TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अमेरिका-ईरान में जंग के बीच ऐक्शन में आया इराक, लिया ये बड़ा फैसला

अमेरिकी ने एयर स्ट्राइक कर ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया जिसके बाद पूरे मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। ईरान ने भी बदला लेने के लिए दो अमेरिकी ठिकानों पर रॉकेट से हमला किया है। तो अब वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान कर दिया है।

Dharmendra kumar
Published on: 5 Jan 2020 10:07 PM IST
अमेरिका-ईरान में जंग के बीच ऐक्शन में आया इराक, लिया ये बड़ा फैसला
X
ईरानी हमले का बड़ा खुलासा: ये सच आपको हैरान कर देगा

नई दिल्ली: अमेरिकी ने एयर स्ट्राइक कर ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया जिसके बाद पूरे मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। ईरान ने भी बदला लेने के लिए दो अमेरिकी ठिकानों पर रॉकेट से हमला किया है। तो अब वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान कर दिया है कि ईरान में 52 ठिकाने उनके निशाने पर हैं जिन्हें वे बर्बाद कर सकते हैं।

इराक के अमेरिकी दूतावास और सैन्य ठिकाने पर हमले के बाद अमेरिका ने ईरान को बर्बाद करने की धमकी दी है। तिलमिलाए ईरान ने कौम शहर की मस्जिद पर लाल झंडा लहराया दिया है। उसका कहना है कि वो दुश्मन को तबाह कर देगा, क्यों न खुद उसका ही नामोनिशान मिट जाए।

यह भी पढ़ें…अमेरिका-ईरान में जंग: दुनिया में मचेगी तबाही, नास्त्रेदमस ने की है ये भविष्यवाणी

शीर्ष सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी और अधिकारियों के मारे जाने के बाद इराक की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इराक की संसद में सैन्य ठिकानों से अमेरिकी सैनिकों को हटाने के लिए मतदान होने की संभावना है।

ईरान समर्थक गुटों से इन सैन्य ठिकानों पर हमले की आशंका बढ़ गयी है। कातिब हिजबुल्ला धड़े ने कहा कि हम देश में सुरक्षा बलों से अमेरिकी बेस से कम से कम एक किलोमीटर दूर चले जाने का आग्रह किया है।

यह भी पढ़ें…तीसरे विश्व युद्ध की आहट! जानिए US-ईरान में कौन ताकतवर, कौन देश किसके साथ

इस्लामिक स्टेट जिहादी समूह के उभार को रोकने के लिए स्थानीय सैनिकों को प्रशिक्षित और मदद देने के लिए इराकी बेस में करीब 5200 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।

इन सैनिकों की तैनाती व्यापक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के तहत की गई थी। इनको इराकी सरकार ने आईएस को इराकी क्षेत्र से खदेड़ने में मदद के लिए 2014 में बुलाया था। हाशेड के शिया बहुल धड़ों का ईरान के साथ करीबी संबंध है और यह संगठन महीनों से अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी का विरोध कर रहा है।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story