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आईएमएफ कब और क्यों बना और क्या काम करता है, यहां जानें सबकुछ
आईएमएफ फाइनैंसिंग द्वारा समर्थित आईएमएफ के साथ करीबी सहयोग में राष्ट्रीय प्राधिकरण डिजाइन समायोजन कार्यक्रम, को सही करने के लिए धन मुहैया कराता है, इन कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन पर सशर्त वित्तीय समर्थन जारी रखता है।
नई दिल्ली: कोरोना काल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की चर्चा सबसे अधिक बार हुई है। इसकी वजह समय-समय पर आईएमएफ की तरफ से कोरोना वायरस महामारी से विश्व भर में पड़ने वाले दूरगामी प्रभाव को लेकर उसकी तरफ से की गई टिप्पणी है।
अभी हाल ही में आईएमएफ ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से विश्व भर में दूरगामी प्रभाव पड़ा है, और इसके प्रसार को रोकने की कीमत आर्थिक मंदी है।
चीन ने आर्थिक विकास के क्षेत्र में कठिन विकल्प दिया है, लेकिन उसके अनुभव से प्रतीत होता है कि सही नीति अपनाना महामारी के फैलाव और इससे पैदा होने वाले कुप्रभाव को कम करने के लिए कारगर है।
आईएमएफ के बारें में तो अक्सर लोग सुनते रहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि ये कब और क्यों बना। इसका सही मायने में काम क्या है। तो आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारें में:-
आईएमएफ कब और क्यों बना और क्या काम करता है, यहां जानें सबकुछ (फोटो: सोशल मीडिया)
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क्या है आईएमएफ और क्यों की गई थी स्थापना
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) एक अंतरसरकारी संगठन है। इसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय व्यापार में विनिमय दर को स्थिर करने के लिए की गई थी।
यह सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पर्याप्त तरलता के माध्यम से उनके भुगतान संतुलन (बीओपी) में सुधार में सहायता करता है, वैश्विक मौद्रिक सहयोग में बढ़ोतरी को बढ़ावा देता है।
गौर करने वाली बात ये है कि यह ब्रिट्टन वुड्स ट्विन्स में से एक है जो 1945 में अस्तित्व में आया था। यह 188 देशों द्वारा प्रशासित किया जाता है और ये देश इसके कार्यों के लिए जवाबदेह भी हैं।
संस्थापक सदस्य: 44 देश, भारत आईएमएफ का संस्थापक सदस्य देश है।
क्या है आईएमएफ का उद्देश्य
आईएमएफ के समझौते के अनुच्छेदों के अनुसार इसके मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं–
1.विनिमय दर की स्थिरता सुनिश्चित करना।
2. बहुपक्षीय भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देकर विनिमय प्रतिबंधों को समाप्त या कम करना।
3.अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।
4. संतुलित अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुनिश्चित करना।
5.अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मात्रा और अवधि के असंतुलन को कम करना।
6.भुगतान के प्रतिकूल संतुलन को समाप्त करने के लिए सदस्य देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।
आईएमएफ के कार्य :-
आईएमएफ का काम अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली– विनिमय दरों और अंतरराष्ट्रीय भुगतानों की वह प्रणाली जो देशों (और वहां के लोगों) को एक दूसरे के साथ कारोबार करने में सक्षम बनाता है, की स्थिरता सुनिश्चित करना है। नीचे आईएमएफ के कार्यों के बारें में विस्तार से बताया गया है।
निगरानी : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी की आईएमएफ, अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने के लिए सदस्य देशों की नीतियों, आर्थिक और वित्तीय विकास कार्यों की समय-समय पर समीक्षा करता है।
आईएमएफ अपने 189 सदस्य देशों को आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने, आर्थिक एवं वित्तीय संकट के प्रति संवेदनशीलता को कम करने और जीवन स्तर को उपर उठाने वाली नीतियों को प्रोत्साहित करने वाले उपायों के बारे में सलाह देता है ।
यह अपने विश्व आर्थिक परिदृश्य में वैश्विक संभावनाओं का नियमित मूल्यांकन प्रदान करता है।
वित्तीय सहायता
आईएमएफ फाइनैंसिंग द्वारा समर्थित आईएमएफ के साथ करीबी सहयोग में राष्ट्रीय प्राधिकरण डिजाइन समायोजन कार्यक्रम, को सही करने के लिए धन मुहैया कराता है, इन कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन पर सशर्त वित्तीय समर्थन जारी रखता है।
तकनीकी सहायता
सदस्य देशों को डिजाइन एवं प्रभावी नीतियों के कार्यान्वयन में उनकी क्षमता को बढ़ाने में सदस्य देशों की मदद के लिए तकनीकी सहायता एवं प्रशिक्षण मुहैया कराता है।
कर नीति एवं प्रशासन, खर्च प्रबंधन, मौद्रिक एवं विनिमय दर नीतियां, बैंकिंग एवं वित्तीय प्रणाली पर्यवेक्षण एवं नियमन, विधायी रुपरेखा और आंकड़े समेत तकनीकी सहायता कई क्षेत्रों में दी जाती है।
आईएमएफ कब और क्यों बना और क्या काम करता है, यहां जानें सबकुछ (फोटो: सोशल मीडिया)
संसाधन
आईएमएफ के वित्तीय संसाधनों का प्राथमिक स्रोत उसके सदस्यों का कोटा है जो विश्व अर्थव्यवस्था में सदस्य की सापेक्ष स्थिति को व्यापक पैमाने पर प्रतिबिंबित करता है। इसके अलावा, आईएमएफ अपने कोटा संसाधनों की पूर्ति के लिए अस्थायी रूप से उधार ले सकता है।
कम आमदनी वाले देशों को ऋण देना
निम्नलिखित व्यापक सुधार के हिस्से के तौर पर नई पोवर्टी रिडक्शन एंड ग्रोथ ट्रस्ट (गरीबी उन्मूलन और विकास ट्रस्ट– पीआरजीटी) के तहत तीन प्रकार के ऋण बनाए गए है– विस्तारित ऋण सुविधा (एक्सटेंडेट क्रेडिट फैसिलिटी), त्वरित ऋण सुविधा( रैपिड क्रेडिट फैसिलिटी) और स्टैंडबाई क्रेडिट फैसिलिटी। इनके बारे में नीचे चर्चा की जा रही है।