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रूस में चल रही है गगनयान के अंतरिक्षयात्रियों की ट्रेनिंग
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन रूस के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ‘गगनयान’ मिशन के लिए रूस लाइफ सपोर्ट सिस्टम और थर्मल कंट्रोल जैसे महत्वपूर्ण उपकरण सप्लाई करेगा।
मॉस्को: भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्षयात्रियों की ट्रेनिंग रूस में शुरू हो गई है। भारत की योजना २०२१ के अंत में या २०२२ की शुरुआत में ‘गगनयान’ अंतरिक्ष में भेजने की है। इस यात्रा पर भेजने के लिए चार लोगों को सावधानीपूर्वक चुन कर रूस के गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में भेजा गया है। इन चार लोगों के नाम गुप्त रखे गए हैं।
मॉस्को के पास स्थित स्टार सिटी में गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर है। यहीं पर भावी अंतरिक्ष यात्री रहते व प्रशिक्षण पाते हैं। रूसी अंतरिक्षयात्री औसतन पांच साल की ट्रेनिंग के बाद अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार माने जाते हैं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री इसकी तुलना में १२ महीने की ट्रेनिंग पर हैं। ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख पावेल व्लासोव बताते हैं कि ये ट्रेनिंग प्रोग्राम भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की जरूरतों के अनुरूप बनाया गया है।
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ट्रेनिंग भी भारतीय अधिकारियों को समन्वय के साथ हो रही है। इसमें इंजीनियरिंग की एडवांस पढ़ाई, अंतरिक्ष की सामान्य ट्रेनिंग और शारीरिक ट्रेनिंग शामिल है। स्टार सिटी में अपने साल भर के प्रवास के दौरान भारतीय प्रशिक्षु रूसी सोयूज स्पेसशिप की एक एक चीज से वाकिफ होंगे। इससे उन्हें ‘गगनयान’ के संचालन में सहायता मिलेगी। प्रशिक्षुओं को रूसी भाषा बहुत अच्छी तरह से सीखनी होगी क्योंकि सोयूज में सभी जानकारियां और दस्तावेज रूसी भाषा में ही हैं। रूसी विशेषज्ञ, पेशेवर दुभाषिये और भाषा ट्रेनर इस काम में प्रशिक्षुओं को मदद कर रहे हैं।
सबसे कठिन है सर्वाइवल ट्रेनिंग
ट्रेनिंग का सबसे कठिन और रोमांचक हिस्सा है दुष्कर हालातों में रहने और बचने का। ये ट्रेनिंग इसलिए दी जाती है कि अंतरिक्ष से धरती पर वापसी में अगर कहीं अंतरिक्ष यान किसी दुर्गम जगह पर उतरता है तो अपने आपको बचाए रखा जाए। इस क्रम में भारतीय प्रशिक्षुओं को फिलहाल मास्को के दलदली और जंगल वाले इलाकों में ट्रेनिंग दी जा रही है। इस दौरान डाक्टरों का दल प्रशिक्षुओं पर निगाह रखता है।
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सर्वाइवल ट्रेनिंग भारतीयों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि रूस की सर्दियां बेहद खतरनाक होती हैं। सर्वाइवल कोर्स के बाद भारतीय प्रशिक्षुओं को रिकवरी के लिए सात दिन का आराम दिया जाएगा। ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख पावेल व्लासोव के अनुसार उन्हें यकीन है कि भारतीय प्रशिक्षु सभी कठिन परीक्षाओं में पास हो जाएंगे क्योंकि वे सभी अनुभवी और अच्छी तरह प्रशिक्षित सैन्य विशेषज्ञ हैं। ये सभी टेस्ट पायलट थे और इनके पास हवाई उड़ानों का लंबा अनुभव है। सभी प्रशिक्षुओं को इंजीनियरिंग की बेहतरीन जानकारी भी है।
रूस के लिए महत्वपूर्ण
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन रूस के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ‘गगनयान’ मिशन के लिए रूस लाइफ सपोर्ट सिस्टम और थर्मल कंट्रोल जैसे महत्वपूर्ण उपकरण सप्लाई करेगा।