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खौफनाक नहीं कोरोना: बढ़ा दूसरी लहर का खतरा, जोखिम में जान, पर डर खत्म

भारत में केरल ने भी कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है। महाराष्ट्र में भी दूसरी लहर की आशंका है। दूसरी लहर के पीछे लोगों का बेपरवाही भरा व्यवहार जिम्मेदार है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 20 Oct 2020 1:58 PM GMT
खौफनाक नहीं कोरोना: बढ़ा दूसरी लहर का खतरा, जोखिम में जान, पर डर खत्म
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लगभग 40 करोड़ लोगों के संक्रमित हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जबकि संक्रमण के कुल मामलों का आधिकारिक आंकड़ा सिर्फ 75 लाख के आस पास है।

नीलमणि लाल

लखनऊ कोरोना महामारी का प्रकोप बरकरार है लेकिन भारत में ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों लोगों में अब बीमारी का कोई भय ही नहीं है। बाजार खुले हैं, लोगों का सामान्य आवागमन हो रहा है, ट्रेनें चल रहीं हैं, मेट्रो चल रहीं हैं, बिहार में चुनाव हो रहे हैं, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उपचुनाव हो रहे हैं, धरना प्रदर्शन चल रहा है। लॉकडाउन तो ख़त्म हो ही गया है। कोरोना को लेकर कोई बंदिश न लोग मानने को तैयार हैं, न ही सरकार। लेकिन बीमारी अपनी जगह पर कायम है, कोई इलाज या दवा या वैक्सीन अब तक ढूंढी नहीं जा सकी है।

यूरोपीय देशों में कोरोना की दूसरी लहर लौट रही है। भारत में कई राज्यों में भी यही स्थिति है। केंद्र सरकार ने भी अब मान लिया है कि देश में कोरोना वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है। साथ ही ये भी कहा है कि अगर सावधानी में ढील दी गयी तो महीने भर में 26 लाख से ज्यादा केस आ जायेंगे। अब त्योहारों में लोग घरों से बाहर निकलेंगे और आवाजाही बढ़ेगी। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ेगा। साथ ही सर्दियों के मौसम में ऐसी बीमारियां और रफ्तार पकड़ती है।

ऐसे में सरकार की चिंता भी बढ़नी शुरू हो गई है। सरकार मान रही है अगले कुछ महीने चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं। नीति आयोग के डॉ वीके पॉल ने चेताया है कि देश के 90 प्रतिशत लोगों पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। इस समय देश में 30 प्रतिशत लोगों में कोविड-19 की एंटीबॉडी होने की संभावना है। इसका मतलब है लगभग 40 करोड़ लोगों के संक्रमित हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जबकि संक्रमण के कुल मामलों का आधिकारिक आंकड़ा सिर्फ 75 लाख के आस पास है।

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virus फोटो(सोशल मीडिया)

संक्रमण की रफ्तार तेज

भारत में कोरोना महामारी के बीच रिकवरी रेट भले ही बेहतर है और मरने वालों की संख्या की दर भी अपेक्षाकृत रूप से बहुत कम है, इसके बावजूद आबादी के विशाल आकार को देखते हुए यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि देश में खतरा कायम है और नए नए इलाके संक्रमण की जद में आ रहे हैं। खतरों के बीच देखा जा रहा है कि लोग महामारी से बचाव को लेकर बेफिक्र हो चले हैं। मास्क पहनने से लोग कतरा रहे हैं, मास्क को मजबूरी की तरह, तो कहीं लापरवाही से पहने हुए देखा जा सकता है।

फिजिकल डिस्टेंसिग के प्रति भी ज्यादातर लोग अब सचेत नजर नहीं आते। सड़कों पर थूकना, पेशाब करना, कूड़ा फेंकना जारी है और लगता नहीं है कि यह वही आशंकित, भयभीत लोग हैं जो कुछ दिन पहले कोरोना वायरस को भगाने के लिए कुछ भी करने को तत्पर नजर आते थे। लोग अब ये कहते हैं कि जब सब कुछ खोल दिया गया है और बंदिशें भी ज्यादातर हट गयीं हैं तो सरकार ने कुछ सोच कर ही ये किया होगा।

घातक रवैया

मास्क से जुड़ी प्रशासनिक और चिकित्सकीय हिदायतों को न सिर्फ भुला रहे हैं, बल्कि कई लोगों ने तो इन हिदायतों का यह कहकर पालन करने से मना कर दिया है कि इनसे कुछ होने वाला नहीं। आम धारणा बनती जा रही है कि अगर संक्रमण होना है तो होकर रहेगा - नहीं होना होगा तो नहीं होगा। दूसरा तर्क यह चल पड़ा है कि हमें कुछ नहीं होगा क्योंकि हमारा तो खानपान ठीक है, हमारा शरीर मजबूत है, हम तमाम बीमारियाँ झेलते रहते हैं आदि। लोग एक तरह से खुश हैं कि वे कोरोना से बचे हैं लेकिन इस बात से शायद अनजान हैं कि कोरोना का दायरा उन तक बढ़ता ही जा रहा है।

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corona-testing फोटो(सोशल मीडिया)

