चीन बदलेगा मौसम: बारिश-बर्फबारी करेगा मन मुताबिक, करने जा रहा ऐसा काम

चीन आर्टिफिशिल बारिश और स्नो फॉल बनाने की तैयारी में हैं। इसके लिए चीन 55 लाख स्क्वॉयर किमी को इलाके को कवर करने की योजना बनाई है।

Shivani
Published on: 5 Dec 2020 3:25 PM GMT
चीन बदलेगा मौसम: बारिश-बर्फबारी करेगा मन मुताबिक, करने जा रहा ऐसा काम
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लखनऊ: चीन अपनी तकनीक के लिए काफी मशहूर है और सराहा जाता है। चीन ने तकनीक के क्षेत्र में काफी तरक्की भी की है। अब चीन एक नए तरह के प्रोग्राम को बना रहा है। इसके जरिये चीन मौसम बदलने की कोशिश करने की कोशिश में हैं। दरअसल, चीन अपने वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम पर तेजी से काम कर रहा है।

चीन बना रहा आर्टिफिशियल बारिश और बर्फबारी

चीन आर्टिफिशिल बारिश और स्नो फॉल बनाने की तैयारी में हैं। इसके लिए चीन 55 लाख स्क्वॉयर किमी को इलाके को कवर करने की योजना बनाई है। इस प्रोग्राम को लेकर चीन कितने बड़े स्तर पर बना रहा है, इस बात का पता इससे चलता है कि उसका 55 लाख स्क्वॉयर किमी में तैयार होने होने वाला ये सिस्टम भारत के कुल आकार से आकार से 1.5 गुना तक बड़ा होगा।

china expanding weather modification program to make artificial rain snowfall

खेती, सूखा और जंगल की आग बुझाने में होगी मददगार

इस तरह के सिस्टम को बनाने के बीच चीन खेती से जुडी आपदाओं को दूर करना चाहता है। आर्टिफिशिल बारिश को खेती बचाने, जंगलों को आग से बचाने और सूखे का सामना करने की दिशा में इस्तेमाल किया जायेगा। हालांकि इसे लेकर एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि इसका असर सीमापार भी पड़ सकता है।

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वहीं चीन के स्टेट काउंसिल की तरफ से दावा किया जा रहा है कि देश साल 2025 तक विकसित वेदर मॉडिफिकेशन सिस्टम तैयार कर लेगा। आगामी पांच सैलून में चीन आर्टिफिशियल बारिश या बर्फभारी से 55 लाख स्क्वॉयर किमी के दायरे को कवर कर लेगा।

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ओलंपिक्स 2008 में चीन ने बोए थे बादल

इसके पहले चीन ने साल 2008 में हुए ओलंपिक्स से पहले स्मॉग (Smog) कम करने और बारिश से बचने के लिए बादल बनाने का काम भी किया था। चीन ने बादल बोन के लिए काफी बड़ी रकम का निवेश किया था।

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चीन की सफलता से भारत पर पड़ेगा प्रभाव

भारत और चीन के बीच हाल में रिश्ते तनावपूर्ण हैं, ऐसे में इस बीच अगर चीन अपनी इस तकनीक में सफलता हासिल करता है तो माना जा रहा है कि इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। एक्सपर्ट्स की माने तो वेदर मॉडिफिकेशन प्रोग्राम की वजह से चीन कई नए महत्वाकांक्षी जियोइंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में सफल हो सकता है और ऐसे में भारत दबाव में आ सकता है।

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