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ईरानी लोग नहीं माने तो कोरोना से होंगी 35 लाख मौतें

ईरान में कोरोना वायरस से एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। देश के सभी 31 प्रान्तों में कोरोना संक्रमण फैलता ही जा रहा है. इसकी वजह भी हैरान करने वाली है। दरअसल, ईरानी लोग और ईरान सरकार खुद ही इसके लिए जिम्मेदार हैं।

Shivani Awasthi
Published on: 18 March 2020 9:45 AM GMT
ईरानी लोग नहीं माने तो कोरोना से होंगी 35 लाख मौतें
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नीलमणि लाल

लखनऊ: ईरान में कोरोना वायरस से एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। देश के सभी 31 प्रान्तों में कोरोना संक्रमण फैलता ही जा रहा है. इसकी वजह भी हैरान करने वाली है। दरअसल, ईरानी लोग और ईरान सरकार खुद ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। ईरानी जनता इस संकट के दौर में भी सरकार का कोई सहयोग नहीं कर रही है और अंदेशा है कि ऐसा ही चलता रहा तो ईरान में कोरोना से 35 लाख मौतें हो जायेंगी। ये भी हैरानी की बात है कि पूरे ईरान में कोरोना वायरस फ़ैल जाने के बावजूद सरकार ने न तो कोई बंदी की है और न आवागमन आदि पर रोक लगाई है। सिर्फ दिशा निर्देश ही जारी किये गए हैं।

जनता पर दिशा निर्देश बेअसर

ईरान में कोरोना वायरस फैलने के बाद एक तो सरकार बहुत देर से जागी. लोगों के आवागमन, भीड़ जमा होने, धार्मिक स्थानों पर जाने पर प्रतिबन्ध लगाने की बजाये सिर्फ एडवाइजरी ही जारी की गयी। हैरानी की बात है कि इन एडवाइजरी और हेल्थ सम्बन्धी सलाहों और निर्देशों का भी पालन नहीं किया जा रहा। दिशा निर्देशों को ईरानियों ने गंभीरता से नहीं लिया है।

तेहरान यूनिवर्सिटी की एक स्टडी कहा गया है कि अगर अब भी लोगों ने आवागमन और हेल्थ सम्बन्धी एडवाइजरी को गंभीरता से नहीं लिया तो देश में दसियों लाख लोगों की मौत हो सकती है।

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डॉ अफरुज़ एस्लामी ने कहा है कि अगर लोग अब भी पूरी तरह सहयोग करने लगें तो वायरस का प्रकोप खत्म होने तक देश में सवा लाख संक्रमण और 12 हजार मौतें होने का अनुमान है, लेकिन अगर लोग दिशा निर्देशों का पालन नहीं करेंगे तो ईरान का हेल्थ सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा और चालीस लाख संक्रमण और 35 लाख मौतें होने का अंदेशा है।

ईरान की सरकार जनता से बार बार कह रही है कि लोग अपने-अपने घरों में ही रहें। सुरक्षा बल भी यही गुहार लगाने के अलावा चेतावनी भी दे रहे हैं लेकिन लोगों पर इनका कोई असर ही नहीं हो रहा है।

तीर्थ स्थलों पर भारी भीड़

ईरान में दुनिया भर और ख़ास कर मध्य पूर्व से शिया समुदाय के लोग तीर्थ यात्रा पर आते हैं। माना जा रहा कि इस क्षेत्र में कोरोना वायरस के फैलने में इन तीर्थ यात्रिओं का आवागमन बहुत बड़ा कारण है। सऊदी अरब ने तो कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए अपने यहाँ स्थित इस्लाम के पवित्रतम स्थलों को बंद कर दिया है, लेकिन ईरान ने ऐसा कोई कदम शुरुआत में नहीं उठाया. ईरान के क्योम में कोरोना वायरस से मौतों की पहली ख़बरें 19 फरवरी को आयीं। इस शहर में शिया समुदाय के ढेरों पवित्र स्थल हैं जहाँ बड़ी संख्या में लोग आते-जाते रहते हैं। ईरान की हेल्थ मिनिस्ट्री ने क्योम शहर के अधिकारीयों से कहा था कि वे पवित्र स्थलों को बंद कर दें लेकिन ये सुझाव लागू ही नहीं किया गया।

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21 फरवरी को देश में आम चुनाव हुए और कहीं इतनी बड़ी महामारी की चिंता नजर नहीं आ रही थी। बाद के दिनों में ईरान के उपस्वास्थ्य मंत्री इराज हरिरची को खुद संक्रमण हो गया। इसके बाद तो पता चला कि कम से कम 23 सांसदों को संक्रमण हो चुका है। उप राष्ट्रपति तक ने घोषणा की कि वह खुद बीमार हैं। 1 मार्च को खामेनेई के ख़ास सिपहसालार की कोरोना वायरस से मौत हो गयी। इन घटनाक्रमों के बाद जा कर ईरान में स्कूल और विश्वविद्यालय बंद किये गए। दिशा निर्देश जारी किये गए, लेकिन मामला हाथ से निकल चुका था।

जबरन दरगाहों में घुसी भीड़

ईरान के मशहद में इमाम रज़ा और क्योम में फातिमा मासूमा की दरगाह है. यहाँ लोग चौबीसों घंटे प्रार्थना करते हैं और इन पवित्र स्थलों को छूते व चूमते हैं। लोगों के बीच कोरोना वायरस का प्रसार न हो इसके लिए शिया धर्म गुरुओं ने 16 मार्च को इन पवित्र स्थलों को बंद करने का फैसला किया। इस फैसले की खबर जैसे ही सरकारी टेलीविज़न पर आयी, विरोध प्रदर्शन भड़क गए. उसी रात गुस्साई भीड़ मशहद और क्योम स्थित दरगाहों में जबरन घुस गयी।

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खामेनेई ने दिया फतवा

ख़राब होते हालातों के बीच सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खामेनेई ने फतवा जारी करते हुए देश में ‘गैर जरूरी’ आवागमन पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। ईरानी पुलिस ने भी फ़ारसी नव वर्ष ‘नवरोज़’ के पहले होने वाले समारोहों और आग पर चलने के परम्परागत फेस्टिवल पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।

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Shivani Awasthi

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