मनमानी करने की ढिठाई

किसी भी निर्देश का पालन नहीं करना एक तरह से मनमानी करने की ढिठाई है। यह मानसिकता अपना काम बन जाने के स्वार्थ वाली होती है और भारत इस समय कई तरह के जिन सामाजिक संकटों से घिरा है, उनमें एक यह भी है। जनता सिर के ऐन ऊपर तने हुए कानूनों और आदेशों पर तो अमल कर लेती है लेकिन इन कायदों कानूनों में जरा भी छूट मिलते ही अपनी मनमर्जी में लौट जाती है।

सावधानी हटी दुर्घटना घटी

भारत सरकार के एक्सपर्ट्स के एक पैनल ने कहा है कि अगर कोरोना से बचाव के पूरे प्रोटोकॉल का पालन किया गया तो देश फरवरी 2021 के अंत तक महामारी के प्रसार को रोकने में सफल हो जाएगा। आने वाले त्योहारों और सर्दियों के मौसम की वजह से और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि अगर लापरवाही हुई तो आने वाले महीनों में संक्रमण के मामले गंभीर रूप से बढ़ सकते हैं। ऐसा होने पर एक महीने में संक्रमण के 26 लाख से भी ज्यादा नए मामले सामने आ सकते हैं।

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दूसरी लहर की आशंका

नीति आयोग के सदस्य और कोरोना एक्सपर्ट्स पैनल के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने माना है कि नए मामले और मौतें कम हुई हैं, लेकिन सर्दियों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। डॉक्टर वीके पॉल ने कहा है कि अगले दो-तीन महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं। सबको मास्क पहनने से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने तक के ऐहतियात बरतने जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में सांस लेने में परेशानी पैदा करने वाले वायरस और खतरनाक हो जाते हैं।

हमें कोरोना वायरस के मामले कम करने के लिए प्रयास करने होंगे। हमें यह भी याद रखना होगा कि दुनिया में संक्रमण दूसरी पीक की तरफ बढ़ रहा है। सर्दियों के दौरान श्वासप्रणाली में संक्रमण के मामले ज्यादा होते हैं। जहां तक कोरोना वायरस की बात है, यह बीमारी श्वासप्रणाली को प्रभावित करती है। सर्दियों के दौरान ऐसे मामले बढ़ते हैं। यूरोप के कई देशों में अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर देखी जा रही है। भारत में केरल ने भी कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है। महाराष्ट्र में भी दूसरी लहर की आशंका है। दूसरी लहर के पीछे लोगों का बेपरवाही भरा व्यवहार जिम्मेदार है।

corona फोटो(सोशल मीडिया)

लॉकडाउन कीओर बढ़ें कई देश

दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थोड़ी कम हुई है, लेकिन कई देश इसकी दूसरी लहर के कारण फिर से लॉकडाउन की और बढ़ रहे हैं। यूरोप के जिन देशों ने कोविड-19 के प्रसार को काफी नियंत्रित कर लिया था वहां अब संक्रमण फिर से बढ़ने लगे हैं। अल्बानिया, बुल्गारिया, चेक रिपब्लिक, मॉन्टेंगरो, नार्थ मेसेडोनिया में अगस्त के मुकाबले अब बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। दूसरी ओर फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, पोलैंड और नीदरलैंड में तो कोरोना की दूसरी लहर आ भी चुकी है और वहां सख्त पाबंदियां लगाई जा रहीं हैं।

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सबसे बुरी हालत पेरिस

फ्रांस में संक्रमण की हालत बेहद खराब है। सबसे बुरी हालत पेरिस की है, जहां प्रतिदिन औसतन 3,500 नए मामले सामने आ रहे हैं। इसको देखते हुए सरकार ने पेरिस में दो सप्ताह का मिनी लॉकडाउन लागू कर दिया है। इसके तहत बार और कैफे बंद किए गए हैं और सोशल डिस्टेसिंग सहित अन्य उपायों पर नए नियम लागू किए गए हैं।

जर्मनी में अब संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं और प्रतिदिन औसतन 10,000 मामले सामने आ रहे हैं। इसको देखते हुए सरकार ने सभी तरह के समारोह पर दिसंबर तक रोक लगा दी है। इसके अलावा क्वारंटाइन के नए नियम लागू करने के साथ अधिक प्रभावित देशों से आने वालों को 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन के निर्देश दिए हैं। सरकार ने संक्रमण से निपटने के लिए सख्ती की है। इसके तहत सभी लोगों के लिए मास्क को अनिवार्य किया गया है।

संक्रमण की दूसरी लहर

स्पेन कोरोना से सबसे प्रभावित देशों में एक है। यहां संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है। मैड्रिड यहां का सबसे प्रभावित शहर है। ऐसे में वहां आंशिक लॉकडाउन लागू किया गया है। रात 10 बजे बाद किसी भी बार और रेस्तरां को संचालन की अनुमति नहीं है और पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर रोक है। प्रभावित देशों में शीर्ष पर रहे इटली में फिर से संक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं। यहां रोजाना एक हजार से ज्यादा केस फिर आने लगे हैं। ऐसे में यहां की सरकार ने एहतियात के तौर पर सभी नाइट क्लब और डांस बार को बंद कर दिया है। इसके अलावा पूरे देश में मास्क और सोशल डिस्टेसिंग को अनिवार्य किया है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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