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ओटोमन साम्राज्य का अंतिम चिराग भी बुझ गया, जानिए इनके बारे में

ओटोमन साम्राज्य के आखिरी उत्तराधिकारी दुन्दर अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। ओटोमन राज वंश के लोग तुर्की में ही रहते हैं, लेकिन प्रिंस अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू सीरिया के दमिश्क में रहते थे।

Shreya
Published on: 19 Jan 2021 11:41 AM IST
ओटोमन साम्राज्य का अंतिम चिराग भी बुझ गया, जानिए इनके बारे में
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ओटोमन साम्राज्य का अंतिम चिराग भी बुझ गया, जानिए इनके बारे में

लखनऊ: तुर्की का ओटोमन साम्राज्य किसी जमाने में इतना विशाल था कि उसके अंतर्गत यूरोप के ढेरों देश से लेकर अरब और खाड़ी के सभी देश आते थे। दुनिया में कोई भी अन्य साम्राज्य इतना विशाल और मजबूत नहीं रहा है। अब इस साम्राज्य के अंतिम उत्तराधिकारी का निधन होने से ओटोमन राज वंश का अंतिम चिराग बुझ चुका है।

साम्राज्य के आखिरी उत्तराधिकारी का निधन

ओटोमन साम्राज्य के आखिरी उत्तराधिकारी दुन्दर अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू का 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। ओटोमन राज वंश के लोग तुर्की में ही रहते हैं लेकिन प्रिंस अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू सीरिया के दमिश्क में रहते थे। उनको वापस तुर्की लाने की बहुत कोशिशें इस राजवंश के लोगों ने कीं लेकिन प्रिंस वापस नहीं आये।

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प्रिंस मेहमेत सेलिम एफेंदी के पोते हैं अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू

1924 में ‘खलीफा’ राज पद्धति की समाप्ति के बाद अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू के माता पिता को तुर्की से देश निकाला दे दिया गया था। ये लोग सीरिया में जा कर बस गए थे। प्रिंस अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू का जन्म सीरिया में हुआ था। माता-पिता की मृत्यु के बाद से प्रिंस अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू अकेले ही रहे और अकेले में ही उनका देहांत हो गया। अब्दुलकेरीम ओस्मानोग्लू प्रिंस मेहमेत सेलिम एफेंदी के पोते हैं। प्रिंस मेहमेत ओटोमन साम्राज्य के महान शासक अब्दुल हामिद द्वितीय के बेटे थे। अब्दुल हामिद को ही ओटोमन साम्राज्य को लम्बे समय तक बचाए रखने का श्रेय दिया जाता है।

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इसलिए नहीं लौटे तुर्की

ओटोमन साम्राज्य के पतन के बाद राज वंश के लोग दुनिया भर में तितर बितर हो गए। बहुतों को तो 1924 के बाद देश से निकाल दिया गया था। 1952 में राजवंश की महिला सदस्यों को आम माफी दे दी गयी थी। 1974 में राज वंश के पुरुष सदस्यों को तुर्की वापस आने की इजाजत भी दे दी गयी लेकिन ज्यादातर लोग वापस नहीं लौटे। इसका कारण ये था कि साम्राज्य खत्म हो चुका था, राज वंश बिखर गया था और विदेशों में लम्बे समय से बसे लोग नई जिंदगियों में रम चुके थे। हालाँकि कुछ वंशजों ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी लेकिन अंतिम उत्तराधिकारी ने वापस आने से मना कर दिया था। सीरिया और तुर्की के बीच सम्बन्ध भी युद्ध के कारण टूट चुके हैं।

वैसे तुर्की के प्रेसिडेंट एर्दोगान तुर्की के भव्य अतीत को फिर वापस लाने का सपना देखते हैं और इसी क्रम में वो मुस्लिम देशों के नेता के रूप में अपने तो प्रोजेक्ट करते रहते हैं।

नीलमणि लाल

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