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चीन की जाल में फंस गया ये देश, ड्रैगन ने यहां सबकुछ पर कर लिया कब्जा

चीन गरीब दशों को पहले अपनी जाल में फंसाता है और फिर उनकी कीमती धरोहरों पर कब्जा करना शुरू कर देता है। ड्रैगन कर्ज और लालच के जाल में दुनिया के गरीब देशों को फंसा चुका है।

Newstrack
Published on: 26 Sep 2020 6:00 PM GMT
चीन की जाल में फंस गया ये देश, ड्रैगन ने यहां सबकुछ पर कर लिया कब्जा
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चीन गरीब दशों को पहले अपनी जाल में फंसाता है और फिर उनकी कीमती धरोहरों पर कब्जा करना शुरू कर देता है। ड्रैगन कर्ज और लालच के जाल में दुनिया के गरीब देशों को फंसा चुका है।

लखनऊ: चीन गरीब दशों को पहले अपनी जाल में फंसाता है और फिर उनकी कीमती धरोहरों पर कब्जा करना शुरू कर देता है। ड्रैगन कर्ज और लालच के जाल में दुनिया के गरीब देशों को फंसा चुका है।

ड्रैगन की इस जाल में कई देश फंस चुके हैं और बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। चीन की इस जाल में फंसकर एक अफ्रीकी देश बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है। इस देश में चीन की वजह से जनावर और जंगल दोनों खतरे में पड़ गए हैं।

जिंबाब्वे पर चीनी की टेढ़ी नजर

जिंबाब्वे अफ्रीका महाद्वीप के मध्य में स्थित है और यहां दुनिया के सबसे बेहतरीन किस्म का कोयला पाया जाता है। इसके बावजूद जिंबाब्वे की बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करने को मजबूर है। चीन ने अपनी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और अफ्रीका में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए जिंबाब्वे के साथ द्विपक्षीय संबंध विकसित किए। जिंबाब्वे को भी विदेशी निवेश और फंड की आवश्यकता थी। पैसों के बदले इस देश ने अपनी कई कोयला की खानों को चीन को दे दिया।

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चीन प्राकृतिक संसाधनों का कर रहा दोहन

चीन की सरकारी कोयला कंपनियां जेनक्सिन कोल माइनिंग ग्रुप और एफ्रोक्लाइन स्मेल्टिंग ने जिंबाब्वे के प्राकृतिक संसाधनों का खूब किया है। इसकी वजह से वहां जंगल, जानवर और जमीन को भारी नुकसान हुआ है। इस देश के कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चीनी कंपनियों के खिलाफ कई आंदोलन चलाए, लेकिन सरकार ने उन आंदोलनों को खत्म कर दिया।

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अब ये कंपनियां जिंबाब्वे के ह्वांगे नेशनल पार्क में कोयला की खुदाई करने की तैयारी कर रही है। यह पार्क जैव विविधता और जंगली जानवरों के आवास की वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस जंगल में करीब 40 हजार अफ्रीकी हाथी रहते हैं। इसके अलावा यहां दुनिया में लुप्तप्राय हो चुके काले राइनो भी मिलते हैं। अब आशंका जताई जा रही है कि अगर जिंबाब्वे की सरकार इस इलाके में खनन की अनुमति देती है तो इससे न सिर्फ जिंबाब्वे बल्कि अफ्रीका के पर्यावरण को भी बहुत अधिक नुकसान होगा।

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पर्यावरण को पहुंचेगा भारी नुकसान

3 सितंबर को ह्वांगे नेशनल पार्क में खनन के बाद दुनिया में तहलका मच गया। इसके बाद आनन फानन में जिंबाब्वे की सरकार ने इस प्रोजक्ट पर रोक लगाने की घोषणा कर दी। सरकार ने यह भी कहा कि देश के सभी राष्ट्रीय उद्यानों में खनन गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाएगा। लेकिन हरारे की हाईकोर्ट ने इन दोनों चीनी कंपनियों के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। अब इससे साफ है कि इन कंपनियों के खनन के अधिकार पहले की तरह बने हुए हैं। अब सवाल खड़ा हो रहा है कि सरकार ने क्या झूठा ऐलान किया था?

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