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चीन का सीक्रेट मिशन: लॉन्च किया ये दमदार स्पेसक्राफ्ट, जानिए ड्रैगन का क्या है प्लान
ड्रैगन ने एक स्पेसक्राफ्ट (Spacecraft) लॉन्च किया है। इस स्पेसक्राफ्ट की खासियत यह है कि ये रीयूजेबल है यानी इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। चीन ने ये सब एक सीक्रेट मिशन के तहत किया है।
नई दिल्ली: चीन लगातार खुद की सैन्य ताकत मजबूत करने में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में ड्रैगन ने एक स्पेसक्राफ्ट (Spacecraft) लॉन्च किया है। इस स्पेसक्राफ्ट की खासियत यह है कि ये रीयूजेबल है यानी इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। चीन ने ये सब एक सीक्रेट मिशन के तहत किया है। यहां तक उसने स्पेसक्राफ्ट की फोटो लेने और इस पर चर्चा करने पर भी पाबंदी लगा रखी है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक इस रीयूजेबल स्पेसक्राफ्ट को जियुकुआन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र (Jiuquan Satellite Launch Center) से अंतरिक्ष भेजा गया है।
अब इस स्पेसक्राफ्ट के लौटने पर ये देखा जाएगा कि इसे दोबारा इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है चीन का ये रीयूजेबल स्पेसक्राफ्ट और चीन इसका किसलिए इस्तेमाल कर रहा है।
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क्या है रीयूजेबल स्पेसक्राफ्ट (Reusable Spacecraft)?
चीन ने जो रीयूजेबल स्पेसक्राफ्ट (Reusable Spacecraft) लॉन्च किया है, उसका लॉन्च में बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें ऐसा मेकेनिज्म होता है कि ये धुरी से हटकर धरती के वातावरण में दोबारा लौट पाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के स्पेस शटम में भी इसी तरह की व्यवस्था है। स्पेसX ड्रैगन भी इसी तरह से काम करता है। ये इस तरह काम करते हैं कि स्पेसक्राफ्ट डीऑर्बिट हो जाता है, इससे उसकी स्पीड काफी कम हो जाती है और यह नीचे उतरने लगता है। वहीं धरती में वापसी करने के दौरान स्पेसक्राफ्ट (Spacecraft) का तापमान ज्यादा न बढ़े, इसके लिए उसमें हीट-शील्डिंग की जाती है। इस शील्डिंग /evr परत को मल्टी लेयर इंसुलेशन कहते हैं।
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थर्मल रेडिएशन से सुरक्षित रहता है अंतरिक्ष यान
यह परत ढेर सारी पतली परतों से बना होता है, जो अपनी अंदर किसी बाहरी एनर्जी को नहीं आने देता है। इससे अंतरिक्ष यान किसी थर्मल रेडिएशन से सुरक्षित रहता है। इस मल्टी लेयर इंसुलेशन को आम बोलचाल में गोल्ड प्लेटिंग भी कहा जाता है। ये परतें bwms सोने की तरह तो दिखती हैं, लेकिन यह सोने की नहीं, बल्कि ये एक तरह का प्लास्टिक होती हैं। हीट-शील्डिंग के लिए कई दूसरे मटेरियल का भी इस्तेमाल होता है। लेकिन उन पर अधिक विश्वास नहीं किया जाता। ऐसे में धरती पर वापसी के दौरान अंतरिक्ष यान नष्ट होने का खतरा होता है।
एक बार लैंड होने के बाद स्पेसक्राफ्ट का दोबारा इस्तेमाल करने के लिए तैयार करने में लगभग एक साल तक का समय लग जाता है। हालांकि कोई क्राफ्ट कितनी बार इस्तेमाल की जा सकेगी, इसकी भी एक क्षमता होती है।
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अमेरिका से होड़ में दिखा रहा ये तकनीक
ऐसा माना जा रहा है कि चीन ये तकनीक अमेरिका से होड़ में दिखा रहा है। बता दें कि अमेरिका ने भी X-37B स्पेसक्राफ्ट बनाया है, जिसे एयर फोर्स प्रोजेक्ट के तहत अब तक चार बार स्पेस में भेजा जा चुका है। नासा का स्पेस शटल प्रोग्राम भी काफी सफल रहा। इस प्रोग्राम के तहत साल 1981 से लेकर 2011 तक करीब 135 मिशन सफल हो चुके हैं। यहीं नहीं रूस ने भी साल 1988 में एक प्रोग्राम लॉन्च किया था। लेकिन अब कहा जा रहा है कि Buran नाम का ये रीयूजेबल स्पेसक्राफ्ट बनाने का प्रोग्राम बंद हो चुका है।
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मीडिया रिपोर्ट में किया जा रहा ये दावा
चीन के स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक, इस रीयूजेबल स्पेसक्राफ्ट को जियुकुआन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा गया है, लेकिन इसके अलावा इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। इसके बारे में केवल यह कहा जा रहा है कि यह तय समय में वापस लौटेगा। फिर इसके रीयूजेबल होने की जांच की जाएगी और फिर इस मुताबिक तैयार किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक में कहा गया है कि ये वहीं स्पेसक्राफ्ट हो सकता है, जो ड्रैगन ने साल 2017 में छोड़ा था। उस वक्त भी चीन ने रीयूजेबल तकनीक की बात की थी और कहा था कि वो 2020 में इसके लॉन्च की तैयारी कर रहा है।
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