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कोरोना पर चीन को घेरने की कवायद तेज, ट्रंप के करीबी नौ सांसदों ने पेश किया बिल
नौ सांसदों के समूह की ओर से पेश किए गए इस बिल में कहा गया है कि यदि चीन कोरोना के संक्रमण के कारणों की ठोस जानकारी नहीं देता है और इस पर काबू पाने में मदद नहीं करता है तो राष्ट्रपति को चीन पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी जाए।
अंशुमान तिवारी
वाशिंगटन। कोरोना संकट को लेकर अमेरिका ने चीन को घेरने की कवायद तेज कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले नौ सांसदों के समूह ने चीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका की संसद में एक बिल पेश किया है। इसमें चीन को कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने का जिम्मेदार बताते हुए उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। माना जा रहा है कि इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप चीन पर कड़े प्रतिबंध लगाने में कामयाब हो सकेंगे।
चीन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी
नौ सांसदों के समूह की ओर से पेश किए गए इस बिल में कहा गया है कि यदि चीन कोरोना के संक्रमण के कारणों की ठोस जानकारी नहीं देता है और इस पर काबू पाने में मदद नहीं करता है तो राष्ट्रपति को चीन पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी जाए। ट्रंप भी इस मुद्दे को लेकर चीन के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अपनाए हुए हैं और वे इस वायरस को चीनी वायरस तक बता चुके हैं।
अमेरिकी संसद में पेश किया गया यह बिल सांसद लिंडसे ग्राहम ने तैयार किया है। आठ अन्य सांसदों ने इस बिल को तैयार करने में ग्राहम की मदद की है और ये सभी सांसद ट्रंप के करीबी माने जाते हैं।
कोरोना के संबंध में सही सूचनाएं नहीं दीं
माना जा रहा है कि अब अमेरिका चीन की घेराबंदी की जमीन तैयार करने में जुटा हुआ है। राष्ट्रपति ट्रंप 60 दिनों में यह प्रमाणित करेंगे कि चीन ने कोरोना वायरस के बारे में पूरी दुनिया को अंधेरे में रखा और सही जानकारी नहीं दी। चीन ने अमेरिका, दूसरे अन्य देशों और डब्ल्यूएचओ को कोरोना वायरस के संबंध में सही सूचना नहीं दी जिससे इस वायरस का संक्रमण खतरनाक स्तर तक फैल गया। साथ ही उसने मांसाहार वाले उन बाजारों को भी बंद नहीं किया जिनसे इस वायरस के जानवरों से इंसानों में संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा था।
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चीन पर दबाव बनाना जरूरी
बिल तैयार करने वाले सांसद लिंडसे ग्राहम ने कहा कि चीन ने इस वायरस के संक्रमण की जांच के लिए अमेरिका को अनुमति देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में इस बिल को पेश किया जाना जरूरी था। उन्होंने कहा कि चीन पर दबाव बनाना जरूरी है क्योंकि बिना दबाव के चीन जांच में मदद के लिए कभी तैयार नहीं होगा। बिल में यह मांग भी की गई है कि चीन हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों को इस महामारी के दौरान रिहा करे।
बिल ट्रंप की रणनीति का हिस्सा
जानकारों का कहना है कि बिल मंजूर होने के बाद ट्रंप चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकेंगे। बिल के पास होने से अमेरिकी प्रशासन अपने यहां चीन की संपत्ति हासिल कर सकेगा। साथ ही चीन पर यात्रा प्रतिबंध लगेगा और चीनी नागरिकों का वीजा रद्द होगा। चीन की कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजार से बाहर होंगी। इस बिल को चीन के खिलाफ ट्रंप की घेराबंदी की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है।
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ब्रायन ने भी चीन को घेरा
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन का भी कहना है कि पिछले 20 साल में चीन से दुनिया में पांच महामारियां फैली हैं। इसे रोकने के लिए किसी को तो जरूर आगे आना होगा। अब दुनिया को चीन से साफ तौर पर कहना होगा कि हम उसके यहां से निकल रही महामारियो को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। चीन के पशु बाजारों और प्रयोगशालाओं से निकल रही ये महामारियां पूरी दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है।
वुहान से महामारी फैलने का सबूत
ब्रायन ने दावा किया कि हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि कोरोना वायरस वुहान से ही पूरी दुनिया में फैला है। ब्रायन ने कहा कि सार्स, एवियन फ्लू, स्वाइन फ्लू और कोरोना का संक्रमण चीन से ही दुनिया में फैला। उन्होंने कहा कि अब दुनिया को चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए एकजुट होना होगा क्योंकि हम आंखें मूंद कर यह सबकुछ बर्दाश्त नहीं कर सकते।
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बिल पर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया
अमेरिकी संसद में लाए गए इस दिल पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन ने कोरोना महामारी की शुरुआत से ही इस बाबत जानकारी देने के मामले में पूरी पारदर्शिता रखी है। ऐसे में यह बिल पूरी तरह अनैतिक है। उन्होंने कहा कि यह हमारे खिलाफ झूठा आरोप लगाने की साजिश है। चीन ने इस मामले में हमेशा सही जानकारी दी है और हमारे खिलाफ झूठे आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए।
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