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एनल स्वैब टेस्ट: ये क्या होता है और चीन में आखिर इसका विरोध क्यों हो रहा है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक एनल स्वैब जांच से कोरोना सैंपलों को लेकर कोई गड़बड़ी की शिकायत भी नहीं आएगी। साथ ही नाक या गले के स्वैब की तुलना में गुदा से स्वैब लेकर जांच करने में गलती की आशंका कम रहती है।

Aditya Mishra
Published on: 28 Jan 2021 7:59 AM GMT
एनल स्वैब टेस्ट: ये क्या होता है और चीन में आखिर इसका विरोध क्यों हो रहा है?
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि शोधकर्ता ने वॉलंटियर्स के साथ पारदर्शिता नहीं बरती जबकि उन्हें ट्रायल में किसी भी तरह के बदलाव की पूरी जानकारी देनी चाहिए थी।

बीजिंग: चीन में कोरोना ने फिर से दस्तक दे दी है। तेजी से नए केस सामने आ रहे हैं। लोगों को समय से इलाज मुहैया कराने के लिए वहां की सरकार अब एनल स्वैब के जरिये कोरोना की जांच करा रही है। जिसके तहत लोगों के शरीर के एक खास हिस्से(गुदा) से स्वैब लिया जा रहा है।

इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि इलाज की इस नई तरकीब के जरिए कोरोना की जांच रिपोर्ट बिल्कुल सही आती है। रिपोर्ट बहुत जल्दी आती है। जिसमें गड़बड़ियां होने की संभावना भी नहीं रहती है।

लेकिन चीन के बीजिंग समेत कई बड़े शहरों के अंदर अब एनल स्वैब टेस्ट का विरोध होना शुरू हो गया है। लोग इसे बेइज्जती के दौर पर देख रहे हैं।

बुधवार को भी विरोध की घटना सामने आई थी। हुआ यूं कि कोरोना मरीज के डायग्राम्स, वीडियो क्लिप्स वायरल हो गए। इसमें उसका एनल स्वैब लिया जा रहा था।

इसके बाद चीन की सोशल मीडिया में क्लिप वायरल हो गई। लोगों ने इसे बेइज्जती बताते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की। साथ ऐसा कोई भी टेस्ट कराने से मना कर दिया।

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग(फोटो:सोशल मीडिया)

नाक के साथ-साथ एनल स्वैब भी अनिवार्य

चीन के मेडिकल एक्सपर्ट हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक एनल स्वैब (गुदा) से जांच सिर्फ उन्हीं लोगों की हो रही है, जो हाई रिस्क वाले मरीज लगते हैं। यानी उन्हें कोरोना का गंभीर संक्रमण हो सकता है। क्योंकि इस तरीके से कोरोना वायरस की मौजूदगी ज्यादा पुख्ता और सटीक होती है।

इलाज का ये तरीका कोरोना की पुष्टि के लिए सही है। चीन में अब नाक के साथ-साथ एनल स्वैब यानी गुदा से स्वैब लेकर कोरोना टेस्ट किया जा रहा है।

रिपोर्टस के अनुसार चीन में सबसे पहली एनल स्वैब टेस्ट की शुरुआत चीन की राजधानी बीजिंग के डाक्सिंग जिले से हुई थी। जब लोगों से एनल स्वैब टेस्ट कराने के लिए बोला गया।

उसके बाद से ही लोग विरोध करने लगे।इस तरह के जांच के खिलाफ आवाज उठने लगी है। लेकिन इसे अभी भी बंद नहीं किया गया है। बीजिंग के जांच केंद्रों में एनल स्वैब के जरिए अभी भी टेस्ट किया जा रहा है।

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covid-19 एनल स्वैब टेस्ट: ये क्या होता है और चीन में इसका विरोध क्यों हो रहा है?(फोटो:सोशल मीडिया)

क्यों पड़ी इस तरह की जांच की जरूरत

यूआन हॉस्पिटल के डॉक्टर ली तोंगजेंग के मुताबिक एनल स्वैब टेस्ट गले या नाक के स्वैब टेस्टिंग से ज्यादा संवेदनशील है।

इससे ज्यादा आसानी ये पता चलता है कि कोई इंसान कोरोना संक्रमित है या नहीं। इसके स्वैब से ज्यादा सटीकता से कोरोना की पुष्टि होती है। इसमें गड़बड़ी होने की संभावना भी नहीं होती है।

उन्होंने बताया कि कुछ एसिम्टोमैटिक कोरोना मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं।उनके गले या नाक में तीन से पांच दिन बाद वायरस नहीं मिलता। लेकिन वायरस उनके शरीर में रहता है। इसलिए एनल स्वैब से टेस्ट करने का फायदा होता है। हमें ये स्पष्ट तौर पर पता चल जाता है कि वायरस शरीर में है या नहीं।

एनल स्वैब जांच से कोरोना सैंपलों को लेकर कोई गड़बड़ी की शिकायत भी नहीं आएगी। साथ ही नाक या गले के स्वैब की तुलना में गुदा से स्वैब लेकर जांच करने में गलती की आशंका कम रहती है।

बता दें कि बीजिंग में एक स्टूडेंट के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद वहां के सभी स्कूलों में एनल स्वैब जांच कराना अनिवार्य कर दिया गया है।

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Aditya Mishra

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