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कोरोना संकट: कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ देने वाले मुस्लिम देशों ने भारत से मांगी मदद
भारत के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मलेशिया और तुर्की ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था। अब जब पूरी दुनिया में कोरोना तांडव मचा रहा है तो इन देशों को भी भारत में उम्मीद दिख रही है।
नई दिल्ली: भारत के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मलेशिया और तुर्की ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था। अब जब पूरी दुनिया में कोरोना तांडव मचा रहा है तो इन देशों को भी भारत में उम्मीद दिख रही है। इस उम्मीद की वजह है- एंटी-मलेरिया ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा।
ये दवा सुपरपावर अमेरिका से लेकर ब्राजील तक ने भारत से मांगी। अब इस कड़ी में पाकिस्तान को अपना सच्चा दोस्त बताने वाले मुस्लिम बाहुल्य देश मलेशिया और तुर्की का नाम भी जुड़ गया है।
भारत ने हाल ही में 13 देशों के लिए कोरोना वायरस के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी है। शुरुआत में भारत ने कहा था कि वह नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को जरूरी ड्रग भेजेगा, क्योंकि ये पड़ोसी देश दवाइयों के लिए पूरी तरह से भारत पर ही निर्भर हैं। दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों समेत दुनिया के करीब 30 देशों ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर रोक को हटाने की मांग की थी।
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हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक एंटी मलेरिया दवा है जिसे आर्थराइटिस या लूपस जैसी बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, कुछ चीनी और फ्रांसीसी शोधकर्ताओं के हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के कोरोना के इलाज में असरदार होने की बात कही तो दुनिया भर के देशों में इस दवा को पाने की होड़ मच गई। इस दवा की बढ़ती जरूरत के बीच भारत ने आंशिक तौर पर इसके निर्यात से बैन हटा लिया। अमेरिका, इजरायल, ब्राजील और यूएई समेत कई देशों ने भारत के इस कदम की जमकर सराहना की। ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सानारो ने तो इसकी तुलना संजीवनी बूटी से कर दी।
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कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को निष्प्रभावी करने और नागरिकता कानून को लेकर मलेशिया और तुर्की ने भारत की तीखी आलोचना की थी। भारत की नीतियों की आलोचना में इन देशों ने पाकिस्तान का साथ दिया जिससे आपसी रिश्तों पर भी बुरा असर पड़ा। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब मलेशिया और तुर्की भारत सरकार से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन भेजने के लिए अनुरोध कर रहे हैं।
मलेशिया की सरकार ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की एक खेप मिलने की पुष्टि की है और उसने दूसरी खेप भेजने का भी अनुरोध किया है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत सरकार से दवा के लिए अनुरोध करना मलेशिया और तुर्की के लिए शर्मसार करने वाला है।
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तुर्की ने फरवरी महीने में दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने दिल्ली हिंसा को मुस्लिमों का नरसंहार तक करार दे दिया था। तुर्की की इस टिप्पणी को विदेश मंत्रालय ने गैर-जरूरी करार देते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया था। तो वहीं, मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में भारत पर कश्मीर पर बलपूर्वक कब्जा करने का आरोप लगाया था। इस टिप्पणी को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई और मलेशिया से खाद्य तेल के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।