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वैक्सीन अमीरों वाली: पैसे वालें देशों को पहले मिलेगी डोज, बची हुई मिलेगी भारत को

कोरोना वायरस वैक्सीन के इंतजार में पूरी दुनिया परेशान है कि जितनी जल्दी से जल्दी कोरोना की वैक्सीन मिल जाए, उतना ही अच्छा हो। ऐसे में अगर पता चले कि आपके हिस्से की वैक्सीन पर किसी अमीर देश ने जब्त करके रख ली है, तो आपको कैसा लगेगा, और आप क्या करेंगे।

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Published on: 17 Sep 2020 12:48 PM GMT
वैक्सीन अमीरों वाली: पैसे वालें देशों को पहले मिलेगी डोज, बची हुई मिलेगी भारत को
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साथ ही इंटरनेशनल संस्था ऑक्सफैम ने जिन वैक्सीन का रिसर्च और एनालिसिस किया है उनमें वो सारी वैक्सींस हैं जिनसे दुनिया को उम्मीद है। ये वैक्सीन इन कंपनियों के हैं- एस्ट्राजेनेका, गामालेया-स्पुतनिक, मॉडर्ना, फाइजर और साइनोवैक।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस वैक्सीन के इंतजार में पूरी दुनिया परेशान है कि जितनी जल्दी से जल्दी कोरोना की वैक्सीन मिल जाए, उतना ही अच्छा हो। ऐसे में अगर पता चले कि आपके हिस्से की वैक्सीन पर किसी अमीर देश ने जब्त करके रख ली है, तो आपको कैसा लगेगा, और आप क्या करेंगे। इसी के चलते अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफैम ने रिसर्च में बताया कि पूरी दुनिया की कुल 13 प्रतिशत आबादी वाले अमीर देशों ने कोविड-19 वैक्सीन के 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से को खरीद कर अपने स्टॉक में रख लिया है।

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वैक्सीन की पहुंच इस बात पर तय

ऐसे में अमीर देशों ने वैक्सीन पर काम कर रही कंपनियों के साथ मिलकर तमाम समझौते और व्यापारिक सौदे किए हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफैम की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि एनालिटिक्स कंपनी एयरफिनिटी द्वारा जमा किए डेटा के मुताबिक, ट्रायल्स के अंतिम दौर से गुजर रही 5 वैक्सीन के साथ करार किए गए हैं। गिनती के अमीर देश जिनकी आबादी दुनिया की कुल आबादी का 13% है उन्होंने 50% से ज्यादा वैक्सीन को खरीद लिया है।

इसी कड़ी में ऑक्सफैम अमेरिका के रॉबर्ट सिल्वरमैन ने कहा कि जिंदगी बचाने वाली वैक्सीन की पहुंच इस बात पर तय होती है कि आप कहां रहते हैं और आपके पास कितना पैसा है। एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन का विकास बेहद जरूरी है। उससे ज्यादा जरूरी है कि वह शत-प्रतिशत लोगों तक पहुंच सके। ये वैक्सीन सभी के लिए उपलब्ध हों। सस्ती हों और आसानी से मिल सके।

Corona vaccine फोटो-सोशल मीडिया

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वैक्सीन इन कंपनियों के हैं

साथ ही इंटरनेशनल संस्था ऑक्सफैम ने जिन वैक्सीन का रिसर्च और एनालिसिस किया है उनमें वो सारी वैक्सींस हैं जिनसे दुनिया को उम्मीद है। ये वैक्सीन इन कंपनियों के हैं- एस्ट्राजेनेका, गामालेया-स्पुतनिक, मॉडर्ना, फाइजर और साइनोवैक।

तो ये पांचों कंपनियां मिलकर कुल 590 करोड़ की कोरोना वैक्सीन डोज बनाने की क्षमता रखती हैं। यह दुनिया के 300 करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त वैक्सीन है। क्योंकि हर शख्स को दो डोज दी जाएंगी।

Covid-19 फोटो-सोशल मीडिया

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वैक्सीन मिलने में परेशानी

ऐसे में इन पांचों दवा कंपनियों के साथ कई देशों ने समझौते किए हैं। अमीर देशों ने इन कंपनियों की कुल क्षमता के 50 प्रतिशत से ज्यादा डोज खरीद लिया है। जीं हां मतलब कोरोना वैक्सीन के 270 करोड़ डोज अमीर देशों ने खरीद लिए हैं। इन अमीर देशों में दुनिया की सिर्फ 13 प्रतिशत आबादी रहती है। इस हिसाब से दुनिया के बाकी देशों को वैक्सीन मिलने में परेशानी हो सकती है।

अब जिन अमीर देशों ने इन पांचों कंपनियों के वैक्सीन को खरीद कर स्टॉक करने का प्लान बनाया है वो देश इस प्रकार हैं - अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, हॉन्गकॉन्ग, मकाऊ, जापान, स्विट्जरलैंड और इजरायल शामिल है। वहीं इन देशों को मिलने के बाद बची हुई 260 करोड़ डोज को भारत, बांग्लादेश, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया और मेक्सिको में बेचा जाएगा।

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