाड़, एक और संकट में पूरी दुनिया

दुनियाभर में वैसे ही मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, इन दुर्लभ हालातों में अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बर्फ का पहाड़ आइसबर्ग टूट कर खुले समुद्र में तैर रहा है। लेकिन अब इस पहाड़ में दरारें पड़ने लगी हैं, जिसके बाद से वैज्ञानिक चिंता में आ गए है।

Vidushi Mishra
Published on: 27 April 2020 1:34 PM IST
सबसे बड़ा खतरा: टूट गया बर्फ का पहाड़, एक और संकट में पूरी दुनिया
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सबसे बड़ा खतरा: टूट गया बर्फ का पहाड़, एक और संकट में पूरी दुनिया

नई दिल्ली: दुनियाभर में वैसे ही मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, इन दुर्लभ हालातों में अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बर्फ का पहाड़ आइसबर्ग टूट कर खुले समुद्र में तैर रहा है। लेकिन अब इस पहाड़ में दरारें पड़ने लगी हैं, जिसके बाद से वैज्ञानिक चिंता में आ गए है। क्योंकि ऐसे खुले समुद्र में घूम रहे जहाजों के लिए ये टूटा हुआ आइसबर्ग खतरा बन सकता है। इसके साथ ही समुद्र के जलस्तर में इजाफा कर सकता है। और कहीं अगर किसी तटीय शहर के करीब तेजी से टूटता है तो सुनामी जैसी बड़ी लहरें उठा सकता है जिससे आस-पास के इलाकों को नुकसान पहुंच सकता है।

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ये टूटा हुआ आइसबर्ग खुले समुद्र में घूम रहा

बर्फ के पहाड़ आइसबर्ग की 23 अप्रैल को यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट सेंटीनल-1 ने फोटो ली है। इस पूरे आइसबर्ग को ए-68ए कहते हैं। वही तेजी से ये टूटा हुआ आइसबर्ग खुले समुद्र में घूम रहा है। गर्म समुद्र की तरफ बढ़ रहा है। इसके साथ इसमे दरारें भी पड़ने लगी हैं। जो बेहद खतरनाक हो जा रहा हैं।

बता दें कि ए-68 आइसबर्ग जब अंटार्कटिका से अलग हुआ था तब वह 6000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का था। अब धीरे-धीरे घटकर 5100 वर्ग किलोमीटर का ही बचा है। ये इतना विशालकाय है कि इस पर 5 बार न्यूयॉर्क शहर को बसाया जा सकता है।

बीते 3 सालों से यह वेड्डेल सागर में घूम रहा है। इसी में से एक बहुत बड़ा टुकड़ा अलग होकर बाहर निकला है। जिसका नाम दिया गया है ए-68ए। लेकिन अब ए-68ए में से भी एक टुकड़ा अलग हुआ है जिसका नाम है ए-68सी।

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वैज्ञानिकों के लिए आसान बात नहीं

बता दें कि ए-68ए आइसबर्ग 175 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का है। ए-68 आइसबर्ग जुलाई 2017 में अंटार्कटिका के लार्सेन सी से टूट कर अलग हुआ था।

ये पहाड़ का टूटा हुआ हिस्सा किस तरफ जा रहा है यह बता पाना वैज्ञानिकों के लिए आसान बात नहीं है। लेकिन अभी इसकी दिशा देखकर ऐसा लगता है कि ये दक्षिणी अमेरिका के नीचे की तरफ दक्षिणी जॉर्जिया और दक्षिणी सैंचविच आइलैंड की तरफ जा रहा है।

साथ ही आइसबर्ग का अध्ययन करने वाले जियोलॉजिस्ट एड्रियन ल्यूकमैन ने बताया कि हो सकता है कि यह टूटने के बाद भी हमारे साथ कई वर्षों तक रहे। क्योंकि यह जितना बड़ा है, उसे खत्म होने में काफी समय लगेगा।

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विश्व का सबसे विशालकाय आइसबर्ग

बता दें, एड्रियन ल्यूकमैन स्वानसी यूनिवर्सिटी में जियोलॉजी के प्रोफेसर हैं। इसके साथ ही 3 सालों से इस आइसबर्ग पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने इस आइसबर्ग से अलग होते हुए एक बड़े बर्फ के टुकड़े को देखा था। उसका नाम है ए-68सी। यह 19 किलोमीटर लंबा है।

वहीं एड्रियन ल्यूकमैन कहते हैं कि ए-68 से अलग हुए टुकड़े का आकार करीब 175 वर्ग किलोमीटर है। लेकिन यह आइसबर्ग बेहद पतला है। मैं हैरान हूं कि इतना पतला आइसबर्ग इतने सालों से पिघला क्यों नहीं।

विश्व का सबसे बड़ा विशालकाय आइसबर्ग बी-15 है। जो अंटार्कटिका से साल 2000 में टूटकर अलग हुआ था। इसका क्षेत्रफल 11 हजार वर्ग किलोमीटर है।

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