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1 लाख लोगों की मौत बना इतिहास, अमेरिका जिसका कसूरवार
कहा जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। लेकिन विज्ञान के चमत्कार जितना फायदा पहुंचाते हैं, उतना ही कभी-कभी इसके परिणाम घातक भी हो जाते हैं।
नई दिल्ली : कहा जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। लेकिन विज्ञान के चमत्कार जितना फायदा पहुंचाते हैं, उतना ही कभी-कभी इसके परिणाम घातक भी हो जाते हैं। जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था, जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई थी। बोलने में तो ये बस एक बम ही था, लेकिन इतना घातक था, कि इसका असर वहां के लोगों में आज भी दिखता है। ऐसे ही आज हम आपको मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी बमबारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें पूरे शहर पर इतने बम गिराए गए थे, कि एक ही रात में लगभग एक लाख लोगों की मौत हो गई थी।
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ग्रेट टोक्यो एयर रेड
रातों-रात एक लाख लोगों को मारने वाले इस विनाशकारी बमबारी को 'बॉम्बिंग ऑफ टोक्यो' या 'ग्रेट टोक्यो एयर रेड' के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह जापान की राजधानी टोक्यो में हुई थी। यह बमबारी हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हादसे से 4 महीने पहले हुई थी, और इस घटना को अमेरिका ने अंजाम दिया था।
जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। अमेरिका ने एक ऑपरेशन लॉन्च किया, जिसका नाम था 'ऑपरेशन मीटिंगहाउस'। अमेरिका के इस ऑपरेशन के तहत अमेरिका ने अपने 279 बोइंग बी -29 विमानों को टोक्यो पर बमबारी के लिए भेजा। 9 मार्च 1945 की रात ये ऑपरेशन शुरू हुआ और अमेरिकी विमानों ने पूरे टोक्यो शहर पर बम गिराना शुरू किया।
पूरी तरह तबाह
फिर 10 मार्च 1945 को सुबह 'ऑपरेशन मीटिंगहाउस' खत्म हो गया, मतलब यह ऑपरेशन महज एक ही दिन चला, लेकिन इस एक दिन में अमेरिकी विमानों ने इतने बम बरसाए कि लगभग एक लाख लोग मारे गए, जबकि 1.25 लाख से ज्यादा लोग घायल हो गए।
इसके साथ ही लगभग 10 लाख लोग बेघर हो गए। हालांकि इस घटना में 14 अमेरिकी विमान भी दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे, जिसमें करीब 96 वायुसैनिक मारे गए।
प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विमानों ने टोक्यो पर करीब 1665 टन बम गिराए थे। इस बमबारी में 2 लाख 86 हजार से अधिक इमारतें और घर पूरी तरह तबाह हो गए थे। इसी वजह से इसे दुनिया का सबसे विध्वंसक हवाई हमला माना जाता है।
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