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सघन और वृद्ध आबादी के बावजूद जापान ने कोरोना पर पाया काबू, जानिए कैसे
चीन के करीब होने के बावजूद जापान में कोरोना वायरस उतना नहीं फैला जितना यूरोप और अमेरिका में। जापान में 26 मार्च तक कोरोना के कुल मामले 2 हजार के आसपास थे जबकि 55 लोग इस वायरस के चलते मारे गए हैं।
टोक्यो: चीन के करीब होने के बावजूद जापान में कोरोना वायरस उतना नहीं फैला जितना यूरोप और अमेरिका में। जापान में 26 मार्च तक कोरोना के कुल मामले 2 हजार के आसपास थे जबकि 55 लोग इस वायरस के चलते मारे गए हैं।
हर दिन वहां कुछ ही दर्जन नए मामले सामने आ रहे हैं लेकिन बेहद सघन आबादी, दुनिया में सबसे ज्यादा बुजुर्ग जनसंख्या और चीन के साथ बहुत नदजीकी संपर्क होने के बावजूद स्थिति बहुत ज्यादा खराब न होना संतोष की ही बात है। इस साल जनवरी में 9.2 लाख चीनी लोगों ने जापान की यात्रा की थी जबकि फरवरी में 89 हजार लोग चीन से जापान गए थे।
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कैसे रोका फैलाव
-स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बड़े पैमाने पर टेस्ट करने की बजाय उन्होंने कोविड19 के बढ़ते केसों पर नजर रखी। जब उत्तरी द्वीप होक्काइदो में एक प्राइमरी स्कूल में वायरस फैलने का मामला सामने आया तो पूरे प्रीफैक्चर (जिले) में स्कूलों को बंद करके इमरजेंसी लगा दी गई। इसके तीन हफ्ते बाद वायरस रुक गया।
-जापानी लोग जब एक दूसरे से मिलते हैं तो हाथ मिलाने या फिर गाल पर चुंबन करने की बजाय वे झुकते हैं। साथ ही जापान में बचपन से ही लोगों को बहुत साफ सफाई रखना सिखाया जाता है।
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-अपने हाथ धोना, डिसइंफेक्ट मिश्रण से गारगल करना और मास्क पहनना रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा है।
-जब फरवरी में यह वायरस फैलने लगा तो पूरा समाज एकदम एंटी-इंफेक्शन मोड में आ गया। दुकानों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के दरवाजे पर सैनिटाइजर रख दिए गए और मास्क पहनना सबकी जिम्मेदारी बन गया।
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जापान में लोग आमतौर पर भी मास्क पहनते हैं। देश में हर साल 5.5 अरब मास्क की खपत होती है, यानी एक व्यक्ति यहां औसतन 43 मास्क इस्तेमाल करता है। सो संक्रमण फैलने पर लोगों ने बड़े पैमाने पर मास्क का इस्तेमाल शुरू कर दिया। लोगों ने यह समझ लिया कि किसी व्यक्ति में लक्षण ना दिखने के बावजूद संक्रमण हो सकता है। मास्क पहनने की वजह से भी कोरोना के मामलों को रोकने में मदद मिली है।