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पाकिस्तान के दो जजों का फैसला, 14 साल की लड़की पर ऐसी सुनवाई हो रही थू-थू
किस्तान के दो जजों ने 14 साल की लड़की से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए अजीबो गरीब फैसला सुनाया है। जजों ने कहा कि अगर लड़की का पहला पीरियड आ चुका है तो उसे बालिग माना जाएगा।
नई दिल्ली: पाकिस्तान के दो जजों ने 14 साल की लड़की से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए अजीबो गरीब फैसला सुनाया है। जजों ने कहा कि अगर लड़की का पहला पीरियड आ चुका है तो उसे बालिग माना जाएगा।
हुमा यूनुस नाम की कैथोलिक लड़की के पिता का आरोप है कि कराची में उनके घर से हुमा का अपहरण कर लिया गया था। बाद में हुमा ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया और मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर ली।
14 अक्टूबर 2019 को अपहरण की घटना के बाद से हुमा के माता-पिता उससे नहीं मिल पाए हैं। इस मामले की सुनवाई सिंध हाईकोर्ट के जज मुहम्मद इकबाल कलहोरो और इरशाद अली शाह कर रहे हैं।
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इसी हफ्ते मामले की सुनवाई करते हुए जजों ने कहा कि अगर हुमा का पहला पीरियड आ चुका है तो इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक उसे बालिग समझा जाएगा और अब्दुल जब्बार से उसकी शादी वैध मानी जाएगी, क्योंकि अब हुमा का कहना है कि उसने बिना किसी दबाव और खुद की इच्छा से शादी की है।
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2 जजों की बेंच की टिप्पणी से हुमा के माता-पिता को झटका लगा है। हुमा के पिता यूनुस मसीह ने बताया कि हमें झटका लगा है कि जजों ने हमारे सबूतों पर विचार नहीं किया और शादी को सही ठहराने के लिए शरिया कानून का हवाला दिया।
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बता दें कि हाईकोर्ट ने अभी आखिरी फैसला नहीं सुनाया है। कोर्ट ने तीन फरवरी को मामले की सुनवाई करने के बाद अधिकारियों को हुमा की उम्र तय करने के लिए और समय दिया। अब इस मामले की सुनवाई 3 मार्च 2020 को होगी।