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कोरोना का महासंकट: WHO कर रहा ताइवान के साथ पक्षपात, जानें क्या है मामला
चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनिया के बाकी देशों में भी फैल गया। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि चीन के पड़ोस में स्थित ताइवान ने इसे अपने यहां नहीं फैलने दिया।
नई दिल्ली: जहां पूरी दुनिया में कोरोना का महासंकट छाया हुआ है। इसके बावजूद कोरोना वायरस पर ताइवान की तरफ से किए गए एक सवाल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने ताइवान की अनदेखी कर दी। चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनिया के बाकी देशों में भी फैल गया। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि चीन के पड़ोस में स्थित ताइवान ने इसे अपने यहां नहीं फैलने दिया।
पत्रकार ने WHO से ताइवान की स्थिति के बारे में पूछा
दरअसल, रेडियो टेलीविजन की एक पत्रकार ने जब वीडियो कॉल के माध्यम से WHO से ताइवान की स्थिति के बारे में पूछा तो पहले तो सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड ने वीडियो कॉल को समाप्त कर दिया। लेकिन जब पत्रकार ने दोबारा उनसे सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया कि इस बारे में चीन से बात हो चुकी है। इस बातचीत का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड ने पहले तो पत्रकार के उस सवाल को अनसुना कर दिया जिसमें पूछा गया कि क्या संयुक्त राष्ट्र WHO में ताइवान की सदस्यता पर पुनर्विचार करेगा। आयलवर्ड ने जवाब दिया कि मुझे खेद है कि मैं आपका सवाल नहीं सुन पाया। इसके बाद उन्होंने वीडियो कॉल समाप्त कर दिया।
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जब महिला पत्रकार ने दोबारा वीडियो कॉल कर पूछा कि ताइवान के संबंध में कोरोना वायरस के उपायों के बारे में कुछ बताएं तो आयलवर्ड ने कहा कि हम पहले ही चीन के बारे में बात कर चुके हैं। इसके बाद फिर उन्होंने वीडियो कॉल को समाप्त कर दिया।
क्या WHO ताइवान के साथ पक्षपात कर रहा है?
पत्रकार द्वारा किया गया यह साक्षात्कार का यह वीडियो पूरी दुनिया में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोग आरोप लगा रहे हैं कि WHO ताइवान के साथ पक्षपात कर रहा है और चीन का पक्ष लेकर वन चाइना नीति का समर्थन कर रहा है।
मालूम हो कि 1945 से ताइवान को चीन सरकार द्वारा शासित किया गया है। बीजिंग हमेशा जोर देकर कहता है कि यह द्वीप उसके क्षेत्र का हिस्सा है और अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय निकायों पर अपनी 'वन चाइना' नीति का पालन करने के लिए दबाव डालता है।
ताइवान इससे पहले भी WHO पर अनदेखी करने का आरोप लगा चुका है। ताइवान का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह रवैया ताइवान के नागरिकों के जीवन को जोखिम में डालता है। ताइवान का आरोप है कि संगठन ऐसा चीन के दबाव में आकर कर रहा है, क्योंकि उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाहर करने के लिए दबाव है।
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बता दें कि चीन के दबाव के कारण ही ताइवान को डब्ल्यूएचओ की सदस्यता नहीं मिल सकी थी।और यही सब कारण हैं कि ताइवान को एक देश के बजाए चीन के एक राज्य के रूप में देखा जाता है।
दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा आंकड़ा
इधर कोरोना महामारी की बात करें तो दुनिया भर में 6,65,000 से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हैं जबकि 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। चीन के बाद यूरोप में सबसे ज्यादा कोरोना कहर बरपा रहा है।
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भारत की स्थिति
भारत में भी कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 1000 पार हो गया है जबकि मृतकों की संख्या 27 तक पहुंच गई है। देश में लॉकडाउन का आज पांचवां दिन है। लोग जहां तहां फंसे हैं जिनकी मदद में राज्य सरकारें उतरी हैं।