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गगनयान: इन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं भारतीय अंतरिक्ष यात्री

भारतीय वायुसेना के 4 पायलट देश की महत्‍वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए रूस में कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं। रूस के गैगरिन रिसर्च ऐंड टेस्‍ट कॉस्‍मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को इस गोपनीय ट्रेनिंग के दौरान जान तक को भी जोखिम में डालना पड़ रहा है।

suman
Published on: 17 Feb 2020 10:26 PM IST
गगनयान: इन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं भारतीय अंतरिक्ष यात्री
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मास्‍को भारतीय वायुसेना के 4 पायलट देश की महत्‍वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए रूस में कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं। रूस के गैगरिन रिसर्च ऐंड टेस्‍ट कॉस्‍मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को इस गोपनीय ट्रेनिंग के दौरान जान तक को भी जोखिम में डालना पड़ रहा है।

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जानते हैं कि देश से करीब 4 हजार किलोमीटर दूर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को किन-किन चुनौतियों से लोहा लेना पड़ रहा है। रूसी टीवी चैनल के मुताबिक भारतीय अंतरिक्षयात्रियों का बेहद गोपनीय तरीके से गैगरिन रिसर्च ऐंड टेस्‍ट कॉस्‍मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण में करीब 5 साल लगते हैं लेकिन भारतीय यात्रियों के लिए एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया गया है। इसके जरिए भारतीय यात्रियों को 12 महीने में ही अंतरिक्ष यात्रा के लायक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी ट्रेनिंग सेंटर में भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने भी प्रशिक्षण लिया था। उनके बैकअप रहे रवीश मल्‍होत्रा ने भी स्‍टार सिटी में प्रशिक्षण लिया था।

पहली बार अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री यूरी गैगारिन की प्रतिमा के नीचे प्रशिक्षण ले रहे हैं। ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख पावेल व्‍लेसोव ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम को भारत की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए भारतीय अधिकारियों के साथ समन्‍वय करके बनाया गया है। अगले एक साल में ये भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान के सभी पहलुओं से अवगत हो जाएंगे। इससे उन्‍हें गगनयान को उड़ाने में काफी आसानी होगी।

पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम रूसी भाषा में है, इसलिए अंग्रेजी बोलने वाले भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को रूसी भाषा सीखनी पड़ रही है। व्‍लेसोव ने कहा कि सोयूज अंतरिक्ष यान के अंदर सभी दस्‍तावेज और निर्देश रूसी भाषा में हैं।

जंगल और दलदल में जीवन

प्रशिक्षण के दौरान भारतीय यात्रियों को जिंदा रहने के तरीके सीखाए जा रहे हैं। इसके तहत उन्‍हें बताया जा रहा है कि जब अंतरिक्ष से लौटने लगें तो कुछ गड़बड़ी होने पर क्‍या करें। इस समय भारतीय यात्री मास्‍को में जंगल और दलदल के बीच अपना समय बिता रहे हैं जहां कई खुंखार जंगली जानवर ही उनके साथी हैं। इस प्रशिक्षण के बाद अंतरिक्षयात्रियों को एक हफ्ते की छुट्टी दी जाएगी ताकि वे ठीक हो सकें।

रुसी भोजन

भारतीय यात्रियों के लिए भाषा ही नहीं वहां का खाना भी चुनौती है। अंतरिक्षयात्रियों और उनका प्रशिक्षण देखने आए अतिथियों को रूसी खाने का आदी होना पड़ रहा है। रूसी खाना भारतीय खाने से काफी अलग है। भारतीय यात्रियों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए खाने के आइटम से बीफ को हटा लिया गया है।

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बर्फीले जंगल

बर्फीले जंगल से निकलने के बाद भारतीय यात्री पहाड़ी दर्रो और यहां तक कि समुद्र के अंदर रहेंगे। इन यात्रियों को गर्मी के मौसम में सोची ले जाएगा जहां वे समुद्र में रहेंगे। ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख व्‍लेसोव ने कहा कि उन्‍हें पूरा विश्‍वास है कि भारतीय वायुसेना के पायलट ये अंतरिक्षयात्री इन चुनौतियों से जूझते हुए आगे बढ़ जाएंगे और सफलता हासिल

केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी गगनयान प्रॉजेक्ट के लिए 10,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। इस मिशन के तहत तीन सदस्यीय क्रू कम से कम 7 दिन के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएगा। अंतरिक्ष पर मानव मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा। पीएम मोदी ने ऐलान किया था कि यह मिशन 2022 तक पूरा होगा। इसरो चीफ के सिवन भी कह चुके हैं कि 2022 तक गगनयान भेजा जा सकेगा। इससे पहले इसरो 2020 और 2021 में दो मानवरहित मिशन भेजेगा।



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