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चीन की चालाकी: भारत का ऐसे उठा रहा फायदा, बनाया ये प्लान

लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में सेना के 20 जवानों की शहादत के बाद सीमा पर विवाद और बढ़ गया है। जिसे लेकर एक बार फिर से भारत में चीनी उत्पादों को बायकॉट करने की लहर तेज हो गई है।

Shreya
Published on: 22 Jun 2020 12:15 PM IST
चीन की चालाकी: भारत का ऐसे उठा रहा फायदा, बनाया ये प्लान
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नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में सेना के 20 जवानों की शहादत के बाद सीमा पर विवाद और बढ़ गया है। जिसे लेकर एक बार फिर से भारत में चीनी उत्पादों को बायकॉट करने की लहर तेज हो गई है। देश में हर तरफ चीन में बने उत्पादों का विरोध करने की बात कही जा रही है। साथ ही चीनी सामानों पर निर्भरता कम करने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन असल में भारत की निर्भरता चीनी सामान पर बढ़ गई है, वो भी दवा के मामलों में। इस मामले में चीन पर भारत काफी हद तक निर्भर है और वक्त के साथ निर्भरता बढ़ती जा रही है।

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फार्मा प्रॉडक्ट के मामले में बढ़ी भारत की निर्भरता

दो साल पहले साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद फार्मा सेक्टर ने चीन पर निर्भरता कम करने, आयात में कमी लाने की बात तो कही थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और यह अब और बढ़ गई है। फार्मा प्रॉडक्ट (Pharmaceutical products) के मामले में भारत काफी हद तक चीन पर निर्भर है और अब चीन इसका गलत फायदा उठाने में लगा हुआ है। अब वो कीमतें बढ़ाने में जुट गया है। खासकर गलवान घाटी में हुई घटना के बाद से उसका रुख और आक्रामक हो गया है।

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70 फीसदी एपीआई चीन से आयात करता है भारत

बता दें कि भारत सालाना तकरीबन 39 अरब डॉलर का दवा तैयार करता है। दवा तैयार करने के जरूरी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडेंट यानी एपीआई भारत चीन से आयात करता है। इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक, भारत अपनी जरूरत के 70 फीसदी एपीआई चीन से आयात करता है। वहीं कुछ दवाओं जैसे सिलिन और एजिथ्रोमाइसिन जैसे उत्पादों के लिए यह 90 फीसदी तक भी है। वित्त वर्ष 2019 में भारत ने चीन से करीब 2.5 अरब डॉलर यानी 17 हजार 400 करोड़ रुपये का एपीआई आयात किया था।

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दो तरफ से चीन कर रहा भारत पर हमला

फार्मासूटिकल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ ने कहा कि चीन हम पर दो तरह से हमला कर रहा है। एक तो वो सीमा पर हमला कर रहा है। वहीं दूसरी ओर चीन उसके ऊपर भारत की निर्भरता का गलत फायदा उठा रहा है और इसीलिए वह एपीआई की कीमत में तेजी से दवाओं की कीमत बढ़ने लगी है। पेरासिटामोल की कीमत में 27 फीसदी, पेन्सिलीन जी की कीमत में 20 फीसदी और ciprofloxacin की कीमत में 20 फीसदी तेजी आई है। फार्मा प्रॉडक्ट की कीमत में लगभग 20 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

API के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर हैं दवा कंपनियां

यह स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है। क्योंकि वॉल्यूम के लिहाज से भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है। भारत की प्रमुख दवा कंपनियां भी API के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर हैं। भारत 53 महत्वपूर्ण फार्म API का 80-90 फीसदी आयात चीन से करता है। फार्मा उत्पादों के आयात में 2016-17 से 2019-20 तक ग्रोथ 28 फीसदी हुई है।

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