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यूएस-तालिबान शांति समझौते का भारत ने किया स्वागत, कही ये बात

भारत-अफगानिस्तान में वास्तविक और सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में करीब तीन अरब डॉलर खर्च कर चुका है। इसके अलावा वहां कई तरह के संस्थानों को भारत हर तरह का समर्थन दे रहा है। जानकार मानते हैं कि भारत की सहमति के पीछे राष्ट्रपति ट्रंप की भी बड़ी भूमिका है।

Shivakant Shukla
Published on: 29 Feb 2020 8:15 AM GMT
यूएस-तालिबान शांति समझौते का भारत ने किया स्वागत, कही ये बात
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नीलमणि लाल

नई दिल्ली: कतर के दोहा में शनिवार को अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर सहमति बन गई। करीब 18 महीने की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस शांति समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं। लगभग 30 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के गवाह बने।

इस समझौते की खास बात यह है कि यह पहला मौका होगा जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल होगा। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला काबुल पहुँच चुके हैं। विदेश सचिव ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री हारून चाखनसुरी से बातचीत करके उन्हें शांति समझौते के बारे में भारत की प्रतिबद्धता की भी जानकारी दी थी ।

करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगा

अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते से अफगानिस्तान में तैनाती के करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ हो गया है। भारत के राजदूत पी कुमारन भी शांति समझौते के समारोह में भाग लेिए है। शांति समझौते के तहत तालिबान अफगानिस्तान में हिंसा बंद कर देगा और अमेरिका वहां तैनात अपने सिपाहियों की संख्या और कम कर देगा।

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2018 में मॉस्को में ऐसी ही शांति वार्ता की एक बैठक में भारत के दो पूर्व राजनयिकों ने हिस्सा लिया था। लेकिन यह पहली बार होगा जब भारत का एक सेवारत राजनयिक तालिबान के साथ इस तरह की प्रक्रिया का एक हिस्सा बनेगा। भारत कई सालों से युद्ध की वजह से उजड़े हुए अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए हर तरह की मदद देता आया है, चाहे वह वित्तीय सहायता हो, स्कूलों, अस्पतालों और इमारतों का निर्माण हो या सैन्य और प्रशासनिक प्रशिक्षण।

भारत की सहमति के पीछे राष्ट्रपति ट्रंप की भी बड़ी भूमिका है

भारत-अफगानिस्तान में वास्तविक और सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में करीब तीन अरब डॉलर खर्च कर चुका है। इसके अलावा वहां कई तरह के संस्थानों को भारत हर तरह का समर्थन दे रहा है। जानकार मानते हैं कि भारत की सहमति के पीछे राष्ट्रपति ट्रंप की भी बड़ी भूमिका है। उन्होंने हाल ही में हुए अपने भारत के दौरे के अंत में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अफगानिस्तान के बारे में बात की है और भारत इस प्रक्रिया का पूरी तरह से समर्थन कर रहा है।

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