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कोरोना के साथ एक-एक पल ऐसे बदली चीन के लोगों की जिंदगियां

चीन में कोरोना वायरस दिसंबर, 2019 से ही फैलना शुरु हो गया था। लेकिन शुरुआत में डॉक्टर्स भी कोरोना के लक्षणों के बारे में नहीं जान पाए, जिस वजह से पूरी दुनिया को समय पर अलर्ट नहीं किया जा सका।

Shreya
Published on: 2 April 2020 12:51 PM IST
कोरोना के साथ एक-एक पल ऐसे बदली चीन के लोगों की जिंदगियां
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कोरोना के साथ एक-एक पल ऐसे बदली चीन के लोगों की जिंदगियां

लखनऊ: चीन में कोरोना वायरस दिसंबर, 2019 से ही फैलना शुरु हो गया था। लेकिन शुरुआत में डॉक्टर्स भी कोरोना के लक्षणों के बारे में नहीं जान पाए, जिस वजह से पूरी दुनिया को समय पर अलर्ट नहीं किया जा सका। शुरुआत में पहले सिक्योरिटी गार्ड्स ने ग्लव्स पहनने शुरु किए। उसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने फेस मार्सक भी लगाना शुरु कर दिया। फिर वे थर्मल स्कैनर्स के जरिए लोगों का तापमान मापन लगे।

डॉक्टरों को भी नहीं पता चला क्या है समस्या

दरअसल, चीन के वुहान शहर में दिसंबर में निमोनिया के कुछ मामले सामने आए थे। इनमे से कुछ लक्षणों को डॉक्टर भी भाप नहीं पाए। फिर इन मरीजों को आइसोलेट कर इनका इलाज शुरु किया गया। शुरुआत में कुछ न पता चल पाने के चलते दुनिया को भी इस खतरे के बारे में नहीं बताया जा सका। फिर 72 दिनों के बाद इस बीमारी को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने महामारी (Pandemic) घोषित कर दिया।

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इस पत्रकार के जुबानी जानिए, चीन की कहानी

CNBC के बीजिंग ब्‍यूरो की चीफ ई. यून हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस के फैलने की शुरुआती समय से ही चीन में रहकर रिपोर्टिंग कर रही थीं। यून ने एक रिपोर्टर के तौर पर और एक बीजिंग के निवासी के तौर पर महामारी के दौरान हुए अपने अनुभवों के बारे में बताया। यून ने अपनी रिपोर्टिंग जनवरी में तब शूरू की, जब वहां के एक शीर्ष महामारी विशेषज्ञ (Top epidemiologist) ने बताया कि यह वायरस इंसान से इंसान में फैल रहा है।

इस दौरान चीन में शुरू होता है वसंत का त्योहार

इसी समय चीन में वसंत का त्योहार भी शुरु होता है। बता दें कि इसे चीन का नया साल माना जाता है। इस समय में पूरी दुनिया से चीनी लोग अपने घरों को लौटते हैं। ऐसे माना जाता है कि इस दौरान दुनिया में सबसे ज्यादा लोग चीन की ओर लौटते हैं। ई. यून ने कहा कि इस दौरान हम लोगों को लगा कि ये काफी बड़ी स्टोरी बनेगी।

ढाई महीने में पूरी दुनिया आई वायरस की चपेट में

यून कहा कि यह वायरस इंसान से इंसान में फैलता है इस बात की पुष्टि होने के ढाई महीने तक यह वायरस पूरी दुनियाभर में फैल चुका था। इस वायरस से पूरी दुनिया में करीब 1 लाख 25 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके थे।

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लोगों ने शुरु कर दी सावधानी बरतनी

इस समय तक चीन में लोग संक्रमण से बचने के लिए मास्क, ग्लव्स और चश्मे लगाने शुरु कर दिए थे। यून बताती हैं कि एक दिन मैं एक पार्क में थी और मैं मास्क को नीचे कर सामान्य तरीके से सांस लेना चाहती थी, क्योंकि मास्क में सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उन्होंने कहा कि जैसे ही मैंने मास्क हटाया, वैसे ही कई पुलिस कर्मी मेरे सामने आकर खड़े हो गए और मुझ धमकाने लगे।

कारोबारी गतिविधियों पर लगाई गई रोक

चीन की सरकार ने तब तक संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सभी कारोबारी गतिविधियों पर रोक लगा दीं। साथ ही वहां पर यात्रा पर भी पाबंदी लगा दी गई। जगह-जगह अधिकारी जाकर स्थानीय लोगों की जांच करने लगे। यून ने बताया कि महामारी के दो महीनों में अपने करीबी क्षेत्रों में जाने के लिए अधिकारियों को पासपोर्ट दिखाना पड़ता था।

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परिवार में 3 से ज्यादा लोगों के होने पर मुसीबत

उन्होंने ये भी बताया कि बीजिंग के अन्य लोगों के साथ उन्होंने भी रेजिडेंशियल आईडी कार्ड के लिए आवेदन किया था। सरकार ने एक परिवार के ही तीन मेंबर्स को ये कार्ड देने पर रोक लगा दी। यून बताती हैं कि महामारी के दौरान अगर आपकी फैमिली में 3 से ज्यादा सदस्य हैं तो ये आपके लिए मुसीबत है। बाकी लोगों घर में कैद रहना होगा।

हालात केवल रिपोर्ट्स में ही बेहतर थे, सच्चाई कुछ और थी

यून बताती हैं कि फरवरी महीने में जब हालात सुधरने की रिपोर्ट आ गई, उसके बाद भी चीन में रहने और अपना काम करने में काफी दिक्कतें होती थीं। उन्होंने बताया कि इस दौरान एक दिन मुझे सुबह जल्दी बाहर जाना था। लेकिन जैसे ही मैं बाहर निकली तो देखा कि घर के दरवाजे पर एक शख्स प्रोटेक्टिव सूट पहने मौजूद था। ये सब देख मैं काफी Uncomfortable हो गई।

उन्होंने कहा कि ये केवल सुनने में ही आ रहा था कि स्थिति बेहतर हो रही है, लेकिन सच्ची कुछ और ही थी। चीन के वाणिज्‍य मंत्री के मुताबिक, चीन देश के 19 प्रांत और शहर के लोग काम पर वापस लौट चुके थे, लेकिन उनकी आदतें महामारी के मुताबिक ढल चुकी थी। ऐसा लग रहा है कि लोगों को फिर से सामान्य होने में लंबा समय लग सकता है।

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लोगों की आदतों में आए कई बदलाव

वहीं यून कहती हैं कि हो सकता है कि अधिकारी प्रोटेक्टिव सूट धीरे-धीरे हटा देंगे, लेकिन लोगों के बीच सोशल डिस्‍टेंसिंग की उनकी आदत काफी लंबे वक्त तक रह सकती है। सोसायटी में लोग पिछले महीने लिफ्ट का बटन दबाने के लिए टूथपिक का इस्तेमाल कर रहे थे। साथ ही लिफ्ट में घुसते और निकलते वक्त अपने हाथ को सैनेटाइज कर रहे थे।

यून के मुताबिक, पत्रकारों को कई बार बड़ी खबरें मिलती हैं, लेकिन हम उन्हें कवर करने के बाद उनसे बाहर आ जाते हैं, उनमें हमारा कुछ भी पर्सनल नहीं होता लेकिन कोरोना वायरस के महामारी की इस बिग स्टोरी में सब कुछ व्यक्तिगत रहा।

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