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तबाही को तैयार दुनिया: तेजी से पिघल रहा ग्लेशियर, दुनिया का तीसरा ध्रुव' घिसका पीछे

किलियान ग्लेशियर जी से पिघलता जा रहा है, जिसमें दुनियाभर के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। इसकी मुख्य वजह ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण को बताया जा रहा है। 

Shreya
Published on: 13 Nov 2020 1:28 PM GMT
तबाही को तैयार दुनिया: तेजी से पिघल रहा ग्लेशियर, दुनिया का तीसरा ध्रुव घिसका पीछे
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तेजी से पिघल रहा है ग्लेशियर, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता

नई दिल्ली: ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण कितने तरीकों से इंसानों के लिए खतरा बनता जा रहा है। इन दो कारणों से एक ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है, जिसने दुनियाभर के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। ये ग्लेशियर चीन के पहाड़ों के बीच मौजूद है। इसका नाम किलियान (Qilian Glacier) है। बता दें कि इस ग्लेशियर और इसके आसपास के इलाके को 'दुनिया का तीसरा ध्रुव' (Third Pole) भी कहा जाता है। पॉल्यूशन और ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते ग्लेशियर में तेजी से परिवर्तन हो रहा है।

ये ग्लेशियर तेजी के साथ पिघल रहा

यहां पर कई ग्लेशियरों का एक समूह है। इनमें से लाओहुगोउ (Laohugou) नंबर 12 ग्लेशियर, जो कि चीन के तिब्बत के पठारों पर स्थित है, बहुत तेजी के साथ पिघल रहा है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि लाओहुगोउ (Laohugou) ग्लेशियर बीते 50 सालों में 450 मीटर पीछे चला गया है। ग्लेशियर के इस तरह खत्म होने से वैज्ञानिक काफी पेरशान हैं। इसलिए शोधकर्ता लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं। बता दें कि यह ग्लेशियर (लाओहुगोउ नंबर-12) 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।

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Laohugou Glacier (फोटो- सोशल मीडिया)

बीते कुछ सालों से की जा रही ग्लेशियर की निगरानी

वैज्ञानिकों के मुताबिक, बीते कुछ सालों से इस ग्लेशियर की निगरानी की जा रही है। इस दौरान पाया गया कि ये करीब सात फीसदी सालाना की रफ्तार से खत्म हो रहा है। अब तक इस ग्लेशियर से 13 मीटर (करीब 42 फीट) मोटी बर्फ की परत पिघल चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मॉनीटरिंग स्टेशन के निदेशक किन जियांग ने बताया कि 1950 के दशक के बाद इस क्षेत्र के टेम्परेचर में करीब 1.5 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है।

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ग्लोबल वार्मिंग के चलते पड़ा बुरा असर

उन्होंने बताया कि किलियान रेंज में करीब दो हजार 684 ग्लेशियरों के लिए ये बेहद खतरनाक समय है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से ग्लेशियर पर बुरा असर पड़ा है।

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