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कोरोना पर गुड न्‍यूज: मिल गई सफलता, जल्द आएगी वैक्सीन

ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स इंसानों पर वैक्‍सीन का परिक्षण पहले ही शुरू कर चुके हैं। लंदन के इम्‍पीरियल कॉलेज की वैक्‍सीन का मानव परिक्षण भी जल्‍द शुरू होने वाला है।

SK Gautam
Published on: 25 Jun 2020 8:39 AM GMT
कोरोना पर गुड न्‍यूज: मिल गई सफलता, जल्द आएगी वैक्सीन
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नई दिल्ली: कोरोना के संकट से उबरने के लिए दुनिया के सारे देश इसका टीका खोजने में लगे हुए हैं। इस क्षेत्र में ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स इंसानों पर वैक्‍सीन का परिक्षण पहले ही शुरू कर चुके हैं। लंदन के इम्‍पीरियल कॉलेज की वैक्‍सीन का मानव परिक्षण भी जल्‍द शुरू होने वाला है। इसके अलावा 129 वैक्‍सीन कैंडिडेट्स ऐसे हैं जिनका अभी प्री-क्लिनिकल इवैलुएशन चल रहा है। वो 13 वैक्‍सीन कौन-कौन सी हैं जो क्लिनिकल इवैलुएशन में हैं और किस फेज में हैं, आइए जानते हैं।

Sars-Cov-2 वायरस से होती है कोरोना वायरस की बीमारी

बता दें कि वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने 22 जून को कोविड-19 वैक्‍सीन्‍स (Covid-19 vaccine) का ड्राफ्ट लैंडस्‍केप जारी किया है। इसके मुताबिक, Sars-Cov-2 वायरस जिससे कोरोना वायरस बीमारी होती है, उसके लिए बनी 13 वैक्‍सीन क्लिनिकल इवैलुएशन की स्‍टेज में है।

डेवलपमेंट के लिहाज से ये 13 वैक्‍सीन सबसे ऐडवांस्‍ड हैं।

a- यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्‍सफर्ड और AstraZeneca Plc. (फाइनल स्‍टेज)

b - बीजिंग इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी और कैनसिनो बायोलॉजिकल इंक (स्‍टेज 2)

c - नैशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्‍फेक्शियस डिजीजेज (US) और Moderna Inc (स्‍टेज 2)

d - वुहान इंस्‍टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्‍ट्स और साइनोफार्म (स्‍टेज 1/2)

e - बीजिंग इंस्‍टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्‍ट्स/साइनोफार्म (स्‍टेज 1/2)

f - साइनोवैक (स्‍टेज 1/2)

g - बायोएनटेक/फोसन फार्मा/फिजर प्‍लैटफॉर्म आरएनए (स्‍टेज 1/2)

h - नोवावैक्‍स (स्‍टेज 1/2)

i - चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (स्‍टेज 1)

j - इनोवियो फार्मास्‍यूटिकल्‍स (स्‍टेज 1)

k - गेमलेया रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (स्‍टेज 1)

l - इम्‍पीरियल कॉलेज, लदन (स्‍टेज 1)

m - क्‍योरवैक (स्‍टेज 1)

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साउथ अफ्रीका और ब्राजील में भी हो रहा ट्रायल

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्‍सफर्ड और AstraZeneca Plc. की एक्‍सपेरिमेंट वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल के फाइनल स्‍टेज में पहुंच गई है। वह दुनिया की पहली ऐसी वैक्‍सीन है जो इस स्‍टेज में पहुंची है। ChAdOx1 nCov-19 वैक्‍सीन अब 10,260 लोगों को दी जाएगी। इस वैक्‍सीन का ट्रायल यूनाइेड किंगडम के अलावा साउथ अफ्रीका और ब्राजील में भी हो रहा है।

भारत ने भी किया है 100 मिलियन डॉलर का इनवेस्‍ट

सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत के लिए बड़े पैमाने पर वैक्‍सीन बनाने के लिए 100 मिलियन डॉलर इनवेस्‍ट किए हैं। यह वैक्‍सीन ChAdOx1 वायरस से बनी है जो सामान्‍य सर्दी देने वाले वायरस का एक कमजोर रूप है। इसे जेनेटिकली बदला गया है इसलिए यह इंसानों को इन्‍फेक्‍ट नहीं करता। अगर ट्रायल सफल रहा तो ग्रुप को उम्‍मीद है कि वैक्‍सीन इस साल के आखिर तक लॉन्‍च हो जाएगी।

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चीन की वैक्‍सीन नॉन-रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्‍टर प्‍लैटफॉर्म पर काम करती है

बीजिंग इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी और कैनसिनो बायोलॉजिकल इंक मिलकर जो वैक्सीन बना रहे हैं, वह क्लिनिकल इवैलुएशन के फेज 2 में हैं। वैक्‍सीन का रेगुलेटरी स्‍टेटस फेज 1 में है। यह वैक्‍सीन नॉन-रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्‍टर प्‍लैटफॉर्म पर काम करती है।

Moderna Inc की वैक्‍सीन LNPएनकैप्‍सुलेटेड mRNA पर आधारित है

अमेरिका के नैशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्‍फेक्शियस डिजीजेज और Moderna Inc की वैक्‍सीन भी ट्रायल के दूसरे दौर में हैं। इसका रेगुलेटरी स्‍टेटस भी फेज 1 में है। यह वैक्‍सीन LNPएनकैप्‍सुलेटेड mRNA पर आधारित है।

वुहान शहर से निकलकर कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला

चीन के वुहान शहर से निकलकर कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला। वहां जो इनऐक्टिवेटेड प्‍लैटफॉर्म पर वैक्‍सीन बन रही है, वह अभी फेज 1/2 में है। इस फेज में दुनिया की और भी कई वैक्‍सीन्‍स हैं जैसे-

1-बीजिंग इंस्‍टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्‍ट्स/साइनोफार्म

साइनोवैक

2-बायोएनटेक/फोसन फार्मा/फिजर प्‍लैटफॉर्म आरएनए

नोवावैक्‍स

3-क्लिनिकल ट्रायल के फेज 1 में हैं ये कोरोना वैक्‍सीन्‍स

लंदन के इम्‍पीरियल कॉलेज की वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज 1 में

लंदन के इम्‍पीरियल कॉलेज की वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज 1 में है। यह RNA बेस्‍ड वैक्‍सीन है। mRNA पर आधारित Curevac की वैक्‍सीन भी ट्रायल के पहले दौर में है। इसके अलावा गेमलेया रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, इनोवियो फार्मास्‍यूटिकल्‍स और चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज की वैक्‍सीन भी डेवलपमेंट/रेगुलेशन के फर्स्‍ट फेज में हैं।

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कोरोना ने दुनियाभर के रिसर्चर्स के सामने वक्‍त की चुनौती पेश की

आमतौर पर एक वैक्‍सीन तैयार करने में 10 साल से भी ज्‍यादा का वक्‍त लगता है। एक साइंस जर्नल PLOS One में छपी स्‍टडी के अनुसार, वैक्‍सीन कैंडिडेट्स का सक्‍सेस रेट सिर्फ 6% है। मगर कोरोना वायरस ने दुनियाभर के रिसर्चर्स के सामने वक्‍त की चुनौती पेश की है। य बीमारी अबतक 4,80,000 से ज्‍यादा लोगों की जान ले चुकी है। 90 लाख से भी ज्‍यादा लोग इस वायरस से संक्रम‍ित हुए हैं। इसलिए वैक्‍सीन तैयार करने का काम युद्धस्‍तर पर हो रहा है।

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