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क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के आगे फेल हो गया था अमेरिका
दुनिया में अमेरिका इतनी बड़ी ताकत माना जाता है कि अधिकांश देश उसका पिछलग्गू बनने में ही अपनी भलाई समझते हैं। कम ही नेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने अमेरिका को सीधी चुनौती दी हो। ऐसे नेताओं में सबसे महत्वपूर्ण नाम है क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का। कास्त्रो ने सारी जिंदगी अमेरिका जमकर विरोध किया है। इसी विरोध के कारण कास्त्रो अमेरिका की आंखों में चुभने लगे थे। कहा जाता है कि कास्त्रों को मारने की 638 साजिशें रची गयीं मगर हर साजिश नाकाम रही। इनमें से अधिकांश साजिशें अमेरिका ने रची थीं। यह बात दूसरी है कि कास्त्रो हर बार बचने में कामयाब रहे और 25 नवंबर 2016 को 90 साल की उम्र में उनका स्वाभाविक निधन हुआ।
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अपने खिलाफ होने वाली साजिशों के कारण ही एक बार कास्त्रो ने कहा था कि अगर किसी शख्स की हत्या की कोशिश करने का कोई ओलंपिक मुकाबला होता तो वो इसमें गोल्ड मेडल जीतते। कास्त्रो इतना सतर्क रहते थे कि 638 साजिशों के बावजूद हर बार कास्त्रो खुद को को बचाने में सफल रहे। कास्त्रो की हत्या की 638 साजिशों का आंकड़ा भी आधिकारिक है। माना जाता है कि कोशिशें शायद इससे भी ज्यादा हुई हों।
मारने के लिए तमाम तरीके अपनाए
कास्त्रो को मारने के लिए जहरीले सिगार, जहरीले पेन और विस्फोटक वाली सिगरेट तक के तरीके आजमाए गए। कास्त्रो के खिलाफ ज़्यादातर साजिशें अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनआईए ने रची थीं। इन साजिशों में क्यूबा से भागकर अमेरिका में बसे फिदेल कास्त्रो के विरोधी भी शामिल थे। अस्सी साल के होने पर कास्त्रो ने कहा था कि अस्सी की उम्र में बहुत खुश हूं। मैंने कभी ये नहीं सोचा था। दुनिया के सबसे ताकतवर देश के बगल में हूं जो मुझे हर रोज मारने के नए प्लान बनाते हैं। हालांकि उन्हें कभी कामयाबी नहीं मिली।
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गर्लफ्रेंड का भी लिया सहारा
कास्त्रो को मारने की साजिश में उनकी एक गर्लफ्रेंड भी शामिल रही। कास्त्रो को मारने के लिए जहरीले कोल्ड क्रीम का जार उनतक पहुंचाना था। कास्त्रो की पूर्व गर्लफ्रेंड मारिटा लॉरेंज इस साजिश के लिए राजी हो गई थी। जानकारों के मुताबिक कास्त्रो को पहले ही इस साजिश की भनक लग गई। उन्होंने अपनी पूर्व प्रेमिका मारिटा को पिस्टल देकर कहा कि वो उन्हें गोली मार दे। मारिटा जान गई कि कास्त्रो को सबकुछ पता चल चुका है। . जाहिर है मारिटा ने ऐसा नहीं किया।
पहले चुनाव में बेइमानी से हारे थे कास्त्रो
कास्त्रो का अमेरिका विरोध अनायास नहीं था। उनकी युवावस्था के समय क्यूबा के राष्ट्रपति फुल्गेन्सियो बतिस्ता अमेरिका के कट्टर समर्थक थे। उन पर अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए क्यूबा के लोगों की अनदेखी का आरोप था। उनके समय में क्यूबा में भ्रष्टाचार और अत्याचार चरम पर था। 1952 की क्यूबा क्रांति से पहले कास्त्रो तानाशाह राष्ट्रपति बतिस्ता के विरुद्ध चुनाव लड़े। चुनाव में बेइमानी के आरोप लगे और कास्त्रो को हार का सामना करना पड़ा।
रिहाई के बाद मैक्सिको से लड़ी लड़ाई
इसके बाद क्यूबा के हालात बिगड़ते गए और जनता का सत्ता के खिलाफ गुस्सा बढ़ता गया। 26 जुलाई 1953 को फिदेल कास्त्रो ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया। करीब 100 साथियों के साथ सैंटियागो डी क्यूबा में उन्होंने एक सैनिक बैरक पर हमला किया, लेकिन यह हमला नाकाम रहा। उन्हें 15 साल की सजा हुई और साथियों के साथ जेल में डाल दिया गया। दो साल बाद 1955 में एक समझौते के तहत उन्हें रिहा किया गया। रिहाई के बाद कास्त्रो मैक्सिको चले गए। मैक्सिको में फिदेल और उनके भाई राउल कास्त्रो ने चेग्वेरा के साथ बतिस्ता शासन के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की शुरुआत की। फिदेल को क्यूबा की जनता का भरपूर समर्थन मिला।
डटकर किया अमेरिका का मुकाबला
1959 में उन्होंने राष्ट्रपति बतिस्ता का तख्ता पलटकर उसे खदेड़ दिया और सत्ता पर कब्जा कर लिया। कास्त्रो दुनिया के ऐसे तीसरे शख्स हैं, जिन्होंने किसी देश पर सबसे लंबे वक्त तक राज किया। उन्होंने 1959 में क्यूबा की सत्ता संभाली थी और 2008 तक वो लगातार शासन करते रहे। अपने पूरे कार्यकाल के दौरान कास्त्रो ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका को चुनौती दी और अमेरिकी राष्ट्रपति पर तंज कसते रहे।
उनका किरदार रूमानियत भरा था, लेकिन उन्होंने करीब आधी सदी तक क्यूबा पर बेहद सख्ती से राज किया। कास्त्रो ने क्यूबा की अर्थव्यवस्था को बाकी दुनिया के लिए कभी नहीं खोला। क्यूबा में रहकर वहां की किसी चीज़ की बुराई करने का सवाल ही नहीं था। अपनी अमेरिका विरोधी नीतियों के कारण उन्हें अमेरिकी प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा मगर वे जीवन भर अमेरिका का डटकर मुकाबला करते रहे। उनका पहला मकसद क्यूबा के लोगों को खुश रखना था। खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने 2008 में क्यूबा की सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो को सौंप दी। नवंबर, 2016 में 90 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।