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कोरोना वायरस: अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, दुनिया से ये झूठ बोल रहा चीन

चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है। अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या चीन कोरोना वायरस पर कोई झूठ बोल रहा है? दरअसल चीन सरकार के कुछ दस्तावेज मीडिया में लीक हो गए हैं और ये दस्तावेज सरकार के दावे से अलग कहानी कह रहे हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 14 March 2020 3:39 PM IST
कोरोना वायरस: अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, दुनिया से ये झूठ बोल रहा चीन
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नई दिल्ली: चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है। अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या चीन कोरोना वायरस पर कोई झूठ बोल रहा है? दरअसल चीन सरकार के कुछ दस्तावेज मीडिया में लीक हो गए हैं और ये दस्तावेज सरकार के दावे से अलग कहानी कह रहे हैं।

इस समय दुनिया में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या 145,000 पार कर गई है, वहीं मृतकों की संख्या 5 हजार हो गई है। भारत में भी दो लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में मृतकों की संख्या 1266 हो गई है। इससे कोरोना वायरस के कहर का अंदाजा लगाया जा सकता है।

चीन का कहना था कि कोरोना वायरस की शुरुआत वुहान से हुई थी, लेकिन चीनी अधिकारी ने 7 जनवरी को ये जानकारी दी थी उन्होंने मरीजों में नए वायरस के संक्रमण का पता लगाया है। सरकार ने कहा था कि संक्रमण का पहला मरीज एक महीने पहले 7 दिसंबर को बीमार पड़ा था। लेकिन अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या यह सच है? या चीन दुनिया से अपनी नाकामी छुपा रहा है?

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एक विदेशी मीडिया को एक क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट हाथ लगा है। मीडिया में लीक हुआ ये सरकारी दस्तावेज चीन के दावे से अलग कहानी बता रहा है।

सरकार का जो दस्तावेज लीक हुआ है उससे पता चलता है कि कोरोना वायरस का एक मरीज 17 नवंबर 2019 को ही ट्रेस कर लिया गया था। चीन के हुबेई प्रोविन्स में यह मरीज मिला था और वुहान हुबेई की राजधानी है।

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तो वहीं दूसरे रिपोर्ट में कहा गया है कि लीक दस्तावेज इस बात की ओर इशारा करते हैं कि 17 नवंबर को कोरोना वायरस मरीज को ट्रेस करने के करीब 2 महीने बाद चीन ने वुहान सहित कई शहरों में बड़ी कार्रवाई की थी और प्रतिबंध लगाए।

रिपोर्ट के मुताबिक, हुबेई में रहने वाले 55 साल के शख्स के अंदर 17 नवंबर को कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया था। रिपोर्ट में बताया है कि इसके बाद से हर दिन एक से 5 नए मामले सामने आने लगे।

आधिकारिक तौर से चीन ने दावा किया है कि कोरोना वायरस का पहला मरीज 7 दिसंबर को मिला था। हालांकि, बड़े पैमाने पर एक्शन कई हफ्ते बाद लिए गए थे।

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तो वहीं लीक दस्तावेज से इस बात की भी जानकारी मिलती है कि 31 दिसंबर से पहले तक सरकारी अधिकारियों ने कोरोना वायरस से संक्रमित 266 लोगों की पहचान कर ली थी।

गौरतलब है कि चीन और अमेरिका में कोरोना वायरस को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। अमेरिका की ओर से जहां कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहा गया है, वहीं, चीन ने कहा है कि अमेरिकी सैनिक की वजह से चीन में ये वायरस आया और फैला।



Dharmendra kumar

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