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लीबिया में छिड़ा युद्ध, सेना ने उठाया ये खतरनाक कदम, दुनिया में मचा हाहाकार

दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कच्चे तेल पर निर्भर है, लेकिन पिछले कुछ सालों से कई बड़े तेल उत्पादक देश राजनीतिक अस्थिरता की वजह से संकट में घिर गए हैं। इन देशों में लीबिया भी शामिल है और कुछ बड़े तेल उत्पादक देश आपस में ही लड़ रहे हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 20 Jan 2020 12:17 PM GMT
लीबिया में छिड़ा युद्ध, सेना ने उठाया ये खतरनाक कदम, दुनिया में मचा हाहाकार
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नई दिल्ली: दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कच्चे तेल पर निर्भर है, लेकिन पिछले कुछ सालों से कई बड़े तेल उत्पादक देश राजनीतिक अस्थिरता की वजह से संकट में घिर गए हैं। इन देशों में लीबिया भी शामिल है और कुछ बड़े तेल उत्पादक देश आपस में ही लड़ रहे हैं।

दरअसल एक तरफ ईरान और अमेरिका में तनाव चल रहा है और दोनों देश एक दूसरे तबाह करने की धमकी दे रहे हैं। इराक और लेबनान में भी परोक्ष युद्ध चल रहा है। तो वहीं ईरान और सऊदी अरब में छत्तीस का आंकड़ा है। सीरिया पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। अब लीबिया में अंदरुनी राजनीति संकट के कारण तेल उत्पादन पर असर पड़ रहा है।

लीबिया में अंदरूनी लड़ाई के कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को तेजी देखी गई, क्योंकि लीबिया के 2 ऑयलफील्ड में उत्पादन रुकने से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। ब्रेंट के दाम फिर 65 डॉलर के ऊपर निकल गए हैं।

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लीबिया में तनाव की वजह से सेना ने दो पाइपलाइन को बंद कर दिया है, जिससे सप्लाई पर असर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव तकरीबन 10 दिनों की ऊंचाई पर चला गया है। बीते नौ जनवरी के बाद का ब्रेंट क्रूड के दाम का यह सबसे ऊंचा स्तर है।

गौरतलब है कि लीबिया काफी लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। ताजा घटना से तेल की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंकाओं से कीमतों में उछाल आया है। कच्चे तेल के दाम में तेजी आने से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फिर इजाफा हो सकता है।

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लीबिया में शांति स्थापित करने और उसे 'दूसरा सीरिया' बनने से रोकने की कोशिश के तहत दुनिया भर के नेता 19 जनवरी को बर्लिन में इकट्ठा हुए थे। रूस, तुर्की और फ्रांस के राष्ट्रपति चाहते हैं कि लीबिया में शांति कायम हो।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा कच्चे तेल के भंडार वाले टॉप-10 देशों में लीबिया 9वें स्थान पर है। लीबिया के पास 48.4 अरब बैरल कच्चे तेल का भंडार है। बता दें कि वर्ष 2011 में तानाशाह मुअम्मर कज्जाफी की मौत के बाद से लीबिया में अराजकता फैली हुई है।

Dharmendra kumar

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