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चीनी घुसपैठ बढ़ीः इन चोर रास्तों के जरिये भारत में कुंडली मारकर बैठा

चीन को भारत के स्टार्ट अप्स सबसे ज्यादा प्रिय हैं। ईकॉमर्स, फाइनेंशियल सर्विस, मीडिया, सोशल मीडिया, एग्रीगेटर सर्विस, और लॉजिस्टिक्स में 75 कंपनियों में चीनी पैसा लगा हुआ है। 1 बिलियन डालर की वैल्यू से ज्यादा के कम से कम 30 स्टार्ट अप में से आधे में चीनी निवेशक शामिल हैं।

राम केवी
Published on: 1 Jun 2020 5:57 PM IST
चीनी घुसपैठ बढ़ीः इन चोर रास्तों के जरिये भारत में कुंडली मारकर बैठा
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लखनऊ। चीन ने बीते 5 साल में भारत में अपनी एक महत्वपूर्ण जगह बना ली है। ऐसी जगह जो सीधे तौर पर नजर नहीं आती। दरअसल, पहले तो चीन ने भारत को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल होने का आग्रह किया, दबाव डाला और हर तरह से कोशिशें कीं। जब भारत नहीं माना तो चीन ने धन-बल के जरिये भारत में घुसपैठ करनी शुरू कर दी, जैसा कि वह कई देशों में करता आया है। चीन ने स्टार्टअप्स में धन लगाया, ऑनलाइन इकोसिस्टम में स्मार्ट फोन और ऐप्स के जरिये जड़ें फैला दीं। भारत ने भले ही बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से किनारा कस लिया हो लेकिन अन्जाने में चीन के लिए वर्चुअल गलियारे का रास्ता खोल दिया। इस रास्ते पर चलते हुये चीन ने डेटा से लेकर अर्थव्यवस्था तक अपनी गहरी पहुँच बना ली है।

अमेरिकी दिग्गज कंपनियां फेल

भारत के स्टार्टअप्स में चीन के टेक निवेशकों ने करीब चार बिलियन डालर लगाए हैं। इनकी सफलता की कहानी इसी से पता चलती है कि मार्च 2020 तक के 5 साल में भारत के सफलतम 30 स्टार्टअप में से 18 चीन द्वारा फंडेड हैं। चीनी विडियो ऐप टिक टॉक के भारत में 20 करोड़ सब्सक्राइबर है और इसने भारत में यू ट्यूब को पीछे छोड़ दिया है।

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अलीबाबा, टेंसेंट और बाइटडांस ने भारत में फेसबुक, गूगल और अमेज़न जैसी अमेरिकी दिग्गज कंपनियों को पीछे कर दिया है। ओप्पो और शियोमी का भारत के स्मार्टफोन बाजार के 72 फीसदी हिस्से पर कब्जा है। सैमसंग और ऐपल बहुत पीछे चले गए हैं। अलीबाबा, टेंसेंट और बाइटडांस जैसी कंपनियों ने भारत में 92 भारतीय स्टार्टअप्स को फंडिंग की हुई है। जिनमें पेटीएम, बाइज्यू, ओला और ओयो शामिल हैं।

क्या है वजह

भारत में चीन की टेक कंपनियों की गहरी जड़ों का कारण भारतीय स्टार्ट अप्स को फंडिंग देने वालों की नितांत कमी है। भारतीय वेंचर इन्वेस्टर पैसा लगाने से हाथ रोके रहते हैं जिसका फायदा चीनी निवेशक उठाते हैं। अलीबाबा ने 2015 में भारत के पेटीएम में पैसा लगाया और आज पेटीएम एक बड़ा प्लेयर बन चुका है।

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चीनी निवेशक काफी आगे के फायदे देख कर काम करते हैं। इसी कारण घाटा उठा रहे स्टार्ट अप्स में पैसा लगाते चले जाने से परहेज नहीं करते। इसके अलावा चीनी कंपनियाँ रणनीतिक तरीके से काम करती हैं। मिसाल के तौर पर चीन ने बिजली से चलने वाले वाहनों का भविष्य बहुत पहले समझ लिया।

इस सेक्टर में चीन की विशेषज्ञता है और भारत दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा ऑटो बाजार है। चीन की बीवाईडी कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों की अग्रणी कंपनी है। ये भारत में इलेक्ट्रिक बसों के बाजार में आगे बढ़ती जा रही है। चीन के ऑटो निर्माताओं ने 575 मिलियन डालर का निवेश कर रखा है।

चीन का रणनीतिक निवेश

भारत में चीन ने निवेश की खेती करने के लिए टेक कंपनियों और वेंचर कैपिटल फंड्ज का सहारा लिया है। जबकि पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, केन्या, ज़िम्बाब्वे, आदि देशों में चीन ने फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी कारखाने, बिल्डिंग आदि में निवेश लगा रखा है।

भारत में चीन का एफडीआई सिर्फ 6.2 बिलियन डालर का है लेकिन टेक उद्योग के फैलाव के कारण इसका प्रभाव व्यापक है। चीन ने किसी रेलवे लाइन, बन्दरगाह, हाइवे, में निवेश नहीं किया है बल्कि ऐसी चीजों को पकड़ा है जिससे भारतीय सोसाइटी, इकॉनमी, और टेक्नोलोजी ईको सिस्टम प्रभावित होता है।

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चीन के भारत में असेट या परिसंपत्तियाँ अदृश्य और बहुत थोड़ी हैं और सभी निवेश प्राइवेट सेक्टर द्वारा किया गया है। इन सब वजहों से ऊपरी तौर पर कोई खतरे वाली बात भी नहीं दिखती है।

सबसे बड़ा निवेश

चीन का अभी तक का सबसे बड़ा निवेश 1.1 बिलियन डालर का है। 2018 में चीनी कंपनी ग्लैंड फार्मा कंपनी का चीनी निवेशकों ने टेक ओवर किया था और एक निवेशक फंड कंपनी के जरिये धन लगाया गया। इसके अलावा मात्र 5 ऐसे निवेश हैं जो 100 मिलियन डालर से अधिक के हैं और इनमें एमजी मोटर्स द्वारा 300 मिलियन डालर का निवेश शामिल है।

स्टार्ट अप पर नजर

चीन को भारत के स्टार्ट अप्स सबसे ज्यादा प्रिय हैं। ईकॉमर्स, फाइनेंशियल सर्विस, मीडिया, सोशल मीडिया, एग्रीगेटर सर्विस, और लॉजिस्टिक्स में 75 कंपनियों में चीनी पैसा लगा हुआ है। 1 बिलियन डालर की वैल्यू से ज्यादा के कम से कम 30 स्टार्ट अप में से आधे में चीनी निवेशक शामिल हैं।

इन कंपनियों में कुछ ये हैं :

- बिग बास्केट

- बाइज्यू

- फ्लिपकार्ट

- हाइक

- मेक माइ ट्रिप

- ओला

- ओयो

- पेटीएम

- पॉलिसी बाजार

- क्विकर

- रिविगो

- स्नैपडील

- स्विगी

- उड़ान

- जोमैटो

- रेपीडो

- सिटी मॉल

- हँगामा डिजिटल मॉल

- शेयर चैट



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राम केवी

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