कोरोना पॉजिटिव होने पर भी इन मरीजों से खतरा नहीं, सिंगापुर के अध्ययन में खुलासा

सिंगापुर में किए गए अध्ययन में एक महत्वपूर्ण बात निकलकर सामने आई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमण के 11 दिन बाद कोरोना के किसी मरीज से दूसरे अन्य लोगों को संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।

Shivani Awasthi
Published on: 26 May 2020 3:12 AM GMT
कोरोना पॉजिटिव होने पर भी इन मरीजों से खतरा नहीं, सिंगापुर के अध्ययन में खुलासा
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। इंसानी शरीर में कोरोना वायरस के असर का पता लगाने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों में तरह-तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं। इस बीच सिंगापुर में किए गए अध्ययन में एक महत्वपूर्ण बात निकलकर सामने आई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमण के 11 दिन बाद कोरोना के किसी मरीज से दूसरे अन्य लोगों को संक्रमण का खतरा नहीं रहता है। अध्ययन के मुताबिक ऐसे मरीज की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बावजूद 11 दिन उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा सकता है।

मरीजों को डिस्चार्ज करने में मिलेगी मदद

सिंगापुर के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक कुरुप का कहना है कि कोरोना वायरस के 73 मरीजों पर अध्ययन करने के बाद शोध में यह नतीजा निकाला गया है। माना जा रहा है कि इस अध्ययन के नतीजे मरीजों को अस्पताल से जल्द डिस्चार्ज करने में मददगार साबित होंगे। जिन देशों में मरीजों की संख्या ज्यादा है वहां दूसरे मरीजों को अस्पतालों में मेडिकल सुविधाएं हासिल हो सकेंगी।

मौजूदा समय में तमाम अस्पतालों में दो बार टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही मरीज को डिस्चार्ज करने की अनुमति मिलती है। अध्ययन के नतीजे में बताया गया है कि किसी मरीज में कोरोना के लक्षण दिखने का समय संक्रमण के 7 से 10 दिन के दौरान रह सकता है।

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डेड पार्टिकल मिलने से रिपोर्ट पॉजिटिव

नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिजीज की ओर से इस अध्ययन की रिपोर्ट रिलीज की गई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक कई बार मरीजों की जांच के दौरान वायरस के सूक्ष्म हिस्से यानी डेड पार्टिकल मिलने पर भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है जबकि ऐसे मरीजों से दूसरे लोगों को संक्रमण का खतरा नहीं होता। शोधकर्ताओं के मुताबिक मरीज के इलाज के दो हफ्ते बाद तक उसकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। इसलिए टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर घबराने की जरूरत नहीं है।

दूसरे हफ्ते में संख्या नहीं बढ़ाता वायरस

इस अध्ययन में बताया गया है कि बीमारी के पहले हफ्ते के दौरान वायरस के अपनी संख्या बढ़ाने का खतरा रहता है। मरीजों के अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण के दूसरे हफ्ते में वायरस रेप्लिकेशन यानी अपनी संख्या बढ़ाने की स्थिति में नहीं दिखा। अध्ययनकर्ता डॉक्टर कुरूप का कहना है कि हम अभी भी इस मामले में रिसर्च में जुटे हुए हैं और वक्त बीतने के साथ इस बारे में और अधिक डेटा सामने लाया जाएगा।

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दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने भी की पुष्टि

दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने भी हाल में रिसर्च के बाद दावा किया था कि इलाज के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने का कारण शरीर में मौजूद कोरोना वायरस के मृत कण हो सकते हैं। दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि ऐसे मरीजों से संक्रमण का खतरा नहीं होता। दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने कोरोना के 285 ऐसे मरीजों पर अध्ययन किया है जो इलाज के बाद भी कोरोना पॉजिटिव मिले थे।

पीसीआर टेस्ट से निकाला नतीजा

दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने 250 मरीजों के सैंपल में वायरस के न्यूक्लिक एसिड का पता लगाने के लिए पीसीआर टेस्ट किया। इस जांच के जरिए यह समझने की कोशिश की गई कि दोबारा पॉजिटिव पाए गए मरीजों में वायरस जिंदा है या नहीं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस टेस्ट से पता चला कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए ऐसे मरीजों से संक्रमण फैलने का खतरा नहीं होता।

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Shivani Awasthi

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