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कोरोना वायरस: दुनिया में मची तबाही, आने वाली है सबसे बड़ी आर्थिक मंदी

यूरोप के लिए अच्छी खबर है कि यहां कोरोना महामारी का प्रभाव कम हो रहा हैं। लेकिन बुरी खबर यह है कि यूरोपीय आयोग के नए पूर्वानुमान में 7.4 फीसदी का आर्थिक पतन हो गया है। जबकि यदि ब्रिटेन, इटली, स्पेन, फ्रांस में संक्रमण के मृतकों का आंकड़ा जोड़ दें तो यूरोपीय संघ में मरने

suman
Published on: 8 May 2020 9:27 AM IST
कोरोना वायरस: दुनिया में मची तबाही, आने वाली है सबसे बड़ी आर्थिक मंदी
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नई दिल्ली कोरोना महामारी के तौर पर दस्तक दे चुके वायरस की वजह से दुनिया अपने इतिहास की सबसे बड़ी मंदी की तरफ बढ़ चुकी है। विश्व की आधी आबादी घरों में बंद है और अधिकांश बड़ी आर्थिक शक्तियों में औद्योगिक गतिविधियां एक के बाद एक ठप हो गई हैं। इस हालात के बीच सबसे बड़ी मंदी की शुरुआत हो चुकी है।

इसी बीच यूरोप के लिए अच्छी खबर है कि यहां कोरोना महामारी का प्रभाव कम हो रहा हैं। लेकिन बुरी खबर यह है कि यूरोपीय आयोग के नए पूर्वानुमान में 7.4 फीसदी का आर्थिक पतन हो गया है। जबकि यदि ब्रिटेन, इटली, स्पेन, फ्रांस में संक्रमण के मृतकों का आंकड़ा जोड़ दें तो यूरोपीय संघ में मरने वाले अमेरिका से ज्यादा हो चुके हैं।

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यूरोपीय आयोग के जारी ताजा अनुमान के अनुसार, यूरोप की अर्थव्यवस्था इस साल 7.4 प्रतिशत तक सिकुड़ जाएगी। इटली और जर्मनी में पिछले दो हफ्तों के मुकाबले अब मौतों की संख्या में कमी आई है। लेकिन अब तक अमेरिका के मुकाबले यूरोपीय संघ (ईयू) में मृतक आंकड़ा काफी ऊपर जा चुका है। जबकि ईयू के सामने दूसरी भीषण चुनौती आर्थिक मंदी की है।

एक शीर्ष अधिकारी ने यूरोपीय संघ के निवासियों से कहा, पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरी आर्थिक मंदी की आशंका के लिए कमर कस लें। ब्रिटेन में अब तक संक्रमण से 29,427 मौतें हुई हैं जबकि इटली में 29,315, स्पेन में 25,857, फ्रांस में 25,531 लोग मारे जा चुके हैं। अकेले इस संख्या को मिलाने मात्र से यह अमेरिका में कुल मौतों से आगे हो जाती है। जबकि ईयू के कई देशों में मौत का सिलसिला जारी है।

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अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी गिरावट

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने चेतावनी दी है कि 2021 में सुधार से पहले 2020 की पहली छमाही में देश की अर्थव्यवस्था का कुल आकार 30 फीसदी और इस साल के अंत तक 14 फीसदी घट जाएगा। रोजगार के मोर्चे पर बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कहा, ब्रिटेन में बेरोजगारी दोगुना बढ़कर 9 फीसदी हो जाएगी। इसमें 60 लाख उन कर्मचारियों का आंकड़ा शामिल नहीं है, जिन्हें सरकार की ‘रोजगार सुरक्षा योजना’ के तहत कई कंपनियों ने नौकरी से निकाला नहीं है। योजना के तहत ब्रिटेन की सरकार इन कर्मचारियों के वेतन का 80 फीसदी खुद दे रही है।कोरोना के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 1,706 के बाद तीन शताब्दी (300 साल) से ज्यादा समय के निचले स्तर पर पहुंच जाएगी।

ब्रिटेन की केंद्रीय बैंक ने कहा, लॉकडाउन खत्म होने के बाद इस साल की दूसरी छमाही से अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण दिखने लगेंगे। अगर महामारी पर काबू पा लिया गया तो ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा। उधर, बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने बृहस्पतिवार को अपनी मुख्य ब्याज दर को 0.1 फीसदी के स्तर पर अपरिवर्तित बनाए रखने का फैसला किया। यह बैंक की न्यूनतम ब्याज दर है।



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