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भूकंप से कांपा ये देश: घरों से निकल भागे लोग, मची अफरा-तफरी
इंडोनेशिया में कल भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किये गए। इंडोनेशिया के कोटा टर्नेट क्षेत्र में कल शनिवार को 5.4 तीव्रता के साथ भूकंप ने दस्तक दी थी। इसकी जानकारी अमेरिका के भूवैज्ञानिक केंद्र ने दी है।
नई दिल्ली: इंडोनेशिया में कल भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किये गए। इंडोनेशिया के कोटा टर्नेट क्षेत्र में कल शनिवार को 5.4 तीव्रता के साथ भूकंप ने दस्तक दी थी। इसकी जानकारी अमेरिका के भूवैज्ञानिक केंद्र ने दी है।
5.4 तीव्रता के साथ आया भूकंप
अमेरिका के भूवैज्ञानिक केंद्र ने बताया कि रिक्टर पैमाने (Richter scale) पर भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गयी है। जिसका केंद्र 1.601 डिग्री उत्तरी अक्षांश (Northern latitude) और 126.5726 डिग्री पूर्वी देशांतर (East longitude) में जमीन की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था।
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किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबरें नहीं
भूवैज्ञानिक केंद्र ने बताया कि इंडोनेशिया के स्थानीय समानुसार ये भूकंप करीब 3 बजकर 36 मिनट पर महसूस किया गया था। हालांकि भूंकप की तीव्रता कम होने की वजह से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है और न ही मौसम विभाग ने सुनामी Tsunami की चेतावनी जारी की है।
ताईवान में भी महसूस किए गए भूकंप के झटके
वहीं कल शनिवार को ताईवान के हुलियन शहर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.4 मापी गई। हालांकि ताईवान में भी भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है।
अगर भारत की बात करें तो मंगलवार को आईआईटी कानपुर से पहुंची वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि उत्तराखंड को भविष्य में भूकंप के कारण बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।आईआईटी कानपुर से पहुंची वैज्ञानिकों की टीम ने नैनीताल जिले के रामनगर के नंदपुर गैबुआ गांव का निरीक्षण किया।
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भविष्य में आ सकता है और बड़ा भूकंप
2008 में भी उनकी टीम ने गैबुआ डोल में अध्ययन किया था। जहां जमीनी सतह भूकंप के कंपन की वजह से टूटी मिली थी। उस समय जांच में अनुमान लगाया था कि कि गैबुआ डोल में जो कंपन से जमीनी सतह टूटी मिली उसकी वजह 1505 में आया भूकंप रहा होगा।
यदि जांच में यह स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में जमीनी सतह बाद में आए कोई भूकंप से टूटी है तो यह भविष्य के लिए खतरा है। भविष्य में इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप फिर आएगा।
इसका कंपन करीब साढ़े तीन सौ किलोमीटर के क्षेत्र में ज्यादा होगा तो जानमाल का खतरा भी बढ़ेगा। इस पूरे निष्कर्ष से भूकंप को तो नहीं टाला जा सकता है, लेकिन उससे होने वाले खतरे को कम किया जा सकता है।
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