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नेपाल पर चीन की नजरें, डिफेन्स मिनिस्टर पहुंचे काठमांडू

नेपाल की राजनीति में चीन का दखल बढ़ता ही जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में नेपाल में चीनी राजदूत हाओ यांकी कई बार राजनीतिक बैठक कर चुकी हैं।

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Published on: 29 Nov 2020 1:05 PM IST
नेपाल पर चीन की नजरें, डिफेन्स मिनिस्टर पहुंचे काठमांडू
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नेपाल पर चीन की नजरें, डिफेन्स मिनिस्टर पहुंचे काठमांडू (Photo by social media)

लखनऊ: नेपाल पर चीन गिद्ध दृष्टि लगाये बैठा है और हर तरह से इस हिमालयी देश को कंट्रोल करने में लगा हुआ है। इस कड़ी में चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही रविवार को नेपाल दौरे पर हैं। इस दौरान वह प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मिलने वाले हैं। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के दो दिवसीय नेपाल यात्रा के समापन के तुरंत बाद चीनी रक्षा मंत्री नेपाल आये हैं। इससे पहले भारतीय सेना के प्रमुख एमएम नरवणे तीन दिवसीय दौरे पर नेपाल आए थे। दोनों की नेपाल यात्रा से चीन बेचैन हो गया और यही कारण है कि उसने अपने रक्षा मंत्री को नेपाल भेजा है।

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चीन का दखल

नेपाल की राजनीति में चीन का दखल बढ़ता ही जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में नेपाल में चीनी राजदूत हाओ यांकी कई बार राजनीतिक बैठक कर चुकी हैं। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने प्रधानमंत्री ओली से दो घंटे तक बातचीत की। बताया जाता है कि यह मुलाकात नेपाल की सत्ताधारी पार्टी की एकीकरण प्रक्रिया और पार्टी के अंदर चल रहे मुद्दों को सुलझाने को लेकर हुई थी।

अब चीन के रक्षा मंत्री की नेपाल यात्रा दिखाती है कि चीन लगातार नेपाल को अपने साथ रखने की कोशिश कर रहा है। रक्षा मंत्री वेई फेंगही का दर्जा उप प्रधानमंत्री के बराबर है। इसलिए नेपाल की उनकी यात्रा बहुत महत्त्व रखती है। दोनों देशों की सेनाओं ने अप्रैल 2017 में संयुक्त सैन्य अभ्यास की शुरुआत की थी। इससे एक महीने पहले चीन के तत्कालीन रक्षा मंत्री चांग वानच्विएन ने नेपाल की यात्रा की थी।

नेपाली रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, चीन ने नेपाली रक्षा मंत्रालय को 2018 और 2019 में मानवीय और आपदा राहत उपकरण के लिए लगभग तीन अरब 37 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की थी।

नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रनजीत रे ने चीनी रक्षा मंत्री की नेपाल यात्रा के समय को लेकर सवाल उठाए हैं

नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रनजीत रे ने चीनी रक्षा मंत्री की नेपाल यात्रा के समय को लेकर सवाल उठाए हैं क्योंकि ये दौरा उस समय हो रहा है जब सत्ताधारी पार्टी के अंदर गंभीर मतभेदों की स्थिति है और शीर्ष भारतीय राजनयिक नेपाल यात्रा से लौट रहे हैं। उन्होंने हाल में कहा था कि - मुझे ये नेपाल की ओर से असंवेदनशीलता लगती है, ख़ासतौर से ऐसे समय पर जब भारत चीन के रिश्तों में रक्षा और सैन्य स्तर पर तनाव बना हुआ है। चीन के रक्षा मंत्री को बुलाना दिखाता है कि नेपाल भारत की संवेदनाओं की कोई ख़ास परवाह नहीं करता। हो सकता है कि वो हमारे सैन्य प्रमुख के साथ चीन के रक्षा मंत्री की यात्रा के ज़रिए रिश्तों में संतुलन बनाना चाहते हों। लेकिन, मुझे ये असामान्य लगता है।

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वह कहते हैं कि अगर नेपाल राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास लाने में विफल होता है तो वो अपने राष्ट्रीय हितों को बचाने में नाकाम हो सकता है। पिछले साल नेपाल यात्रा के दौरान, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने विरोधियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि चीन को बांटने की कोशिश करने वालों को ‘मसल दिया जाएगा और हड्डियों का चूरमा बना दिया जाएगा।’ हाल के वर्षों में नेपाल की सत्ताधारी पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से मेलजोल बढ़ाया है और ‘राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विचार’ के बारे में वैचारिक चर्चा भी की है।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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