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इमरान का रिपोर्ट कार्ड : जीरो हो गए पाक पीएम एक साल में ना कर पाए ये काम  

इमरान की पार्टी पीटीआई ने पिछले साल अपने चुनावी घोषणा पत्र में पाकिस्तान की जनता से कश्मीर के मुद्दे पर बड़ा वादा किया था इसमें कहा गया था कि विदेश नीति के तहत 'कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पैमानों के आधार पर एक ब्लूप्रिंट तैयार किया जाएगा ।

SK Gautam
Published on: 18 Aug 2019 2:12 PM GMT
इमरान का रिपोर्ट कार्ड : जीरो हो गए पाक पीएम एक साल में ना कर पाए ये काम  
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली तहरीक़-ए-इंसाफ़ पार्टी ने पिछले साल 18 अगस्त को ही पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी । प्रधानमंत्री के तौर पर इमरान खान ने एक साल पूरा कर लिया है । उनकी पार्टी पीटीआई ने जो चुनावी वादे किए थे एक साल में कितने पूरे हुए और कितने नहीं? इसकी चर्चाएं जारी हैं । जिनमें ये साफ तौर से उभरकर सामने आ रहा है कि इमरान खान सरकार अपने वादों पर बुरी तरह फेल हुई है ।

एक साल में सिर्फ एक वादा पूरी तरह निभा सकी यह सरकार कश्मीर मामले पर किए गए वादे पर काम तक शुरू नहीं कर सकी। कश्मीर सहित किन मुद्दों पर इमरान खान सरकार कैसे फेल हुई? जानिए ।

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इमरान की पार्टी पीटीआई ने पिछले साल अपने चुनावी घोषणा पत्र में पाकिस्तान की जनता से कश्मीर के मुद्दे पर बड़ा वादा किया था इसमें कहा गया था कि विदेश नीति के तहत 'कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पैमानों के आधार पर एक ब्लूप्रिंट तैयार किया जाएगा । साथ ही, अपने क्षेत्र में शांति बहाल करने और पड़ोसी भारत के साथ संघर्ष का हल निकालने के लिए आपसी सहयोग का रास्ता तलाशा जाएगा' ज़ाहिर है कि पिछले एक साल में इस वादे पर पाकिस्तान की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया ।

इमरान खान सरकार ने अपने इस वादे पर इस एक साल में जो कदम उठाए

इस रपट के मुताबिक 30 सितंबर 2018 को पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बयान दिया कि कश्मीर के मुद्दे पर दुनिया के नेताओं के नज़रिए में बदलाव आया है, जो पाकिस्तान के पक्ष में हो सकता है । 22 अक्टूबर को इमरान ने भारत से कहा कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने का यह सही समय है ।

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इसके बाद 24 अक्टूबर को पाक की मानवाधिकार मंत्री ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए कुछ प्रस्ताव तैयार किए । इसके बाद पाकिस्तान सरकार की तरफ से एक लंबी खामोशी देखने को मिली । इसके पीछे कारण भी रहे ।

आखिर क्यों कश्मीर मुद्दे के वादे पर आगे नहीं बढ़ी पीटीआई

फरवरी में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जैश ए मोहम्मद ने एक बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया और पाकिस्तान सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर घिर गई । फिर, भारत ने पलटवार करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया और इसके बाद काफी वक्त तक दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल रहा । कई बार सीमा पर फायरिंग होती रही । पाकिस्तान की तरफ से समय समय पर सीज़फायर का उल्लंघन किया गया ।

भारत द्वारा जम्मू कश्मीर को लेकर उठाया गया कदम

ताज़ा घटनाक्रम में भारत ने अपनी आंतरिक व्यवस्था के चलते जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया तो पाकिस्तान के लिए यह हैरानी भरा कदम साबित हुआ और इसके बाद से पिछले करीब डेढ़ हफ्ते से पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है लेकिन नाकाम रहा है । कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान अलग थलग पड़ता दिख रहा है क्योंकि यूएन की सुरक्षा परिषद से भी उसे खास तवज्जो नहीं मिल सकी है ।

कश्मीर के मुद्दे पर इमरान सरकार रही विफल

यानी कुल मिलाकर इमरान खान की पार्टी और सरकार ने एक साल में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी जनता से जो वादा किया था, उस दिशा में कोई पुख्ता काम नहीं किया । और यह हाल पीटीआई के एक वादे का नहीं बल्कि कई वादों का है, जानें-

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किये गए वादे जो निभाए नहीं गए

इमरान खान सरकार के पिछले एक साल के कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड के तौर पर द डॉन ने जो लेखा जोखा प्रकाशित किया है, उसके मुताबिक इमरान सरकार 51 में से सिर्फ एक वादा पूरी तरह निभा सकी है और तीन वादे पूरे होने की तरफ हैं। जबकि, 30 मोर्चों पर काम शुरू किया जा चुका है और 15 वादे ऐसे रहे हैं, जिन्हें निभाने की दिशा में सरकार ने कोई कदम नहीं बढ़ाया, इनमें कश्मीर मुद्दे पर किए गए वादे के अलावा ये भी खास हैं।

-मदरसा सुधार कार्यक्रम लागू किया जाना था लेकिन अब तक नहीं हुआ।

-युवा उद्यमियों के लिए एजुकेशन फंड समेत अकादमिक स्तर पर सुधार होने थे, लेकिन कोई योजना शुरू नहीं हुई।

-आतंकवाद के खिलाफ मुहिम छेड़ने की तरफ भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।

- कराची के पानी माफिया के खात्मे, क्रिमिनल जस्टिस सुधार कार्यक्रम, लैंगिक भेदभाव के मुद्दे, अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर पहल, स्वास्थ्य और महिलाओं के खिलाफ अपराध खत्म करने और संसदीय सशक्तिकरण आदि मुद्दे उन 15 वादों में शामिल हैं, जिन पर इमरान सरकार पिछले एक साल में कोई ज़मीनी काम शुरू नहीं कर सकी।

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