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विक्रम लैंडर से संपर्क साध रहा NASA, जानिए क्या है ‘ओपन सोर्स इंफॉर्मेशन’
चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में प्रारंभिक सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद है। चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का उपयोग करेगा जो दो गड्ढों- मंज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का प्रयास करेगा।
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पिछले कुछ दिनों से विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश में लगा हुआ है। चंद्रमा पर विक्रम लैंडर ने लैंडिंग तो की लेकिन इसका संपर्क इसरो से टूट गया। हालांकि, अभी भी इसरो ने हार नहीं मानी है और लगातार विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश में लगा हुआ है।
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वहीं, अब नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) भी इससे संपर्क साधने की कोशिश में लगा हुआ है। NASA के डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) का ओपन प्लेटफॉर्म दिखा रहा है कि नासा भी लगातार चंद्रयान 2 के लैंडर और ऑर्बिटर से संचार कायम करने की कोशिश कर रहा है।
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बता दें, इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (CalTech) की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री (JPL) की ओर से ही डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) का प्रबंध किया जाता है। वेधशाला और स्पेसक्राफ्ट के बीच DSN की ओर से लाइव अप-लिंक और डाउन-लिंक दिखाया जा रहा है।
चांद पर क्यो गया इसरो?
चंद्रमा पृथ्वी का नज़दीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आज़माने का परीक्षण केन्द्र भी होगा।
नए युग को देगा बढ़ावा
चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा देने, वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने और खोजकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।
चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव तक पहुंचना क्यों जरूरी?
चंद्रमा हमें पृथ्वी के क्रमिक विकास और सौर मंडल के पर्यावरण की अविश्वसनीय जानकारियां दे सकता है। वैसे तो कुछ परिपक्व मॉडल मौजूद हैं, लेकिन चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में और अधिक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। चंद्रमा की सतह को व्यापक बनाकर इसकी संरचना में बदलाव का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
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चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में भी कई महत्वपूर्ण सूचनाएं जुटाई जा सकेंगी। वहां पानी होने के सबूत तो चंद्रयान 1 ने खोज लिए थे और यह पता लगाया जा सकेगा कि चांद की सतह और उपसतह के कितने भाग में पानी है।
दिलचस्प है दक्षिणी ध्रुव
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव विशेष रूप से दिलचस्प है क्योंकि इसकी सतह का बड़ा हिस्सा उत्तरी ध्रुव की तुलना में अधिक छाया में रहता है। इसके चारों ओर स्थायी रूप से छाया में रहने वाले इन क्षेत्रों में पानी होने की संभावना है।
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चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में प्रारंभिक सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद है। चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का उपयोग करेगा जो दो गड्ढों- मंज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का प्रयास करेगा।
क्या है ‘ओपन सोर्स इंफॉर्मेशन’?
ओपन सोर्स इंफॉर्मेशन ऐसे सॉफ्टवेयर को कहा जाता है जिसका स्रोत कूट (सोर्स कोड) सभी के लिये खुला हो। मुक्तस्रोत सॉफ्टवेयर का कोड निशुल्क उपलब्ध कराया जात है और इसे कोई भी व्यक्ति परिवर्तित-परिवर्धित-संशोधित कर उसके विकास में योगदान दे सकता है या स्वयं अपने काम में इसका निःशुल्क उपयोग कर सकता है। स्रोत कोड के अलावा इन सॉफ्टवेयरों के बाइनरी कोड भी उपलब्ध कराए जाते हैं जो विभिन्न ऑपरेटिंग तन्त्रों पर चलने के लिए कम्पाइल किए गए होते हैं।