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कोरोना वायरस: SAARC में पाकिस्तान के पैंतरे पर भारत ने दिया करारा जवाब
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया एक हो गई है, सभी अपनी भागीदारी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान ने अपना पूराना रवैया नहीं छोड़ा हैं। पाकिस्तान भारत की गई ऐसी किसी जंग का हिस्सा नहीं बनना चाहता है। यही वजह है कि उसने सार्क सदस्य देशों के ट्रेड अधिकारियों के बीच होने वाली वर्चुअल कांफ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया।
नई दिल्ली कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया एक हो गई है, सभी अपनी भागीदारी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तान ने अपना पूराना रवैया नहीं छोड़ा हैं। पाकिस्तान भारत की गई ऐसी किसी जंग का हिस्सा नहीं बनना चाहता है। यही वजह है कि उसने सार्क सदस्य देशों के ट्रेड अधिकारियों के बीच होने वाली वर्चुअल कांफ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया। इस मंच का बहिष्कार कर पाकिस्तान ने फिर ये साफ कर दिया है कि भारत से वार्ता की बातें जो पीएम इमरान खान अब तक करते आए थे वह केवल खोखली बातें थीं।
पाकिस्तान ने बुधवार को साउथ एशियन असोसिएशन फॉर रिजनल को-ऑपरेशन यानी सार्क(SAARC) देशों के व्यापार अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार किया था। पाकिस्तान ने कहा कि इस तरह की बैठकें तभी कारगर हो सकती हैं, जब इनका नेतृत्व भारत के बजाए संगठन (SAARC) का सचिवालय करें।
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संकीर्ण राजनीतिक लक्ष्य
खबरों के अनुसार गुरुवार को कहा गया कि , 'जब हर कोई कोरोना वायरस संकट का सामना कर रहा है, ऐसे में पाकिस्तान की यह कोशिश संकीर्ण राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिए है।' 15 मार्च को पीएम मोदी की पहल पर जब दक्षेस के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक हुई, तब भी पाकिस्तानी पीएम इमरान उसमें शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने अपना प्रतिनिधि भेजा था।
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी और इसके क्षेत्र पर आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव से संयुक्त रूप से निपटने के लिए बुधवार की वीडियो कॉन्फ्रेंस के तहत भारत की पहल हुई। खबरों ने कहा कि यदि कोविड-19 से जुड़ी बातचीत को दक्षेस के औपचारिक ढांचे के तहत लाया जाता है तो पाकिस्तान को भारत की कोशिशों में खलल डालने की खुली छूट मिल जाएगी। साथ ही, पाकिस्तान के पास एजेंडा का मसौदा तैयार करने, निष्कर्ष से तैयार होने वाले दस्तावेज और हर कदम पर संबद्ध मुद्दों पर सर्वसम्मति बनाने के लिए दबाव डाल कर उन्हें अटकाने का विकल्प उपलब्ध हो जाएगा।
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दक्षेस के सदस्य देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में बैठक के बहिष्कार की जानकारी देते हुए कहा कि इस तरह की बैठकें तभी उपोयगी साबित हो सकती हैं जब इनका आयोजन भारत के बजाए सार्क का सचिवालय करें। बयान में कहा गया है, 'संस्थापक सदस्य होने के नाते पाकिस्तान का मानना है कि दक्षेस क्षेत्रीय सहयोग का महत्वपूर्ण मंच हो सकता है। कोविड-19 महामारी जैसी आपातकालीन स्थितियों में दक्षेस के सचिवालय की महत्ता और भी बढ़ जाती है।'
बता दें कि कि पाकिस्तान में अब तक कोरोना वायरस के 4296 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 63 मरीजों की मौत अब तक इस वायरस की चपेट में आने के बाद से हो चुकी है। इसके अलावा 467 सही भी हुए हैं। पाकिस्तान में पंजाब इससे सबसे अधिक प्रभावित है। यहां पर अब तक इसके 2166 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं सिंध में 1036, खैबर पख्तून्ख्वां में 560 मामले, गिलगिट बाल्टिसतान में 211, इस्लामाबाद में 83 और गुलाम कश्मीर में 28 मामले अब तक सामने आए हैं।