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मासूमों के लिए खतरनाक है कोरोना, नए अध्ययन में इतनी ज्यादा मौतों की आशंका
अमेरिका की जॉन हापकिन्स यूनिवर्सिटी के नए शोध में कोरोना संकट के कारण मां एवं शिशु के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ने की आशंका जाहिर की गई है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। पूरी दुनिया के लिए कहर साबित हो रहा कोरोना संकट आने वाले छह महीनों के दौरान पांच साल तक की उम्र के ढाई लाख से अधिक बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। दरअसल इस संकट के चलते दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और कई देशों में लॉकडाउन के कारण भोजन की उपलब्धता पर भी काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। अमेरिका की जॉन हापकिन्स यूनिवर्सिटी के नए शोध में कोरोना संकट के कारण मां एवं शिशु के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ने की आशंका जाहिर की गई है।
ढाई लाख से अधिक अतिरिक्त मौतें
जॉन हापकिन्स यूनिवर्सिटी का यह नया शोध लासेंट जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित किया गया है। शोध में कहा गया है कि अगले छह महीनों के दौरान इस संकट के कारण 5 साल तक की उम्र के 2.53 लाख बच्चों की अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं। शोध में कहा गया है कि कोरोना संकट की वजह से 118 निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य सेवाएं कोरोना के उपचार पर ही केंद्रित हो गई हैं। ऐसा होने के कारण मातृ एवं शिशु से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। इसका बुरा नतीजा आने वाले छह महीनों में दिखने की आशंका है।
स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच नहीं
इस अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस के भय और लॉकडाउन आदि की दिक्कतों के कारण तमाम देशों में लोग स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसका एक असर यह भी पड़ा है कि कम आय वाले लोगों का काम धंधा बिल्कुल चौपट हो चुका है और प्रभावित लोगों की भोजन तक पहुंच खत्म गई है। इस कारण कुपोषण बढ़ने की आशंका है जो मातृ एवं शिशु मृत्यु दर का प्रमुख कारण होता है।
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मृत्यु दर में इजाफे की आशंका
शोधकर्ताओं का कहना है यदि हम इन स्थितियों का न्यूनतम प्रभाव से भी आकलन करें तो मृत्यु दर में 9.8 से 18.5 फ़ीसदी तक इजाफा होने की आशंका है। इस कारण आने वाले छह महीनों के दौरान 5 साल तक के 253500 अतिरिक्त शिशुओं की मौतें होंगी। इसके साथ ही साथ इस अवधि के दौरान 12200 मातृ मौतें भी बढ़ेंगी। शोध के मुताबिक यदि सबसे खराब स्थिति को मानकर आकलन किया जाए तो 39.3 से 51.9 फ़ीसदी तक मौतें बढ़ सकती हैं। ऐसी स्थिति में 11 लाख 57 हजार शिशुओं तथा 56 हजार 700 माताओं की अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं।
सच्चाई बताता है यह अध्ययन
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुतरेजा का कहना है कि यह सच्चाई है कि कोरोना संकट का मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है।
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उनका कहना है कि यह अध्ययन वास्तविकता को दर्शाता है। हमें मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सतर्क होना होगा और सरकार को भी इसके लिए आपातकालीन योजना बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने खुद देखा है के अस्पतालों में अधिकांश बेड कोविड-19 के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं जबकि अन्य बीमारियों के लिए बेड उपलब्ध ही नहीं है।
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