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ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन: आ रहे हैं भारत, व्यापार बढ़ाने पर रहेगा जोर
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन अप्रैल के अंत में भारत आएंगे। जून में अमीर देशों के समूह जी-7 की बैठक होने वाली है। यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान इस समूह के मेंबर हैं जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी इस बैठक में बुलाया गया है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली। यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अपनी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले हैं और ये यात्रा भारत की होगी। बोरिस जॉनसन को इस साल गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के तौर आना था लेकिन कोरोना की वजह से उनका दौरा रद्द हो गया था। अब वे अप्रैल के अंत में भारत आएंगे। जून में अमीर देशों के समूह जी-7 की बैठक होने वाली है। यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान इस समूह के मेंबर हैं जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी इस बैठक में बुलाया गया है।
भारत में व्यावसायिक अवसरों को तलाशना
दरअसल, ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन व्यापार और प्रभाव के लिए नए रास्ते खोलना चाहता है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन की यात्रा का उद्देश्य यूनाइटेड किंगडम के लिए भारत में व्यावसायिक अवसरों को तलाशना है। जॉनसन की कोशिश दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता को गति देने की है।
यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद अब बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के लिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। चीन से यूके का कई मुद्दों पर मतभेद किसी से छिपा नहीं हैं। ऐसे में भारत से साथ खड़े होकर बोरिस जॉनसन एक तीर से दो निशाने साधना चाहते हैं। चीन को घेरने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की चौकड़ी से बने क्वाड संगठन ने भी कमर कस ली है। मौजूदा दौर में यह घटनाक्रम अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे शीत युद्ध की समाप्ति के बाद सबसे उल्लेखनीय वैश्विक पहल कहा जा रहा है।
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बोरिस जॉनसन सरकार का कहना है कि वह अपना ध्यान हिंद-प्रशांत की ओर और अधिक झुकाएगी। उनकी सरकार ने इसे आने वाले सालों के लिए अपनी नीति का हिस्सा बताया है। उसका कहना है कि क्षेत्र दुनिया के भू-राजनीतिक केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है। व्यापार बढाने के लिए ही पिछले महीने ही ब्रिटेन ने कॉम्प्रिहेन्सिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेन्ट फॉर ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (सीपीटीपीपी) में शामिल होने का आवेदन किया था।
यह 11 विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के दुनिया के सबसे बड़े मुक्त-व्यापार क्षेत्रों में से है। यूके ने एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशन्स के संवाद सहयोगी बनने के लिए भी आवेदन किया है।
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दोनों देशों की संसद में हुई है चर्चा
भारत और ब्रिटेन की संसद में एक दूसरे के आंतरिक मसलों पर चर्चा हुई है। किसान आंदोलन पर ब्रिटेन की संसद में चर्चा हुई थी जिसके बाद भारत ने कड़ा विरोध जताया था। इसके बाद 15 मार्च को राज्यसभा में ब्रिटेन में नस्लभेद का मुद्दा उठा। भाजपा सांसद अश्विनी वैष्णव ने ऑक्सफोर्ड में भारत की छात्रा के साथ नस्लवाद का मुद्दा उठाया, इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा अगर जरूरत हुई तो यूके के साथ यह मुद्दा उठाएंगे। बहरहाल, इन मसलों के जॉनसन के साथ वार्ता में उठने की संभावना नहीं है।
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