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युवाओं को झटका: विदेशों में अब कम दिखेंगे चीनी युवा, बदल जाएगा सब

अमेरिका और यूरोप में चीनी युवा बड़ी संख्या में दिखाई पड़ते थे लेकिन अब शायद ऐसा नहीं होगा। आने वाले समय में विदेशों में चीनी युवा कम ही दिखाई देंगे।

Roshni Khan
Published on: 8 Jun 2020 4:44 PM IST
युवाओं को झटका: विदेशों में अब कम दिखेंगे चीनी युवा, बदल जाएगा सब
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नई दिल्ली: अमेरिका और यूरोप में चीनी युवा बड़ी संख्या में दिखाई पड़ते थे लेकिन अब शायद ऐसा नहीं होगा। आने वाले समय में विदेशों में चीनी युवा कम ही दिखाई देंगे।

सबसे बड़ी तादाद

चीन इंटेरनेशनल स्टूडेंट्स का सबसे बड़ा स्रोत है। 2018 में डेढ़ चीनी छात्र विदेशों में अध्ययनरत थी। पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही थी। 2018 में 6 लाख 60 हजार चीनी युवा बाहर पढ़ने गए। इसका कारण चीनी माध्यम वर्ग की मजबूर आर्थिक हैसियत रहा है। लोग अपने बच्चों के बढ़िया करियर के लिए बड़ी रकम निवेश करने को तैयार रहते हैं। इसके लिए वो विदेशी यूनिवर्सिटी की डिग्री और विदेश में पर्सनालिटी डेवलपमेंट को बहुत तरजीह देते हैं।

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कोरोना ने बदला माहौल

कोरोना वायरस ने सब कुछ बदल कर रख दिया है। बहुत से परिवारों की प्राथमिकताएं बदल गईं हैं। विदेश में एडमिशन कराने वाली एजेंसियों के एक सर्वे में निकल कर आया है कि 65 फीसदी एजेंसियों को विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आने की आशंका है। 35 फीसदी एजेंसियों का कहना है कि अब छात्र चीन से बाहर ही नहीं जाएंगे। बीजिंग ओवरसीज़ स्टडी सर्विस असोशिएशन के अनुसार पहली बार देखने में आया है कि छात्र एक साल के लिए पढ़ाई में गैप कर रहे हैं। चीन में कभी ऐसा सुना तक नहीं गया था।

परिवारों की चिंता

परिवारों का कहना है कि अगर उनके बच्चे बाहर जाते हैं तो हमेशा उनकी चिंता लगी रहेगी इसलिए अब वे बच्चों को विदेश नहीं भेजेंगे। कोरोना महामारी में जिस तरह विदेशों में प्रवासी फंस गए उससे अब लोग अपने फैसलों पर पुनर्विचार करने लगे हैं। इसके अलावा अब छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई ज्यादा भाने लगी है। लोग विचार कर रहे हैं कि मोटी रकम दे कर विदेश जाने से क्या फायदा जब घर बैठे अच्छी सी अच्छी यूनिवर्सिटी की ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त की जा सकती है।

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संस्थान भी परेशान

बहुत से शिक्षण संस्थान विदेशी छात्रों से मिलने वाली मोटी फीस से बढ़िया कमाई करते हैं। ऐसे में चीनी छात्रों की संख्या घटने से संस्थान छींटीं हैं, ब्रिटेन और अमेरिका में अगले सत्र के लिए प्रवेश शुरू होने वाले हैं। अब छात्रों को ऑनलाइन कोर्स में एडमिशन के लिए प्रेरित करने के उपाय किए जा रहे हैं।

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