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बिडेन की मतदाताओं पर पकड़ और मजबूत, लगातार पिछड़ते जा रहे हैं ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होना है और अभी कई महीने का वक्त बचा हुआ है। अगर इस दौरान अर्थव्यवस्था की हालत में सुधार आता है और कोरोना का असर थोड़ा कमजोर पड़ता है तो ट्रंप की स्थिति में सुधार हो सकता है।

Newstrack
Published on: 4 July 2020 4:45 AM GMT
बिडेन की मतदाताओं पर पकड़ और मजबूत, लगातार पिछड़ते जा रहे हैं ट्रंप
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अंशुमान तिवारी

वाशिंगटन। अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन की मतदाताओं पर पकड़ लगातार मजबूत होती जा रही है। इकोनॉमिस्ट के चुनाव मॉडल के मुताबिक मौजूदा समय में ट्रंप के जीतने की संभावना महज 10 फ़ीसदी ही रह गई है। अमेरिका में कोरोना का प्रकोप फैलने से पहले ट्रंप मजबूत स्थिति में दिख रहे थे मगर अब वे अपने प्रतिद्वंद्वी से काफी पिछड़ गए हैं।

सर्वे में ट्रंप से आगे निकले बिडेन

जानकारों के मुताबिक पहले ट्रंप राष्ट्रीय जनमत सर्वे में अपने प्रतिद्वंदी से केवल कुछ अंकों से पीछे थे। अर्थव्यवस्था की तेज गति से उनकी स्थिति मजबूत नजर आ रहे थी मगर अब वे काफी मुश्किल में दिख रहे हैं। जो बिडेन ने नौ अंकों की बढ़त हासिल कर ली है। कई सर्वे में तो उनकी बढ़त और ज्यादा दिख रही है। जानकारों का कहना है कि फ्लोरिडा, मिशीगन और विस्कांसिन आदि कड़े मुकाबले वाले राज्यों में बिडेन अपने प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले मजबूत दिख रहे हैं। बुजुर्गों वोटरों के साथ ही श्वेत वोटर भी बिडेन को समर्थन देते दिख रहे हैं। कोरोना संकट के बाद बहुत से वोटर यह बात मानने लगे हैं कि ट्रंप राष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

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चुनाव पर कोरोना संकट का असर

जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होना है और अभी कई महीने का वक्त बचा हुआ है। अगर इस दौरान अर्थव्यवस्था की हालत में सुधार आता है और कोरोना का असर थोड़ा कमजोर पड़ता है तो ट्रंप की स्थिति में सुधार हो सकता है। लेकिन अगर कोरोना संकट इसी तरह प्रकोप जारी रहा और डाक से वोटिंग के पर्याप्त इंतजाम नहीं हुए तो कम वोटिंग से चुनाव के अप्रत्याशित नतीजे भी आ सकते हैं।

ट्रंप के इलाकों में भी बिडेन मजबूत

अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन की उम्र 77 साल हो चुकी है मगर ट्रंप की आयु में 74 साल होने के कारण यह मुद्दा बिडेन के खिलाफ नहीं जा रहा है। मजे की बात यह है कि एरिजोना, जॉर्जिया और टैक्सास आदि राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी का प्रभुत्व ज्यादा है मगर इन राज्यों में भी बिडेन कड़े मुकाबले में दिख रहे हैं। लोगों को लगता है कि हाल के दिनों में अमेरिका की स्थिति कमजोर हुई है और बिडेन राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका की पुरानी मजबूत स्थिति बहाल कर सकते हैं। बिडेन के अनुभव और उनकी विनम्रता से भी उनकी स्थिति मजबूत होने में मदद मिली है।

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मौजूदा हालात ने पहुंचाई बिडेन को मदद

जानकारों का कहना है कि बिडेन को मजबूत बनाने में परिस्थितियों की बहुत बड़ी भूमिका है। कोरोना संकट और जार्ज फ्लॉयड की मौत से भड़की हिंसा ने बिडेन की स्थिति को मजबूत बनाने में मदद की है। बिडेन मतदाताओं से अमेरिका और दुनिया को 2016 से पहले की स्थिति में ले जाने की बात कर रहे हैं। दूसरी ओर ट्रंप उन्हें लगातार खतरा बता रहे हैं।उनका कहना है कि उनका प्रतिद्वंद्वी बुढ़ापे के करण डगमगाने वाले मूर्ख के सिवा कुछ नहीं है।

बिडेन का भारत विरोधी रुख

वैसे बिडेन की नीतियां भारत के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने अपने पॉलिसी पेपर में कश्मीर और नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर भारत की खिंचाई की है। उनके पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि घाटी में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद वहां कश्मीरियों की आवाज को दबाने का काम करना उचित नहीं है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत धार्मिक समानता वाला देश रहा है और ऐसे देश में नागरिकता संशोधन कानून को पारित करना जायज नहीं कहा जा सकता।

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