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जीवन रक्षक मशीन: क्या जिंदगी देने वाला वेंटिलेटर, ले रहा कोरोना मरीजों की जान
एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि अस्पतालों में वेंटिलेटर पर पड़े कोरोना मरीजों की असाधारण रूप से ज्यादा मौतें हो रही हैं। ऐसे में डॉक्टरों की चिंता यह है कि वेंटिलेटर कुछ खास मरीजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
नई दिल्ली: दिन-प्रतिदिन कोरोना की मार घातक होती जा रही है, कोरोना के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौतें वेंटिलेटर पर हो रही हैं। बता दें कि दुनियाभर के स्वास्थ्यकर्मी कोरोना मरीजों के उपचार के लिए जहां ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेटर की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ डॉक्टर इस जीवन रक्षक मशीन के इस्तेमाल से भाग रहे हैं।
डॉक्टर रीयल टाइम डाटा पर भरोसा कर रहे हैं
एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि अस्पतालों में वेंटिलेटर पर पड़े कोरोना मरीजों की असाधारण रूप से ज्यादा मौतें हो रही हैं। ऐसे में डॉक्टरों की चिंता यह है कि वेंटिलेटर कुछ खास मरीजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। महज एक महीने पहले सामने आए कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज कर रहे डॉक्टर अब भी इसके बेहतर उपचार के तरीके सीख रहे हैं। मरीजों की तेजी से हो रही मौत और बुनियादी वस्तुओं की आपूर्ति की कमी के बीच डॉक्टर रीयल टाइम डाटा पर भरोसा कर रहे हैं।
80 फीसदी से ज्यादा कोरोना मरीजों की मौत वेंटिलेटर पर
विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर सांस की गंभीर तकलीफ वाले 40 से 50 फीसदी मरीजों की वेंटिलेटर पर मौत हो जाती है। वहीं न्यूयार्क शहर के अधिकारियों ने बताया कि वेंटिलेटर पर रखने वाले 80 फीसदी से ज्यादा कोरोना मरीजों की मौत हो रही है।
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क्या वेंटिलेटर वाकई कोरोना पीड़ितों के लिए काल बन रहे
विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि क्या वेंटिलेटर वाकई कोरोना पीड़ितों के लिए काल बन रहे हैं। वेंटिलेर पर ज्यादा मौत के बारे में न्यूयार्क के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो का कहना है कि निमोनिया के मरीज एक या दो दिन से ज्यादा वेंटिलेटर पर नहीं रहते। जबकि कोरोना संक्रमितों को जीवन रक्षक मशीन पर 10 से 15 दिनों तक रखना आम बात है, फिर भी वे मर रहे हैं।
वुहान में 86 फीसदी मौतें वेंटिलेटर पर
अमेरिकी लंग एसोसिएशन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अलबर्ट रिजो ने कहा, अमेरिका के अन्य स्थानों से भी सामान्य के मुकाबले कोरोना के ज्यादा मौत के मामले सामने आ रहे हैं। इसी तरह की कई सारी रिपोर्ट चीन और ब्रिटेन से भी आ रही हैं।
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वुहान में एक अध्ययन में बताया गया है कि वहां वेंटिलेटर पर रखे गए 86 फीसदी कोरोना मरीजों की मौत हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी कारण स्पष्ट नहीं है। न मालूम संक्रमण से पहले मरीज की कैसी दशा रही हो। या वेंटिलेटर पर रखने के समय उसकी बीमारी की गंभीरता पर उसकी मौत निर्भर हो सकती है।