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सऊदी अरब ने बांग्लादेश से कहा- यहां से ले जाओ रोहिंग्या लोगों को

करीब 40 साल पहले सऊदी अरब ने म्यांमार में नस्लीय जुल्म के शिकार हजारों रोहिंग्या लोगों को अपने यहाँ शरण दी थी। लेकिन अब सऊदी अरब इन लोगों को बाहर निकलना चाहता है।

Roshni Khan
Published on: 19 Jan 2021 10:48 AM IST
सऊदी अरब ने बांग्लादेश से कहा- यहां से ले जाओ रोहिंग्या लोगों को
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सऊदी अरब ने बांग्लादेश से कहा- यहां से ले जाओ रोहिंग्या लोगों को (PC: social media)

नई दिल्ली: सऊदी अरब अपने यहाँ रह रहे हजारों रोहिंग्या लोगों को बाहर निकलना चाहता है। सऊदी अरब ने कहा है कि बांग्लादेश इन 54 हजार रोहिंग्या को वापस ले ले।

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सऊदी अरब ने पिछले साल ही बांग्लादेश से कहा

करीब 40 साल पहले सऊदी अरब ने म्यांमार में नस्लीय जुल्म के शिकार हजारों रोहिंग्या लोगों को अपने यहाँ शरण दी थी। लेकिन अब सऊदी अरब इन लोगों को बाहर निकलना चाहता है। सऊदी अरब ने पिछले साल ही बांग्लादेश से कहा था कि शरणार्थियों को बंगलादेशी पासपोर्ट दिया जाना चाहिए क्योंकि सऊदी अरब अपने यहाँ बिना नागरिकता वाले लोगों को नहीं रखता है।

सऊदी अरब में रह रहे रोहिंग्या लोगों के पास किसी भी देश का पासपोर्ट नहीं है और यहाँ तक कि सऊदी अरब में पैदा हुए रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों तक को सऊदी अरब की नागरिकता नहीं दी गयी है। इतने बरसों से सऊदी में रहने वाले रोहिंग्या अरबी बोलते हैं और वहां के समाज में घुलमिल गए हैं। सऊदी अरब ने रोहिंग्या को बाहर करने का इरादा 2007 में ही जाहिर कर दिया था लेकिन तबसे अबतक बातचीत ही चल रहीए है।

दूसरी ओर बांग्लादेश रोहिंग्या को अपने नागरिक नहीं मानता

दूसरी ओर बांग्लादेश रोहिंग्या को अपने नागरिक नहीं मानता। अब अगर बांग्लादेश इन लोगों को पासपोर्ट देता है तो ये मान लिया जाएगा कि रोहिंग्या बंगलादेशी होते हैं और फिर बांग्लादेश अपने यहाँ रह रहे लाखों रोहिंग्या की म्यांमार वापसी का दबाव नहीं डाल पायेगा। कुछ समय पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा था कि बांग्लादेश सऊदी अरब में रहने वाले कुछ रोहिंग्या लोगों को कानूनी दस्तावेज मुहैया करा सकता है।

rohingya muslims rohingya muslims (PC: social media)

रोहिंग्या मुसलमानों का संबंध म्यांमार के पश्चिमी प्रांत रखाइन से है। लेकिन म्यांमार उन्हें अपना नागरिक नहीं मानता। दमन से बचने के लिए बहुत से रोहिंग्या लोगों ने दूसरे देशों में शरण ली है। इनमें सबसे ज्यादा लोग बांग्लादेश में रहते हैं। बांग्लादेश भी रोहिंग्या लोगों को अपना नागरिक नहीं मानता है। ऐसे में रोहिंग्या लोगों का कोई देश नहीं है। यानी उनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है।रहते वो म्यामांर में हैं, लेकिन वह उन्हें सिर्फ गैरकानूनी बांग्लादेशी प्रवासी मानता है। मोमेन ने कहा था, हमने इस बारे में सऊदी अधिकारियों से बात की है और उन्हें भरोसा दिलाया है कि हम उन लोगों के पासपोर्ट रिन्यू कर देंगे जो बांग्लादेश से सऊदी अरब गए।

बांग्लादेशी अधिकारियों को घूस देकर पासपोर्ट हासिल किए थे

विदेश मंत्री ने बताया कि बहुत सारे रोहिंग्या लोगों ने बांग्लादेशी अधिकारियों को घूस देकर पासपोर्ट हासिल किए थे। लेकिन बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने साफ कहा कि उनका देश इन शरणार्थियों के बच्चों की कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि ये रोहिंग्या 1970 के दशक से बांग्लादेश में नहीं रह रहे हैं। उनके बच्चों की पैदाइश और परवरिश दूसरे देशों में हुई है। उन्हें बांग्लादेश के बारे में कुछ नहीं पता। उनकी परवरिश अरब लोगों की तरह हुई है। ज्यादातर रोहिंग्या सऊदी अरब के मक्का शहर के आसपास रहते हैं।

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तीन लाख रोहिंग्या के पास वर्क परमिट

सऊदी अरब में लगभग तीन लाख रोहिंग्या लोगों को पहले ही वर्क परमिट मिल गया है। जिन 54 लोगों को सऊदी अरब वापस भेजना चाहता है, उनमें से ज्यादातर के पास बांग्लादेश से सऊदी अरब आते हुए बांग्लादेशी पासपोर्ट था या फिर उन्हें सऊदी अरब में मौजूद बांग्लादेशी कंसुलेट से पासपोर्ट मिला। भारत में भी बड़ी संख्या में रोहिंग्या लोग रह रहे हैं। इनमें ज्यादातर अवैध घुसपैठिये बताये जाते हैं।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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