×

यूनिवर्सिटी में ई-कार्यशाला, विशेषज्ञ बोले- कोरोना काल में भारत से सीखे विश्व

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालयः पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ के मौके पर विशेषज्ञों ने कहा, वैश्विक महामारी के समय में संपूर्ण विश्व भारत से बहुत कुछ सीख सकता है।

Ashiki
Published on: 25 May 2020 4:17 PM GMT
यूनिवर्सिटी में ई-कार्यशाला, विशेषज्ञ बोले- कोरोना काल में भारत से सीखे विश्व
X

मेरठ: शनिवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वाधान में "कोविड-19 के साथ जीवन : स्वावलंबी भारत की रूपरेखा" विषय पर पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।

ये भी पढ़ें: भारत में कोरोना का कहर, चीन ने अपने नागरिकों पर लिया ये फैसला

प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग एवं निदेशक पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय भी कराया। इसके बाद प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने ई-कार्यशाला का विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के समय में मानवता का संरक्षण एवं संवर्धन कैसे किया जाए यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

ये भी पढ़ें: कोरोना टेस्टिंग न होने के चलते बलिया में मजदूर बन रहे आफत

इस विषाणु जनित महामारी के समय में शैक्षणिक जगत पठन-पाठन से किस प्रकार जुड़ा रह सकता है। इसलिए माननीय कुलपति नरेंद्र कुमार तनेजा की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में इस पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि अब तक 1901 पंजीकरण कार्यशाला में सहभागिता के लिए हो चुके हैं, जिसमें 840 विद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थी और 14 राज्यों के एवं 2 केंद्र शासित प्रदेशों के व्यक्ति सहभागिता कर रहे हैं। इसमें 800 के लगभग महिलाओं एवं ग्यारह सौ के लगभग पुरुषों ने पंजीकरण कराया है, जिसमें सहायक आचार्य 740 सह आचार्य 171 एवं आचार्य 47 और शोध छात्र 346 विद्यार्थी 480 और अन्य वर्गों के 117 प्रतिभाग कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें: प्रियंका गांधी ने CM योगी पर बोला हमला, प्रवासी मजदूरों पर पूछे सवाल

उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर रजनीश शुक्ल कुलपति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र ने "स्वावलंबी समाज के आध्यात्मिक आधार भूमि" विषय पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है जिससे सभी देशों के नागरिकों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। यह महामारी मनुष्य की उपभोगवादी परवर्ती का नतीजा है।

ये भी पढ़ें: खतरे में यूपी के ये 11 जिले: हो सकता है टिड्डी दल का हमला, जारी हुआ एलर्ट

वर्तमान समय में विश्व की बड़ी बड़ी अर्थव्यवस्था में धराशाई हो चुकी हैं और उनके सामने व्यक्ति का जीवन बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक महामारी के समय में संपूर्ण विश्व भारत से बहुत कुछ सीख सकता है। हमारे देश में स्वामी विवेकानंद महात्मा गांधी अरविंद घोष पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदि महापुरुषों ने जो चिंतन दिया है वह वर्तमान समय में प्रासंगिक है लेकिन आज इस आर्थिक युग ने उस चिंतन को पिछड़ा हुआ बता कर उसको नकार दिया जबकि वह चिंतन संपूर्ण विश्व के कल्याण की बात करता है।

ये भी पढ़ें: राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पत्नी WHO और चीन के बीच का लिंक! ये है कनेक्शन

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि महात्मा गांधी की पुस्तक हिंद स्वराज पुस्तक को केंद्र में रखकर स्वावलंबन समाज की आध्यात्मिक आधारशिला के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने सन 1916 कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि स्वदेशी का तात्पर्य वह है जिस पर हमारे लोगों का हजारों वर्षों से विश्वास है चाहे वह हमारा धर्म हो चाहे हमारी उत्पादन प्रणाली हो या हमारी वितरण व्यवस्था हो जो भी हमारे पास आस पास उपलब्ध है वही सब स्वदेशी हैं। गांधी गांव को आत्मनिर्भर बनाने की बात करते हैं जो हमें वर्तमान समय में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लगती है क्योंकि आज मजदूर श्रमिक जिस गांव को छोड़ कर चले गए थे आज उसी गांव ने उनको आसरा दिया है। ग्रामीण समाज आज भी भारतीय समाज की रीढ़ है।

ये भी पढ़ें: Big B: शहंशाह ने बयां की रील लाईफ के आंसूओं की हकीकत, खोले कई राज

प्रोफेसर वाई विमला प्रतिकुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहां की हमें अपनी सनातन पद्धति एवं परंपरा को पुनर्जीवित करना होगा, जिससे भारत फिर से विश्व गुरु बन सके। वर्तमान समय में जो संकट पूरा विश्व एवं भारत देख रहा है यह कहीं ना कहीं हमने अपनी जीवन पद्धति को भुला दिया है। मनुष्य ने प्रकृति का अति उपभोग किया है, जिसके परिणाम हमारे समक्ष आ रहे हैं। हमें ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना है जिसमें प्रकृति को बिना नुकसान पहुंचाए हम उससे क्या ग्रहण कर सकते हैं और बदले में शुभम उसे क्या दे सकते हैं, जिससे प्रकृति को पुनर्जीवित होने में मदद मिले। केवल भारतीय सनातन ज्ञान परंपरा से ही संभव है।

ये भी पढ़ें: ईद पर मिला तोहफा, कोरोना मरीज ठीक होकर गए घर

ई-कार्यशाला के आयोजक प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों का एवं सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन भानु प्रताप शोध छात्र राजनीति विज्ञान विभाग ने किया। कार्यशाला में सहयोग डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय, कार्यशाला संयोजक आचार्य राजनीति विज्ञान विभाग डॉक्टर भूपेंद्र प्रताप सिंह, डॉक्टर देवेंद्र उज्जवल,डॉ सुषमा रामपाल, संतोष त्यागी व नितिन त्यागी आदि का रहा।

ये भी पढ़ें: सौ बरस की हुईं Narendra Modi की मां बधाई और नमन…

रिपोर्ट: सुशील कुमार

Ashiki

Ashiki

Next Story