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चीन के साथ अब WHO भी नहीं बचेगा! हुआ ये बड़ा फैसला, भारत का अहम रोल
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बयान का प्रभाव कोरोना महामारी से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की अब जांच होगी। डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश इस वैश्विक संकट के प्रति संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की जवाबी कार्रवाई की स्वतंत्र जांच पर मंगलवार को सहमत हो गए।
नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बयान का प्रभाव कोरोना महामारी से निपटने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की अब जांच होगी। डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश इस वैश्विक संकट के प्रति संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की जवाबी कार्रवाई की स्वतंत्र जांच पर मंगलवार को सहमत हो गए। डब्ल्यूएचओ की वार्षिक सभा में हिस्सा ले रहे देशों ने इस संकट के प्रति संयुक्त जवाबी कार्रवाई की अपील करते हुए आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया।
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डब्ल्यूएचओ में भारत को जगह
कोरोना के संक्रमण को रोकने में बहुत हद तक कामयाब रहने वाले भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन में एक अहम जिम्मेदारी मिलने जा रही है। भारत 22 मई को डब्ल्यूएचओ के एग्जिक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन बनने जा रहा है। भारत दुनिया के उन 10 चुनिंदा देशों में है, जिन्हें अगले तीन सालों के लिए एग्जिक्यूटिव बोर्ड में जगह मिली है। भारत के लिए गर्व की बात है, इसके अलावा डब्ल्यूएचओ सदस्य देशों ने कोरोना संक्रमण रोकने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की निष्पक्ष जांच कराने का फैसला लिया है।
भारत डब्ल्यूएचओ की इस बॉडी में जापान की जगह लेगा। अभी जापान के डॉ हिरोकी नाकाटानी एग्जिक्यूटिव बोर्ड के सदस्य हैं। भारत के अलावा इस बोर्ड में बोत्सवाना, कोलंबिया, घाना, गिनी-बिसाऊ, मेडागास्कर, ओमान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, रूस और ब्रिटेन को जगह मिली है।
चीन और अमेरिका के बीच तल्खी
भारत के पास ये अहम जिम्मेदारी उस वक्त आ रही है जब कोरोना वायरस को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तल्खी है। कोरोना वायरस संक्रमण की सही जानकारी नहीं देने पर अमेरिका चीन से खफा है और इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश भी इस मामले चीन के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं। यूरोपीय यूनियन के इस प्रस्ताव का भारत समेत दुनिया के 130 देशों ने समर्थन किया। वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हुए इस कार्यक्रम में सबने कोरोना वायरस की उत्पत्ति और डब्लूएचओ के भूमिका की जांच का समर्थन किया।
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बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के इतिहास में पहली बार 18-19 मई को जेनेवा में टेलीकॉन्फ्रेन्सिन्ग के जरिये वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली आयोजित की गई थी। इस एसेम्बली में दुनिया भर में अब तक 47 लाख लोगों को संक्रमित करने वाले और तीन लाख से ज़्यादा लोगों की जान लेने वाले कोरोना वायरस से प्रभावी ढंग से निपटने पर चर्चा हुई। इस बैठक में ये तय किया गया कि कोरोना से निपटने में डब्ल्यूएचओ के रिस्पॉन्स की जांच की जाएगी। हैरानी की बात ये है कि इस प्रस्ताव का चीन समेत 140 सदस्य देशों ने समर्थन किया है. इससे पहले अमेरिकी नेतृत्व की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के शुरुआती दिनों में उसके फैलाव को रोकने के लिए पर्याप्त गति से कदम नहीं उठाए। डब्ल्यूएचओ में पास प्रस्ताव के मुताबिक कोरोना वायरस की उत्पति कहां हुई इस बात की जांच की जाएगी।बता दें कि चीन पर कोरोना विषाणुओं से जुड़ी जानकारी छिपाने का आरोप लगता है।