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Made-in-China : चीन का एलान, सूरज पर भी होगा उसका अधिकार

फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने नकली सूरज बनाने की दिशा में काम किया और सफलता हासिल की। चीनी मीडिया के अनुसार नकली सूरज को बनाने का मकसद ज्यादा से ज्यादा सोलर एनर्जी पाना है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 6 Dec 2020 3:51 AM GMT
Made-in-China : चीन का एलान, सूरज पर भी होगा उसका अधिकार
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नकली सूरज को लेकर चीन का माखौल बनाया गया था, उसे आखिरकार सच कर दिखाया है.

नई दिल्ली: कोविड-19 के प्रकोप से जहां पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है, वहीं दूसरी ओर इस महामारी के समय ही चीन कीर्तिमान बना रहे है और चीन की अर्थव्यवस्था ने लंबी छलांग लगायी है। चीन ने कई क्षेत्रों में सफलता हासिल करने का दावा किया है। इस बीच चीन से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। चीन ने नकली सूरज बनाने में सफलता हासिल कर ली है।

सूरज एक तरह का परमाणु फ्यूजन

चीन का ये नकली सूरज एक तरह का परमाणु फ्यूजन है, जो असली सूर्य से लगभग 10 गुना ज्यादा गर्मी और रोशनी देने वाला है। चीनी मीडिया के अनुसार चीन 2006 से ही इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन और साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने नकली सूरज बनाने की दिशा में काम किया और सफलता हासिल की। इस प्रोजेक्ट यानी आईटीईआर की कुल लागत 22.5 बिलियन डॉलर है।

इस सूरज की खासियतें

शुक्रवार को इस सफलता का एलान करते हुए चीनी मीडिया ने बताया कि इस सूरज को बनाने का मकसद ज्यादा से ज्यादा सोलर एनर्जी पाना है। खासकर प्रतिकूल मौसम में, जब सूरज न निकला हो, सूरज की गर्मी मिल सकेगी। इस कृत्रिम सूरज को HL-2M Tokamak नाम दिया गया है। इस दिशा में प्रयोग के लिए चीन के लेशान (Leshan) शहर में रिएक्टर तैयार किया गया और काम शुरू हुआ। आर्टिफिशियल सूरज बनाने के लिए हाइड्रोजन गैस को 5 करोड़ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म कर, उस तापमान को 102 सेकंड तक स्थिर रखा गया।

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उच्च ऊर्जा वाले तापमान

असली सूरज में हीलियम और हाइड्रोजन जैसी गैसें उच्च तापमान पर क्रिया करती हैं। इस दौरान 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक ऊर्जा निकलती है। यानी 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान होता है। चीनी अखबार की मानें तो ये असल सूरज से 10 गुना ज्यादा गर्मी दे सकेगा इसी उच्च ऊर्जा वाले तापमान को पैदा करने के लिए लंबा प्रयोग चला। केवल चीन ही नहीं, बल्कि दुनिया के सारे देश सूरज बनाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन गर्म प्लाज्मा को एक जगह रखना और उसे फ्यूजन तक उसी हालत में रखना सबसे बड़ी मुश्किल थी।

प्लाज्मा विकिरण से सूर्य का औसत

सूरज बनाने के दौरान इसके परमाणुओं को प्रयोगशाला में विखंडित किया गया। प्लाज्मा विकिरण से सूर्य का औसत तापमान पैदा किया गया, जिसके बाद उस तापमान से फ्यूजन यानी संलयन की प्रतिक्रिया हासिल की गई। फिर इसी आधार पर अणुओं का विखंडन हुआ, जिससे उन्होंने ज्यादा मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित की। ये प्रक्रिया लगातार और समय बढ़ा-बढ़ाकर दोहराई जाती रही काफी कोशिशों के बाद आखिरकार सफलता मिली।

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विशेष तकनीक से पर्यावरण

सूरज की नकल के तरीके से मिलने जा रही ऊर्जा एनर्जी के दूसरे स्त्रोतों से कहीं अधिक सस्ती और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है। अगर ये प्रयोग लागू किया जा सके तो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी। ये भी माना जा रहा है कि इस सूरज में उत्पन्न की गई नाभिकीय ऊर्जा को विशेष तकनीक से पर्यावरण के लिये सुरक्षित ग्रीन ऊर्जा में बदला जा सकेगा। जिससे धरती पर ऊर्जा का बढ़ता संकट तरीकों से दूर किया जा सकेगा। चीन इसे अपने देश में खेती-किसानी और दूसरी जरूरतों के लिए इस्तेमाल करने वाला है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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